बाइबल के महत्त्व को समझने में दूसरों की मदद कीजिए
यीशु ने वह प्रदान किया जिसकी उसके शिष्यों को ज़रूरत थी। लूका २४:४५ कहता है: “उस ने पवित्र शास्त्र बूझने के लिये उन की समझ खोल दी।” वह जानता था कि अगर वे उसके पिता की स्वीकृति पाना चाहते थे, तो उन्हें परमेश्वर के वचन, बाइबल का अध्ययन करना और उसे समझना आवश्यक था। (भज. १:१, २) हमारे प्रचार कार्य का यही उद्देश्य है। हमारा लक्ष्य है बाइबल अध्ययन आरम्भ करना, जहाँ हम ‘लोगों को सब बातें जो यीशु ने उन्हें आज्ञा दी है, मानना सिखा’ सकते हैं। (मत्ती २८:२०) इसे ध्यान में रखते हुए, निम्नलिखित कुछ सुझाव हैं जो सहायक हो सकते हैं जब आप पुनःभेंट करते हैं।
२ अगर आपने आरम्भ में पुस्तक “बाइबल—परमेश्वर का वचन या मनुष्य का वचन?” पर चर्चा की थी, तो आप अपनी चर्चा शायद इस प्रकार जारी रखें:
▪“मैं आपको कुछ और दिखाना चाहूँगा जो बाइबल की सलाह के व्यावहारिक महत्त्व को सचित्रित करता है। अनेक लोग दूसरों के साथ अच्छा सम्बन्ध रखना मुश्किल पाते हैं। हम अपने आस-पास के लोगों के साथ एक बेहतर सम्बन्ध विकसित करने के लिए क्या कर सकते हैं? [प्रतिक्रिया के बाद, पृष्ठ १६७-८, अनुच्छेद १५ खोलिए, और मत्ती ७:१२ पढ़िए। अनुच्छेद १६ में व्यक्त किए गए विचारों को भी शामिल कीजिए।] बाइबल की सलाह में पायी जानेवाली बुद्धि का यह एक और उदाहरण है। जब मैं अगली बार आऊँगा, मैं आपको वह सलाह दिखाना चाहूँगा जो बाइबल, विवाहित दम्पतियों को अपने सम्बन्ध में और अधिक आनन्द पाने में मदद देने के लिए देती है।” लौटकर पृष्ठ १७०-२ पर चर्चा करने के लिए प्रबन्ध कीजिए, जो दिखाते हैं कि एक सुखी पारिवारिक जीवन के लिए बाइबल क्या सलाह देती है।
३ अगर आपने एक ऐसे व्यक्ति से बात की थी जिसने बाइबल में दिलचस्पी दिखायी, तो एक अध्ययन शुरू करने के लिए शायद यह प्रस्तुति प्रभावकारी हो:
▪“लगभग वे सभी व्यक्ति जिनसे आप बात करते हैं, आपसे कहेंगे कि वे जीने के लिए एक शान्तिपूर्ण और सुरक्षित संसार चाहेंगे। अगर हर कोई यही चाहता है, तो यह संसार इतनी खलबली और हिंसा से क्यों भरा हुआ है? [प्रतिक्रिया के लिए रुकिए।] नया संसार अनुवाद आपको दिखाता है कि बाइबल में आप इस सवाल का जवाब कहाँ पा सकते हैं।” पृष्ठ १६५९ खोलिए, और “चर्चा के लिए बाइबल विषय” क्र. ४३क दिखाइए, “विश्व संकट के लिए कौन ज़िम्मेदार है।” २ कुरिन्थियों ४:४ पढ़िए। समझाइए कि कैसे परमेश्वर इब्लीस का नाश करेगा और एक ऐसा संसार लाएगा जिसमें स्थायी शान्ति और ख़ुशी होगी। प्रकाशितवाक्य २१:३, ४ पढ़िए। उसके बाद आप कह सकते हैं: “जब मैं अगली बार आऊँगा, मैं आपको कुछ ऐसे शास्त्रवचन दिखाना चाहूँगा जो समझाते हैं कि क्यों आप एक संकट-रहित संसार की आस देख सकते हैं।”
४ अगर गृहस्वामी ने कोई पुरानी १९२-पृष्ठवाली पुस्तक ली थी, तो आप लौटने पर शायद यों कहें:
▪“जब हम ने पिछली बार बात की थी, तब हम ने कुछ कारणों की चर्चा की थी कि बाइबल का अध्ययन करना क्यों लाभदायक है। ऐसा अधिक करने का एक निष्कपट प्रयास हमें उस बात की क़दर करने में मदद दे सकता है जिसे परमेश्वर ने हमारे लिए भविष्य में रखा है। [यूहन्ना १७:३ पढ़िए।] हम ने एक अध्ययन कार्यक्रम विकसित किया है जिसने हज़ारों लोगों को इस बात के बारे में ज़्यादा सीखने में मदद दी है कि परमेश्वर ने क्या प्रतिज्ञा की है और हम कैसे उसे प्रसन्न कर सकते हैं।” जिस किसी प्रकाशन को गृहस्वामी ने स्वीकार किया है उसके अध्याय शीर्षकों पर पुनर्विचार कीजिए और प्रदर्शित कीजिए कि हम एक बाइबल अध्ययन कैसे संचालित करते हैं।
५ अगर आप निष्कपट लोगों को परमेश्वर के वचन के उत्कृष्ट महत्त्व की क़दर करने में मदद दे सकते हैं, तो आपने उनकी यथासंभव सर्वोत्तम तरीक़े से मदद की है। इसके पन्नों के अध्ययन से जो बुद्धि वे सीख सकते हैं, वह “जीवन का वृक्ष” हो सकता है, जो उनके लिए बहुत ख़ुशी लाएगा।—नीति. ३:१८.