घोषणाएँ
◼ साहित्य भेंट अगस्त: निम्नलिखित किसी भी ३२-पृष्ठवाले ब्रोशरों को ५ रुपए के चंदे पर पेश किया जा सकता है: अनन्त काल तक पृथ्वी पर जीवन का आनन्द लीजिये!, क्या आपको त्रियेक में विश्वास करना चाहिए?, क्या परमेश्वर वास्तव में हमारी परवाह करता है?, जब आपके किसी प्रियजन की मृत्यु हो जाती है (अंग्रेज़ी), जीवन का उद्देश्य क्या है? आप इसे कैसे पा सकते हैं?, “देख! मैं सब कुछ नया कर देता हूँ,” वह परमेश्वरीय नाम जो सर्वदा तक बना रहेगा (अंग्रेज़ी), वह शासन जो प्रमोदवन लाएगा, और हमारी समस्याएँ—उन्हें हल करने में कौन हमारी मदद करेगा? सितम्बर: अपना पारिवारिक जीवन आनन्दित बनाना (अंग्रेज़ी) पुस्तक २० रुपए के चंदे पर। विकल्प के तौर पर या तो आप पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रह सकते हैं या जीवन—यह यहाँ कैसे आया? क्रमविकास से या सृष्टि से? (अंग्रेज़ी) पुस्तक २५ रुपए के चंदे पर (बड़ा संस्करण ४५ रुपए का है) पेश की जा सकती है। अक्तूबर: प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! (अंग्रेज़ी) के लिए अभिदान। अर्धमासिक संस्करणों के लिए एक साल का अभिदान ९० रुपए है। मासिक संस्करणों के लिए एक साल का अभिदान और अर्धमासिक संस्करणों के लिए छः महीने का अभिदान ४५ रुपए है। मासिक संस्करणों के लिए छः महीने का अभिदान नहीं होता है। अगर अभिदान से इंकार किया जाता है, तो पत्रिकाओं की एकल प्रतियों को ४ रुपए प्रति के चंदे पर पेश किया जाना चाहिए। नवम्बर: ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है पुस्तक २० रुपए के चंदे पर। गृह बाइबल अध्ययन शुरू करने के उद्देश्य से सभी वितरणों पर पुनःभेंट करने का ख़ास प्रयास किया जाएगा।
सूचना: हम सभी कलीसियाओं को पारिवारिक और सर्वदा जीवित रहना पुस्तकों का अच्छा प्रयोग करना जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। पूरे साल के दौरान हर समय अपने साथ इन पुस्तकों की प्रतियाँ रखने और हर उपयुक्त मौक़े पर इन्हें पेश करने के लिए प्रकाशकों को प्रोत्साहित किया जा सकता है। जिन कलीसियाओं ने ऊपर बतायी गयी अभियान वस्तुओं का निवेदन अभी तक नहीं किया है, उन्हें अपने अगले साहित्य निवेदन फ़ॉर्म (S-AB-14) पर ऐसा करना चाहिए।
◼ अक्तूबर-दिसम्बर १९९६ अंक से शुरू होते हुए, उर्दू में त्रैमासिक सजग होइए! जर्मनी में रंगीन में छापी जाएगी और साधारण डाक द्वारा भारत की कलीसियाओं को सीधे भेजी जाएगी। कलीसियाएँ जिनके पास पहले ही उर्दू में त्रैमासिक सजग होइए! के लिए ऑर्डर हैं, वे शायद वितरक ऑर्डर (M-229) फ़ॉर्म भेजने के द्वारा अपने ऑर्डर को बढ़ाना चाहें। दूसरी कलीसियाएँ शायद वही फ़ॉर्म का इस्तेमाल करते हुए एक स्थायी ऑर्डर करना चाहें। उर्दू में मासिक प्रहरीदुर्ग का भारत में छापा जाना जारी रहेगा।
◼ प्रत्येक कलीसिया तीन साहित्य सूची फ़ॉर्म (S-AB-18) प्राप्त करेगी। अगस्त के आरम्भ में कलीसिया सचिव को साहित्य सेवक के साथ भेंट करनी चाहिए और महीने के अन्त में कलीसिया के साहित्य स्टॉक की वस्तु-सूची बनाने के लिए एक तारीख़ तय करनी चाहिए। स्टॉक में रखे सारे साहित्य की वास्तविक गिनती की जानी ज़रूरी है, और कुल संख्याओं को साहित्य सूची फ़ॉर्म पर लिखना चाहिए। उपलब्ध पत्रिकाओं की कुल संख्या की जानकारी पत्रिका सेवक से प्राप्त की जा सकती है। कृपया मूल प्रति को सितम्बर ६ तक स्था को भेज दीजिए। अपनी फ़ाइलों के लिए एक कार्बन कॉपी रखिए। तीसरी कॉपी को कार्य-पत्र के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। सचिव द्वारा सूची का निरीक्षण किया जाना चाहिए, और प्रिसाइडिंग ओवरसियर द्वारा भरे गए फ़ॉर्म की जाँच की जानी चाहिए। दोनों, सचिव और प्रिसाइडिंग ओवरसियर फ़ॉर्म पर हस्ताक्षर करेंगे।
◼ कलीसिया सचिव ‘कलीसिया विश्लेषण रिपोर्ट’ फ़ॉर्म (S-10) पर दर्ज़ करने के लिए संख्याओं का भी संकलन करेगा। रिपोर्ट संकलित करने में मदद कर रहे कोई प्राचीन या सहायक सेवक को भी वह ध्यानपूर्वक निर्देशन देगा। यह प्रकाशक रिकार्ड कार्डों (S-21) से जिस जानकारी की ज़रूरत है उसके सही सारणीकरण को निश्चित करेगा। ‘कलीसिया विश्लेषण रिपोर्ट’ फ़ॉर्म सही और साफ़ तरीक़े से भरा जाना चाहिए तथा सेवा कमेटी द्वारा हस्ताक्षर करने से पहले ध्यानपूर्वक इसकी जाँच की जानी चाहिए। कृपया नोट कीजिए कि फ़ॉर्म में दिए गए पहले पाँच बक्सों को औसतन साप्ताहिक सभा उपस्थितियों से भरा जाना है। इनका हिसाब लगाने के लिए, कृपया बक्सों के ऊपर दिए गए निर्देशनों का ध्यानपूर्वक पालन कीजिए। यह भी याद रखिए कि फ़ॉर्म के प्रतिमुख पन्ने पर, अंतिम से एक बक्स पहले में केवल नियुक्त प्राचीनों की संख्या शामिल होनी चाहिए; एवज़ी ओवरसियर सहायक सेवक होते हैं और इसलिए उन्हें अंतिम बक्स की संख्या में शामिल किया जाना चाहिए। कृपया सितम्बर १० तक मूल S-10 फ़ॉर्म स्था को भेज दीजिए; अपनी फ़ाइल के लिए एक कार्बन कॉपी रखिए।
◼ जो प्रकाशक सितम्बर १, से नियमित पायनियर सेवा आरम्भ करने की योजना बनाते हैं, उन्हें देर किए बिना आवेदन भरना चाहिए।