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  • सब मनुष्यों के लिए सब कुछ बनना
  • हमारी राज-सेवा—1996
  • उपशीर्षक
  • ७ एक हिन्दू से बात करना:
  • ८ एक हिन्दू या एक मुसलमान से बात करना:
  • ९ एक मुसलमान से बात करना:
  • १० वार्तालाप रोधक:
  • ‘आपको जाकर राजनीतिज्ञों के पास प्रचार करना चाहिए, हमारे पास नहीं।’
  • ‘पश्‍चिम में जाकर प्रचार कीजिए, भारत एक धार्मिक देश है।’
  • ‘आप हमें मसीहियत में धर्मपरिवर्तित करने की कोशिश कर रहे हैं’
  • ‘मैं केवल अपनी पवित्र पुस्तकें पढ़ता हूँ’
हमारी राज-सेवा—1996
km 5/96 पेज 3-6

सब मनुष्यों के लिए सब कुछ बनना

भारत के इस विशाल उपमहाद्वीप में, हाल के महीनों में ईश्‍वरशासित गतिविधि के सभी पहलुओं में बढ़िया वृद्धि के बारे में सुनना यहोवा के सेवकों के लिए बड़ा प्रोत्साहन का स्रोत रहा है। जैसे-जैसे हम सभी पृष्ठभूमियों से अधिकाधिक लोगों को सच्चाई ग्रहण करते हुए देखते हैं, हम मूल्यांकन करते हैं कि संसार के शेष भागों की तरह, यहोवा बड़े क्लेश के छिड़ने से पहले भारतीय क्षेत्र में भेड़समान लोगों के एकत्रीकरण में “शीघ्रता” ला रहा है। लेकिन चूँकि हमारे क्षेत्र के लाखों लोगों तक अब भी सुसमाचार पहुँचाया जाना बाक़ी है, यह स्पष्ट है कि काफ़ी काम किया जाना है।—यशा ६०:२२.

२ जब हम भारत के धार्मिक विश्‍वासों की बड़ी विविधता पर ग़ौर करते हैं, तो हम पूछ सकते हैं: सच्चाई की हमारी प्रस्तुति में और प्रभावकारी होने के लिए क्या हम कुछ कर सकते हैं? क्या वही प्रस्तुति या वार्तालाप में चर्चा का मुद्दा उपयुक्‍त होगा, चाहे गृहस्वामी हिन्दू, मुसलमान, पारसी या नाम-मात्र मसीही हो? १ कुरि ९:१९-२३ में जैसे हम पढ़ते हैं, प्रेरित पौलुस अपनी प्रस्तुति को अपने सुननेवालों के अनुकूल समंजित करने के लिए बहुत ही सचेत था। ‘सब मनुष्यों के लिये सब कुछ बनने’ में उसका मक़सद क्या था? वह कहता है: “और मैं सब कुछ सुसमाचार के लिये करता हूं, कि औरों के साथ उसका भागी हो जाऊं।”

३ पुस्तक रीज़निंग फ्रॉम द स्क्रिपचर्स (अंग्रेज़ी) राज्य सन्देश को प्रस्तुत करने और ऐसी आपत्तियों से भी निपटने में, जो अतिरिक्‍त चर्चा में बाधा डाल सकती थीं, हमारी मदद करने के लिए विषय की भरमार देती है। अनेक प्रस्तुतियाँ सामान्य प्रकार की हैं जिन्हें इस्तेमाल किया जा सकता है चाहे व्यक्‍ति किसी भी धर्म का पालन क्यों न करता हो या तब भी यदि वह बिलकुल भी धार्मिक नहीं है। इन्हें हमारे क्षेत्र में प्रभावकारी पाया गया है। लेकिन, समय-समय पर, हमारे पास ऐसी सामग्री के लिए निवेदन आए हैं जो ऐसे व्यक्‍तियों के साथ इस्तेमाल करने के लिए ज़्यादा सुस्पष्ट होंगी जिनसे हम संभवतः मिलते हैं। इस ज़रूरत को पूरा करने के लिए हम यहाँ कुछ सुझाव प्रस्तुत कर रहे हैं जिन्हें आप शायद इस्तेमाल करना चाहें। हमें अपने साथ अपने क्षेत्र सेवा के बैग में रीज़निंग पुस्तक ले जाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है; इस अंतःपत्र को अपने साधन के एक स्थायी भाग के तौर पर पुस्तक में शामिल करना अच्छा होगा।

४ अपनी प्रस्तुति को एक ख़ास धर्म के व्यक्‍ति के अनुकूल बनाते वक़्त एक महत्त्वपूर्ण बात जिसे हमें मन में रखना है वह इस बात से निश्‍चित होना है कि जिस व्यक्‍ति से हम बात कर रहे हैं वह वास्तव में उस धर्म का है जिसके बारे में हम बात कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, हम शायद ऐसे घर में भेंट दें जहाँ एक हिन्दू आदर्श-वाक्य, एक स्वस्तिक या दरवाज़े पर हिन्दू देवता की एक पटिया है। लेकिन दरवाज़े पर जो व्यक्‍ति आता है, वह शायद एक रोमन कैथोलिक किराएदार हो। सो, विशिष्ट पदों को इस्तेमाल करने में, या किसी ख़ास विश्‍वास की ओर संकेत करने में, हमें समझदार होना है। भारत के क्षेत्र में काम करने का एक फ़ायदा यह है कि साधारणतया लोग उतनी जल्दी में नहीं होते हैं जैसे अनेक अन्य देशों में होते हैं और हम अपना परिचय देने और शुभकामनाओं का दोस्ताना आदान-प्रदान करने में समय ले सकते हैं और इस दौरान हम व्यक्‍ति का धर्म या समुदाय निश्‍चित करने की कोशिश कर सकते हैं।

५ राजा सुलैमान ने ‘मनोहर शब्द तथा सच्चाई के सही वचन प्राप्त करने का प्रयास किया।’ (सभो १२:१०, NHT) “सच्चाई के [सही] वचन” बोलने का अर्थ है कि हम जो भी कहते हैं उसमें हमेशा सही रहें। कभी-कभार भाई, यह महसूस करते हुए कि वे व्यवहार-कुशल हो रहे हैं, ऐसे तरीक़े से कथन करते, या टिप्पणियों का जवाब देते हैं जो सच नहीं होता है। उदाहरण के लिए, अकसर ऐसी टिप्पणी की जाती है कि, ‘आप चाहते हैं कि मैं एक मसीही बनूँ।’ भाइयों को ऐसा जवाब देते हुए सुना गया है कि ‘जी नहीं, बिलकुल नहीं!’ क्या यह सच है? या एक हिन्दू कह सकता है कि वह रामराज्य की उत्सुकता से प्रत्याशा कर रहा है। क्या हम ऐसी टिप्पणी से जवाब देंगे जैसे: ‘हम उसी के बारे में बात करने आए हैं।’ कोई कहता है, ‘मैं सिर्फ़ अपने पवित्र लेखनों को पढ़ता हूँ।’ क्या हम जवाब दे सकते हैं, ‘यह अच्छा है’ या ‘यह सुनकर मुझे ख़ुशी हुई।’ अपने शब्दों के बारे में सावधान रहना, और राज्य के शुद्ध, सरल सन्देश को दंतकथा और मानवी तत्त्वज्ञानों से अलग रखना, हमसे ‘सच्चाई का सही वचन’ बुलवाएगा।

६ इसका यह अर्थ नहीं है कि हम ऐसे शब्दों और विचारों का उल्लेख नहीं करेंगे जिससे हमारे सुननेवाले परिचित हैं। यदि हम एक हिन्दू से मिलते हैं, जैसे घर की तस्वीरों या प्रतिमाओं, या शायद व्यक्‍ति के नाम अथवा पहनावे के तरीक़े से दिखता है, तो हम शायद यहाँ सुझायी गयी प्रस्तुतियों में से एक इस्तेमाल करना चाहें:

७ एक हिन्दू से बात करना:

▪ ‘विश्‍वव्यापी सेवा के एक भाग के तौर पर हम कुछ सुसमाचार लाने के लिए भेंट दे रहे हैं। मुझे विश्‍वास है कि आप हमारे साथ सहमत होंगे कि दिन-ब-दिन संसार की परिस्थितियाँ बदतर होती जा रही हैं. . .आप संभवतः महसूस करते हैं कि हम ऐसे समय में जी रहे हैं जिसे आप “कलियुग” कहते हैं, जब हिंसा, अपराध और सम्पूर्ण नैतिक पतन की अपेक्षा की जाती है। मैं आपको दिखाना चाहूँगा कि कैसे एक प्राचीन पवित्र लेखन इन परिस्थितियों का वर्णन करता है, और दिखाता है कि अच्छी बातें भविष्य में हैं. . .(२ तीमु ३:१-५; भज ३७:१०, ११)’

▪ ‘हम आपके साथ कुछ सुसमाचार बाँटने के लिए आए हैं। अधिकांश ख़बरें जो हम आज सुनते हैं वे बुरी होती हैं, है कि नहीं? हम हमेशा हिंसा, अपराध, बेरोज़गारी, बीमारी और ग़रीबी के बारे में सुनते हैं. . .आप शायद विश्‍वास करते हैं कि जिसे आप “कलियुग” समझते हैं वह यहाँ है। क्या आप सोचते हैं कि जिसे आप “सतयुग” कहते हैं, वह हमारे जीवनकाल में आएगा?. . .प्राचीन पवित्र लेखनों के हमारे अध्ययन ने हमें विश्‍वस्त किया है कि जल्द ही ये बुरी परिस्थितियाँ हटा दी जाएँगी जब परमेश्‍वर संसार के मामलों में हस्तक्षेप करेगा। एक लेखक इस प्रकार इसका वर्णन करता है। (नीति २:२१, २२) इस आशा के ठोस आधार हैं और हम आपके साथ कुछ जानकारी बाँटना चाहेंगे जिसने हमें विश्‍वस्त किया है कि एक परिवर्तन नज़दीक है।’

८ एक हिन्दू या एक मुसलमान से बात करना:

एक हिन्दू या एक मुसलमान, पड़ोसियों के बीच शान्तिपूर्ण सम्बन्धों के बारे में टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दिखा सकता है। हम कुछ ऐसा कह सकते हैं:

▪ ‘हम आपके पड़ोसियों के साथ ऐसी समस्याओं के बारे में बात कर रहे थे जो ऐसे लोगों के बीच हिंसा की वृद्धि की वजह से हो रही हैं, जो पहले एक दूसरे से मैत्रीपूर्ण थे। हम अकसर यह कथन सुनते हैं “हम सब भाई-भाई हैं,” लेकिन क्या आप सोचते हैं कि भाइचारे की भावना आज प्रत्यक्ष है या क्या यह गुम हो रही है?. . .क्या आपको नहीं लगता कि आज की परिस्थितियाँ इस भविष्यवाणी पर ठीक बैठती हैं जो बहुत पहले की गयी थी? (२ तीमु ३:१-५, [कुछ भाग]). . .लेकिन ध्यान दीजिए कि यह लेखन कहता है कि ये बातें “अन्तिम दिनों” में होंगी। इन “अन्तिम दिनों” के बाद जो होनेवाला हैं, उनकी अतिरिक्‍त प्रतिज्ञाओं के बारे में मैं आपको बताना चाहूँगा।’

▪ ‘हम विश्‍वव्यापी शैक्षिक कार्य के एक भाग के तौर पर भेंट कर रहे हैं; इसमें हिस्सा लेनेवाले जन विश्‍व शान्ति देखने में दिलचस्पी रखते हैं। क्या आप सोचते हैं कि संसार कभी बिना भय, हिंसा या अपराध के पूरी तरह से शान्तिमय हो सकेगा?. . .(अनेक लोग कहेंगे कि यह परमेश्‍वर के ऊपर है; यदि वे ऐसा कहते हैं तो हम आगे कह सकते हैं. . . ) हम आपसे पूरी तरह सहमत हैं। ध्यान दीजिए कि एक धर्मपरायण मनुष्य ने इसके बारे में क्या कहा। (यशा २:४) (यदि वे परमेश्‍वर का ज़िक्र नहीं करते हैं तो हम कह सकते हैं. . . ) क्या आपको लगता है कि परमेश्‍वर संसार के मामलों में कभी हस्तक्षेप करेगा जैसा इस प्राचीन बुद्धिमान पुरुष ने विश्‍वास किया?. . .(यशा २:४)’

९ एक मुसलमान से बात करना:

यह याद रखते हुए कि मुसलमान इब्रानी शास्त्र की इज़्ज़त करते हैं, हम वहाँ से कुछ पाठ इस्तेमाल कर सकते हैं, और ऐसे नामों का ज़िक्र कर सकते हैं जिनसे वे परिचित हैं। हम कह सकते हैं:

▪ ‘आज हमारा मुलाक़ात करना एक अन्तरराष्ट्रीय कार्य का एक भाग है जिसमें ५० लाख से अधिक स्वयंसेवक ऐसे लोगों से बात कर रहे हैं जो सभी राष्ट्रों के लोगों को शान्ति में जीते हुए देखने में दिलचस्पी रखते हैं। वह बहुत ही बढ़िया होगा, है कि नहीं?. . .क्या आपने कभी पढ़ा कि खुदा ने इब्राहीम से भविष्य के लिए क्या वादा किया? (उत्प २२:१८) अनेक नबियों ने सभी जाति के लोगों के लिए आशीष के बारे में जो कहा है, हमने इसका पूरा-पूरा अध्ययन किया है और हम निश्‍चिन्त हैं कि यह बहुत ही जल्द आनेवाला है। यह ख़ुशख़बरी है और हम अपने पड़ोसियों के साथ इसे बाँटना चाहते हैं।’

▪ ‘मैं ख़ुश हूँ कि मैंने आपको घर पर पाया। हमें मालूम है कि मुसलमान होने के नाते आप एक अल्लाह-ताला में आस्था रखते हैं जो इंसानों में दिलचस्पी रखता है और एक-न-एक दिन पृथ्वी के दुष्ट लोगों का न्याय करेगा। यह कैसे होनेवाला है, इसके वर्णन को हमने बहुत दिलचस्प पाया है। (यशा २:४) मैं सोचता हूँ कि ऐसा होने के बाद पृथ्वी पर स्थिति कैसी होगी, इसके बारे में क्या आपने इसी नबी के वर्णन को कभी पढ़ा है?. . .(यशा ३५:५, ६ या ६५:२१, २२)’

१० वार्तालाप रोधक:

आपत्तियों से निपटने के लिए, जो वार्तालाप को रोक सकती हैं, रीज़निंग पुस्तक हमें अनेक तरीक़े पेश करती है। हम कुछ तरीक़े दे रहे हैं जो ऐसी आम आपत्तियों के सम्बन्ध में हैं जिन्हें भारत में हमारी सेवकाई में हमें सुनने को मिलती हैं।

‘आपको जाकर राजनीतिज्ञों के पास प्रचार करना चाहिए, हमारे पास नहीं।’

▪ ‘मुझे बताइए, क्या आपको वास्तव में लगता है कि कोई भी नेता, चाहे वह अपने देश में कितनी भी शक्‍ति क्यों न रखता हो, पूरे संसार की समस्याओं को हल कर सकता है?. . .सो, ठीक जिस तरह मैं और आप उन समस्याओं को हल नहीं कर सकते हैं जिनका हम सामना करते हैं, उसी तरह राजनीतिज्ञ भी नहीं कर सकते हैं, चाहे वे कितनी ही निष्कपटता से क्यों न कोशिश करें। लेकिन ऐसा एक व्यक्‍ति है जो मनुष्यजाति की सारी समस्याओं को वास्तव में हल कर सकता है. . .(यशा २:४; यशा ६५:१७, २०, २१)’

▪ ‘जब भी हम उनसे मिलते हैं तो हम ऐसा करते हैं। हमारी ज़िम्मेदारी है कि जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों से मिलकर उन्हें यह सुसमाचार दें कि जल्द ही अभीभूत करनेवाली समस्याएँ, जिनका हम सब सामना करते हैं—चाहे एक नेता या जनता का एक सदस्य—हटा दी जानेवाली हैं। क्या आपको नहीं लगता कि निष्कपट राजनीतिज्ञ ख़ुश होंगे यदि वे इन प्रतिज्ञाओं में विश्‍वास कर सकते हैं तो?. . .(भज ४६:८, ९; मीका ४:३, ४)’

▪ ‘यह सच है कि संसार-भर के राजनीतिज्ञों को उनके द्वारा उन लोगों को की गयी प्रतिज्ञाओं को पूरा करने में कठिनाई हो रही है जिन्होंने वोट देकर उन्हें सत्ता में लाया है, है कि नहीं?. . .स्थिति काफ़ी कुछ उसी तरह है जिसका वर्णन सदियों पहले एक लेखक ने किया था। (भज १४६:३, ४) एक नेता जब कुछ अच्छा कार्य करता है तब भी अकसर वोट देकर उसे सत्ता से हटा दिया जाता है, या वह मर जाता है, और उसका कार्य उसके उत्तराधिकारी द्वारा व्यर्थ कर दिया जाता है। हम वास्तव में आपसे एक विश्‍व सरकार के बारे में कहने आए हैं जिसका स्थायी शासक होगा और जिसके पास सभी समस्याओं को हल करने की शक्‍ति होगी। क्या यह बढ़िया नहीं होगा?. . . (भज ७२:७, ८, १३, १४)’

‘पश्‍चिम में जाकर प्रचार कीजिए, भारत एक धार्मिक देश है।’

▪ ‘यह सच है कि इस २०वीं सदी में अनेक देशों ने धार्मिक विधि को और यहाँ तक कि उस धर्म के नैतिक स्तरों को ठुकराया है, जिसका वे पालन करने का दावा करते हैं। लेकिन क्या आपको वास्तव में लगता है कि धर्म उन सभी समस्याओं को हल कर रहा है जो हमारे यहाँ भारत में हैं? क्या यह सच नहीं है कि अधिकांश हिंसा जिनका हम यहीं इस देश में सामना करते हैं उनका धार्मिक आधार है?. . .यह कितना अच्छा होता यदि सभी राष्ट्रों के लोग संयुक्‍त हो सकते और सच्चे धार्मिक सिद्धान्तों का पालन कर सकते. . .(भज १३३:१)’

▪ ‘वास्तव में यहाँ भारत में जितने यहोवा के साक्षी प्रचार कर रहे हैं उससे लाखों ज़्यादा यहोवा के साक्षी पश्‍चिम में प्रचार कर रहे हैं। लेकिन जो सन्देश हम ला रहे हैं वह सभी राष्ट्र के ऐसे लोगों के लिए है जो पीड़ा, हिंसा और दुःख का अन्त देखने की लालसा रखते हैं। क्या आप सहमत नहीं होते कि हम चाहे जहाँ कहीं भी रहते हों, हम इस तरह की परिस्थितियों को देखना चाहेंगे?. . . (प्रका २१:४)’

▪ ‘यह सच है कि ऐसा प्रतीत होता है कि पश्‍चिम में अनेक लोगों कि पूर्णतः भौतिकवादी मनोवृत्ति है। लेकिन क्या यह सच नहीं है कि भारत के धार्मिक लोग भी हिंसा, खाद्य पदार्थ की कमी, बेरोज़गारी, बीमारी और मृत्यु से पीड़ित हैं?. . .हम विश्‍वस्त हैं कि परमेश्‍वर, जो दोनों, पूरब और पश्‍चिम में दिलचस्पी रखता है, जल्द ही पृथ्वी से इन समस्याओं को हटानेवाला है, और हम यह जानकारी आपके साथ बाँटना चाहेंगे. . .(भज ३७:१०, ११, २९)’

‘आप हमें मसीहियत में धर्मपरिवर्तित करने की कोशिश कर रहे हैं’

▪ ‘पूरे इतिहास के दौरान लोगों को ज़बरदस्ती अपना धर्म बदलने के लिए निश्‍चय ही काफ़ी कोशिशें की गयी हैं। लेकिन मैं आपको आश्‍वस्त करता हूँ कि हम इससे सहमत नहीं हैं। साधारणतया उसका कारण राजनैतिक, या कुछ निजी लाभ प्राप्त करना रहा है। लेकिन, हम एक ऐसे सन्देश के साथ भेंट कर रहे हैं जो आपके, और आपके परिवार, तथा सभी धर्मों के ऐसे निष्कपट लोगों के लाभ के लिए है, जो उन दुःखी परिस्थितियों में परिवर्तन देखने की इच्छा रखते हैं जिन्हें हम इस संसार में देखते हैं। एक प्राचीन पवित्र लेखन इस प्रकार इस परिवर्तन का वर्णन करता है। (भज ३७:१०, ११)’

▪ ‘कुछ लोग महसूस करते हैं कि हम गिरजे के संगठनों से जुड़े हुए हैं जिनका अपना धर्म बदलने के लिए लोगों को या तो रिश्‍वत देना अथवा उन पर दबाव डालने का रिकार्ड रहा है। हम निश्‍चय ही ऐसे कार्यों का समर्थन नहीं करते, ना ही हम गिरजों से किसी तरीक़े से जुड़े हुए हैं। हम ५० लाख से अधिक स्वयंसेवक कार्यकर्ताओं के एक अन्तरराष्ट्रीय संस्था का भाग हैं जो इस सुसमाचार के साथ अपने पड़ोसियों से भेंट कर रहे हैं कि जल्द ही और युद्ध नहीं होंगे। क्या मैं आपको दिखा सकता हूँ कि किस बात ने हमें यह आश्‍वासन दिया है?. . .(भज ४६:८, ९)’

‘मैं केवल अपनी पवित्र पुस्तकें पढ़ता हूँ’

▪ ‘मैं कितना ख़ुश हूँ कि मैं किसी ऐसे व्यक्‍ति से मिला जो अब भी धर्म में दिलचस्पी रखता है। मुझे विश्‍वास है कि आप मेरे साथ सहमत होंगे कि आज अधिकांश लोग मनोरंजन और भौतिक संपत्तियों में ज़्यादा दिलचस्पी लेते हुए प्रतीत होते हैं. . .चूँकि आप कुछ धार्मिक पुस्तकों से परिचित हैं, तो बाइबल की, वह पवित्र पुस्तक जिससे मैं सबसे ज़्यादा परिचित हूँ, इस आयत के बारे में आपकी क्या राय होगी? (नीति २:२०-२२). . .अब, अनेक पवित्र लेखन सूचित करते हैं कि परमेश्‍वर एक-न-एक दिन सभी दुष्ट लोगों का नाश करेगा, लेकिन हमारा अपने पड़ोसियों से भेंट करने का कारण उन्हें यह दिखाना है कि बाइबल इस बात का बहुत ही सुस्पष्ट संकेत देती है कि यह नाश कब होगा, और यह हमें बताती है कि पृथ्वी पर ख़ुशी-ख़ुशी जीने के लिए हम कैसे बच सकते हैं। मैं आपके साथ यह जानकारी बाँटना चाहूँगा।’

▪ ‘जी हाँ, अनेक लोग केवल उन धार्मिक लेखनों को पढ़ने से संतुष्ट होते हैं जिनके बारे में उन्हें बचपन से सिखाया गया है। व्यक्‍तिगत रूप से, दूसरे लोग परमेश्‍वर और उसकी उपासना करने के तरीक़े के बारे में क्या विश्‍वास करते हैं, इसके बारे में सीखना मैंने बहुत दिलचस्प पाया है। इससे मैंने हमारे दिनों के बारे में, जब संसार हिंसा और संकट से इतना भरा हुआ है, कुछ अनोखी भविष्यवाणियाँ पायी हैं। मैं आपको आज के संसार का एक वर्णन दिखाना चाहूँगा जिसे मैं सोचता हूँ कि आप काफ़ी सही पाएँगे. . .(२ तीमु ३:१-५, [कुछ भाग])’

११ प्रेरित पौलुस ने विश्‍वास के साथ कहा: “मैं सब के लोहू से निर्दोष हूं। क्योंकि मैं परमेश्‍वर की सारी मनसा को तुम्हें पूरी रीति से बताने से न झिझका।” (प्रेरि २०:२६, २७) आइए हम अपनी “स्पष्ट सोच-विचार की क्षमताओं” को इस्तेमाल करने के द्वारा पौलुस की तरह समान कर्मिष्ठता दिखाने का पूरा प्रयास करें, जैसे-जैसे हम ‘सब प्रकार के मनुष्यों’ को सच्चाई के अद्‌भुत सन्देश को प्रस्तुत करते हैं।—२ पत ३:१, NW.

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