सही शब्द ग़लत शिक्षाओं को पलट देते हैं
जबसे उसने अदन की वाटिका में अपना पहला झूठ बोला—हव्वा को यह कहना कि वह ‘निश्चय न मरेगी’—शैतान मृतकों की स्थिति के बारे में अनिश्चितता और उलझन फैलाता रहा है। (उत्प. ३:४) मनुष्यों की मृत्यु शैतान को झूठा साबित करती है, लेकिन झूठी धार्मिक शिक्षाओं के माध्यम से उसने मनुष्यजाति के अधिकांश लोगों को यह विश्वास करने के लिए बहकाया है कि मनुष्य का कोई सचेत भाग जीवित रहता है।
२ हम परमेश्वर के वचन, बाइबल से सच्चाई जानने से कितने ख़ुश होते हैं। हम नया संसार अनुवाद (अंग्रेज़ी) का इस्तेमाल करते हुए ग़लत शिक्षाओं को प्रभावकारी रूप से पलट सकते हैं क्योंकि यह इब्रानी और यूनानी शब्दों के अपने अनुवाद में सुसंगत है। इब्रानी शब्द निफेश और यूनानी शब्द साइखी को अंग्रेज़ी में हमेशा शब्द सोल अनुवादित किया जाता है, जबकि अंग्रेज़ी शब्द स्पिरिट को इब्रानी शब्द रूआक और यूनानी शब्द न्यूमा का अनुवाद करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
३ लेकिन, झूठी धार्मिक शिक्षाओं के प्रभाव के कारण, प्रांतीय बाइबलों में ऐसी सुसंगतता हमेशा नहीं पायी जाती है। प्रांतीय भाषाओं का इस्तेमाल करते समय सच्चाई को ठीक-ठीक सिखाने में हमें समर्थ करने के लिए हम अपनी ईश्वरशासित पारिभाषिक-शब्दावली में और हमारे प्रकाशनों में बाइबल शब्दों के अनुवाद में अधिक सुसंगतता स्थापित करने के लिए कार्य कर रहे हैं।
४ अधिकांश भारतीय भाषाएँ संस्कृत पर आधारित हैं या द्रविड़ हैं। इन स्रोत भाषाओं में मूल शब्द आत्मा किसी अदृश्य वस्तु, एक शक्ति या सामर्थ, को सूचित करता है, और आत्मा से सम्बन्धित शब्दों को अधिकांश प्रांतीय बाइबलों में पवित्र आत्मा और स्वर्ग के आत्मिक व्यक्तियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह, शब्द रूआक और न्यूमा के अर्थ को ठीक-ठीक अनुवादित करता है। क्योंकि बाइबल सभी जीवित प्राणियों की जीवन-शक्ति के लिए समान शब्द इस्तेमाल करती है, तो शब्द स्पिरिट को उसके सभी प्रयोग में अनुवादित करने के लिए शब्द आत्मा को मानकित करना उपयुक्त होगा।
५ यह परिवर्तन ख़ासकर तेलगू और कन्नड़ भाषाओं को प्रभावित करेगा जो मनुष्यों की जीवन-शक्ति का वर्णन करने के लिए संस्कृत शब्द प्राण से सम्बन्धित एक शब्द का इस्तेमाल कर रहे थे, लेकिन अब स्पिरिट के लिए सुसंगत रूप से आत्मा इस्तेमाल करेंगे।
६ अनेक प्रांतीय बाइबल अनुवाद निफेश और साइखी का अनुवाद करने के लिए शब्द प्राण या जीव इस्तेमाल करते हैं। यह उपयुक्त है क्योंकि प्राण जीवित जीव से, चाहे मनुष्य हो या प्राणी, या जिस जीवन का वे आनन्द लेते हैं उससे सम्बन्धित है। बाइबल विद्यार्थियों को सिखाते समय, हिन्दी में शब्द सोल के लिए शब्द प्राण को हमेशा इस्तेमाल करना अच्छा होगा, जैसे नया संसार अनुवाद में इस्तेमाल किया गया है और संस्था के प्रकाशनों में परिभाषित किया जाता है। जब बाइबल कहती है कि प्राण मर सकता है, तब वहाँ प्राणी इस्तेमाल करने के द्वारा कुछ बाइबल अनुवादकों ने प्राण के अर्थ को अस्पष्ट किया है, अतः हमें सुसंगत होने की ज़रूरत है।—कृपया यहेजकेल १८:४ के अपनी प्रांतीय बाइबल के अनुवाद की तुलना नया संसार अनुवाद के अनुवाद से कीजिए।
७ गुजराती और मराठी में हम जीव का इस्तेमाल करना जारी रख रहे हैं, जबकि मलयालम में सोल के लिए शब्द देही इस्तेमाल किया जाएगा। तमिल भाषा असाधारण अपवाद है क्योंकि, हालाँकि शब्दकोश आत्मा के लिए संस्कृत-सम्बन्धित शब्द की परिभाषा अन्य भारतीय भाषाओं की तरह करते हैं, इसे एक व्यक्ति को सूचित करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। तमिल बाइबल हमेशा आत्मा का इस्तेमाल, अपने सारे मानसिक और शारीरिक गुणों समेत जीवित व्यक्ति को सूचित करने के लिए करती है, जबकि दूसरे शब्द आवि को रूआक का अनुवाद करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो मनुष्य की जीवन-शक्ति, स्वर्गदूतों, और परमेश्वर की सक्रिय शक्ति को सूचित करता है।
८ अमरत्व की शिक्षा की चर्चा करते समय शब्द प्राण और जीव का इस्तेमाल करना शायद शुरू-शुरू में अजीब-सा लगे, लेकिन जब हम मूल भाषा के पदों का अर्थ समझाते हैं और बाइबल को अपना स्पष्टीकरण ख़ुद करने देते हैं, तो निष्कपट लोग सच्चाई को आसानी से समझेंगे। अतः, आइए हम ग़लत शिक्षाओं को पलटने के लिए और झूठे धर्म के दासत्व से भेड़-समान लोगों को मुक्त करने के लिए सही शब्दों का इस्तेमाल करें।—यूह. ८:३२.