दूसरों की निष्कपट रूप से परवाह करने के द्वारा यहोवा की नक़ल कीजिए
यहोवा ऐसे व्यक्ति का सबसे महान उदाहरण है जो दूसरों के लिए निष्कपट परवाह प्रदर्शित करता है। विश्व सर्वसत्ताधारी के तौर पर, वह अपनी मानव सृष्टि की ज़रूरतों के प्रति संवेदनशील है। (१ पत. ५:७) यीशु ने अपने अनुयायियों को अपने पिता के गुणों को प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित किया, जो धर्मी और अधर्मी लोगों पर सूर्य उदय करता और मेंह बरसाता है। (मत्ती ५:४५) आप दूसरों के लिए निष्कपट चिन्ता दिखाने के द्वारा यहोवा की नक़ल कर सकते हैं—उन सभी लोगों के साथ जिनसे आप मिलते हैं, राज्य संदेश बाँटने के लिए तैयार रहने के द्वारा। जुलाई के दौरान सेवकाई में जो ब्रोशर इस्तेमाल किए जानेवाले हैं उनसे पूरी तरह से परिचित होने के द्वारा, आप दूसरों को आध्यात्मिक सहायता देने की अच्छी स्थिति में होंगे। निम्नलिखित सुझाव कुछ तरीक़े प्रस्तुत करते हैं कि आप कैसे आरम्भिक भेंट के लिए तैयारी कर सकते हैं और फिर दिलचस्पी दिखानेवालों से समयोचित पुनःभेंट कर सकते हैं:
२ “क्या परमेश्वर वास्तव में हमारी परवाह करता है?” ब्रोशर प्रस्तुत करते वक़्त, आप कह सकते हैं:
◼“क्या आपने कभी सोचा है कि यदि परमेश्वर वास्तव में मनुष्यों की परवाह करता है तो वह उनको दुःख उठाने की अनुमति क्यों देता है? [प्रतिक्रिया के लिए रुकिए।] यह ब्रोशर न केवल इस सवाल का संतोषजनक जवाब प्रदान करता है बल्कि यह भी दिखाता है कि जो हानि मनुष्यों ने अपने ऊपर और अपने पार्थिव घर पर लायी है, उन्हें परमेश्वर ने हटा देने की प्रतिज्ञा की है।” पृष्ठ २७ पर अनुच्छेद २३ पढ़िए। उसके नीचे के चित्र को दिखाइए, और अनुच्छेद २२ से भजन १४५:१६ पढ़िए। ब्रोशर प्रस्तुत कीजिए। यदि इसे स्वीकार किया जाता है, तो एक ऐसा सवाल पूछिए जिसका उत्तर अगली भेंट में दिया जा सकता है, जैसे: “क्या आप जानना पसन्द करेंगे कि मानवजाति को आशीषें देने और पृथ्वी को एक परादीस में बदलने के अपने उद्देश्य को परमेश्वर कैसे पूरा करेगा?”
३ उन व्यक्तियों के पास लौटते वक़्त जिनको आपने “क्या परमेश्वर वास्तव में हमारी परवाह करता है?” ब्रोशर दिया था, आप शायद एक और चर्चा को इस प्रकार शुरू करें:
◼“जब मैं पिछली बार आया था, तब हमने विचार किया था कि परमेश्वर वाक़ई हमारी परवाह करता है और कि जो हानि मनुष्यों ने अपने ऊपर और अपने पार्थिव घर पर लायी है उनको हटाने का उसका उद्देश्य है।” ब्रोशर के पृष्ठ २-३ के चित्रों को खोलकर कहिए: “हमने अपना वार्तालाप इस सवाल के साथ समाप्त किया था कि मानवजाति को आशीषें देने और पृथ्वी को एक परादीस में बदलने के अपने उद्देश्य को परमेश्वर कैसे पूरा करेगा? आपको क्या लगता है?” प्रतिक्रिया के लिए रुकिए। पृष्ठ १७ खोलकर अनुच्छेद २ और दानिय्येल २:४४ पढ़िए। उसके बाद, पृष्ठ १८ पर अनुच्छेद १२ पढ़िए। गृहस्वामी से पूछिए कि क्या वह आपके साथ ब्रोशर के भाग ९ पर विचार करना चाहेगा कि नहीं। यदि वह चाहेगा, तो उसके साथ इसका अध्ययन कीजिए।
४ यहाँ एक प्रस्तुति है जिसे “जब आपके किसी प्रियजन की मृत्यु हो जाती है” (अंग्रेज़ी) ब्रोशर को प्रस्तुत करने में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका आवरण दिखाइए और कहिए:
◼“आज हम इस ब्रोशर को बाँट रहे हैं जिसने ऐसे लाखों लोगों को सांत्वना और आशा दी है जिन्होंने मृत्यु में प्रियजनों को खोया है। क्या आपने कभी सोचा है कि मृत जनों के लिए क्या आशा है? [प्रतिक्रिया के लिए रुकिए।] बाइबल परमेश्वर की पुनरुत्थान की प्रतिज्ञा के बारे में स्पष्ट रूप से बताती है।” यूहन्ना ५:२८, २९ पढ़िए। ब्रोशर खोलकर पृष्ठ २८ के अन्तिम अनुच्छेद और पृष्ठ ३१ के पहले अनुच्छेद में दिए गए मुद्दों पर टिप्पणी कीजिए। साथ में दिए गए चित्रों को दिखाइए। ब्रोशर प्रस्तुत कीजिए। यह पूछने के द्वारा आप पुनःभेंट के लिए नींव डाल सकते हैं, “हम कैसे निश्चित हो सकते हैं कि अंततः मृत्यु को पूरी तरह से हटा दिया जाएगा?”
५ जहाँ आपने “जब आपके किसी प्रियजन की मृत्यु हो जाती है” (अंग्रेज़ी) ब्रोशर दिया है, वहाँ पुनःभेंट में आप शायद इस प्रस्तुति को इस्तेमाल करना चाहें:
◼“जब हमने पहले बात की थी, तब हमने पुनरुत्थान की अद्भुत आशा के बारे में चर्चा की थी। जो ब्रोशर मैंने आपके पास छोड़ा था, वह समझाता है कि हम क्यों निश्चित हो सकते हैं कि अंततः मृत्यु को पूरी तरह से हटा दिया जाएगा। क्या आपने परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं को सांत्वनादायक और आश्वस्त करनेवाली नहीं पाया?” प्रतिक्रिया के लिए रुकिए। फिर ब्रोशर का पृष्ठ ३१ खोलकर और प्रकाशितवाक्य २१:१-४ के साथ दूसरा और तीसरा अनुच्छेद पढ़िए। बिना मरे जीवन का आनन्द उठाने की हमारे पास जो प्रत्याशा है, उसे विशिष्ट कीजिए। दिखायी गयी दिलचस्पी और उस वक़्त की परिस्थितियों पर निर्भर करते हुए, आप शायद ज्ञान पुस्तक से एक बाइबल अध्ययन प्रस्तुत करें या अगली पुनःभेंट की नींव डालने के लिए एक और सवाल पूछें।
६ “जीवन का उद्देश्य क्या है? आप इसे कैसे पा सकते हैं?” ब्रोशर पेश करते वक़्त आप शायद निम्नलिखित कहें:
◼“अनेक लोगों ने सोचा है कि जीवन का उद्देश्य क्या है। उन्होंने अपने आपसे पूछा है: ‘मैं यहाँ क्यों हूँ? मैं कहा जा रहा हूँ? भविष्य में मेरे लिए क्या रखा है?’ आपको क्या लगता है इसका जवाब हम कहाँ पा सकते हैं? [प्रतिक्रिया के लिए रुकिए।] ध्यान दीजिए कि बाइबल क्या कहती है। [भजन ३६:९ पढ़िए।] क्या यह निष्कर्ष निकालना तर्कसंगत नहीं है कि मनुष्य का सृष्टिकर्ता यह समझाने की सर्वोत्तम स्थिति में है कि हम यहाँ क्यों हैं? [प्रतिक्रिया के लिए रुकिए।] यह ब्रोशर उस महान उद्देश्य को दिखाता है जो परमेश्वर ने हमारे लिए रखा है।” पृष्ठ २०-१ खोलिए, चित्र-शीर्षक पढ़िए, और चित्र पर टिप्पणी कीजिए; फिर ब्रोशर प्रस्तुत कीजिए। यदि स्वीकारा जाता है, तो पूछिए: “हम कैसे निश्चित हो सकते हैं कि परमेश्वर का अभी भी यह उद्देश्य है कि मनुष्य पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा के लिए जीएँ?” लौटने के लिए एक समय तय कीजिए।
७ यदि “जीवन का उद्देश्य क्या है? आप इसे कैसे पा सकते हैं?” ब्रोशर दिया गया है तो जब आप लौटते हैं, तब आप कुछ इस प्रकार कह सकते हैं:
◼“अपनी पिछली भेंट में, मैंने आपके साथ बाइबल के इस दृष्टिकोण की चर्चा करने का वास्तव में आनन्द उठाया कि मानव जीवन का वाक़ई एक उद्देश्य है।” पृष्ठ ३१ का चित्र दिखाकर पूछिए, “हम कैसे निश्चित हो सकते हैं कि परमेश्वर की इच्छा अभी भी यह है कि मनुष्यों को पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा के लिए जीना है?” पृष्ठ २० पर अनुच्छेद ३ पढ़िए। पृष्ठ २१ पर, उपशीर्षक “अभी भी परमेश्वर का उद्देश्य” के नीचे दिए गए मुद्दों की चर्चा कीजिए। ब्रोशर का अन्तिम पन्ना खोलकर मुफ़्त गृह बाइबल अध्ययन के प्रस्ताव के बारे में पढ़िए। ज्ञान पुस्तक को प्रस्तुत कीजिए, और प्रदर्शित करके दिखाने का प्रस्ताव रखिए कि बाइबल का अध्ययन करने के लिए एक सहायक के तौर पर हम इसे कैसे इस्तेमाल करते हैं।
८ सत्हृदयी लोगों को ‘सत्य का यथार्थ ज्ञान प्राप्त करने’ में मदद देने के लिए जो निष्कपट दिलचस्पी हममें है, उसे हमारी सेवकाई में प्रतिबिंबित होना चाहिए। (१ तीमु. २:४, NW) इसीलिए, सेवकाई में हिस्सा लेते वक़्त जिन-जिन भाषाओं के लोगों से आपका संभवतः सामना होगा, उन सब भाषाओं में ब्रोशर साथ ले जाइए। ऐसे हरेक व्यक्ति से पुनःभेंट करने के लिए अपनी सेवा सारणी में समय निकालिए जिनको आपने एक ब्रोशर दिया है। उनके लिए आपका वास्तविक चिन्ता प्रकट करना शायद ऐसे लोगों की मदद करने में परिणित होगा जो उत्तरजीविता के वास्ते पहचाने जाने के लिए झूठे धर्म में की जानेवाली घृणित बातों को लेकर सांसे भरते और दुःख के मारे चिल्लाते हैं। (यहे. ९:४, ६) आपको उस आनन्द और संतुष्टि का भी अनुभव होगा जो यह जानने से मिलता है कि दूसरों की निष्कपट रूप से परवाह करने के द्वारा आप यहोवा की नक़ल कर रहे हैं।—फिलिप्पियों २:२० से तुलना कीजिए।