अभिदान को कैसे सँभालें
यह जानना बड़ा संतोषप्रद है कि भारत की शाखा संसार-भर के ४० से भी अधिक देशों में भारतीय भाषाओं में पत्रिकाओं की आपूर्ति करती है। इसके अतिरिक्त, जैसे हम भारतीय भाषा के अभिदानों को दूसरे देशों में भेजते हैं, वैसे ही दूसरी शाखाओं से हमें विदेशी भाषा के अभिदान भेजे जाते हैं, इसलिए हमें भारत, बंग्लादेश और नेपाल के लोगों को, जो विदेशी भाषा बोलते हैं, अपनी भाषा में अभिदान प्राप्त करवाने में सहायता करने का विशेषाधिकार है। अभिदान हासिल करने के आपके प्रयासों के लिए हम आपका धन्यवाद करते हैं, और इस संबंध में एक सकारात्मक रवैया बनाए रखने के लिए हम आपको प्रोत्साहित करते हैं।
२ फिर भी, हम पूरे देश में डाक सेवा द्वारा पत्रिकाओं को भेजने के संबंध में कठिनाइयों का अनुभव करते हैं। अनेक अभिदान और वितरक पत्रिकाएँ नहीं पहुँचाई जा रही हैं; कुछ तो संस्था को अवितरणीय के तौर पर लौटाई जाती हैं। एक विश्लेषण ने प्रकट किया है कि यदि प्रकाशक मामलों को सँभालने में ज़्यादा सचेत एवं तत्पर रहते तो इनमें से अनेक समस्याओं से बचा जा सकता था। इसलिए हम आपको निम्नलिखित मुद्दों पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जिससे बेहतर सेवा निश्चित हो और साथ ही अभिदान को संभालने में अनचाही समस्याओं और विलंब को दूर करने में मदद मिले।
३ पूर्व योजना का परिणाम बेहतर सेवा होगा। (उत्प. ४१:३३-३६; लूका १४:२८-३०) उदाहरण के लिए, जब सहयोगी पायनियर होते हैं तब कलीसियाओं को शायद पत्रिकाओं के लिए ख़ास ऑर्डर करने पड़े। सहयोगी पायनियर के तौर पर कितने नामांकन करते हैं यह देखने के लिए आख़िरी मिनट तक इंतज़ार करने के बजाय, सेवा में हिस्सा लेनेवालों की अनुमानित संख्या पर आधारित, पहले ही ख़ास ऑर्डर दे देना बुद्धिमानी होगी। हालाँकि आपके द्वारा अनुरोध की गई सारी पत्रिकाओं को हम देना चाहते हैं, अनुरोध किए गए अंक की छपाई हो जाने के बाद प्राप्त किए गए ख़ास ऑर्डरों की पूर्ति कर पाना संभव नहीं है। कृपया नोट कीजिए कि जो अंक आप पाना चाहते हैं उस अंक-तिथि से ६० दिन पहले ही आपके ख़ास ऑर्डर संस्था को मिल जाने चाहिए। लेकिन, वर्तमान ऑर्डर या पते में कोई परिवर्तन ४५ दिन के अंदर प्रभावी होगा।
४ सही, पढ़ने-योग्य और पूरा होना किसी भी डाक का सही प्रकार से पहुँचने की कुंजियाँ हैं। जब आप वितरक पत्रिकाओं के लिए अभिदान की परची भरते या पता लिखते हैं, तो कृपया याद रखिए कि इसे उन लोगों द्वारा पढ़े और ठीक-ठीक समझे जाने की ज़रूरत है जो शायद आपके क्षेत्र की जगहों के नाम से वाक़िफ़ न हों। इसलिए, कृपया यह निश्चित कीजिए कि सभी ज़रूरी जानकारी सही क्रम में दी गई है और वह पढ़ने-योग्य हो और सही-सही वर्तनी हो। किसी शहर या डाकघर का नाम, या पिन कोड संक्षिप्त में न लिखें। हर जानकारी को अल्प विराम द्वारा अलग कीजिए और हरेक शब्द के बाद जगह छोड़िए। ग़लत या अपूर्ण जानकारी से या तो विलंब होगा या डाक पहुँचेगा ही नहीं। अभिदान के संबंध में, जो आपने लिखा है उसकी पुष्टि करने के लिए अभिदानकर्ता से पूछना हमेशा अकलमंदी होगी। वितरक पत्रिकाओं का पता एक ऐसा सुविधाजनक स्थान होना चाहिए जिससे कि डाकिया पत्रिकाओं को पहुँचा सके।
५ नवीनतम सेवा फ़ॉर्मों का प्रयोग कीजिए। फ़ॉर्मों की वज़ह से काम आसानी और जल्दी से किया जा सकता है। मसलन, वितरक ऑर्डर (M-AB-202) फ़ॉर्म का प्रयोग करते हुए, आप वितरक पत्रिकाओं के लिए नये ऑर्डर दे सकते हैं, या वर्तमान ऑर्डर को बढ़ा, घटा या रद्द कर सकते हैं, या ख़ास ऑर्डर दे सकते हैं। इसलिए, संस्था को पत्र लिखने के बजाय, जिस उद्देश्य से सेवा फ़ॉर्म दिया गया है, कृपया उसका प्रयोग कीजिए। अभिदान के नवीनीकरण के लिए, कृपया (M-91/M-191) अभिदान-समाप्ति परचियों का प्रयोग करने की कोशिश कीजिए। यदि वे उपलब्ध नहीं हैं, तो आप (रैपर से) अभिदानकर्ता के पते के लेबल को नयी अभिदान परची या नवीनीकरण फ़ॉर्म (M-5/M-105) के साथ लगाकर संस्था को भेज सकते हैं। अभिदान के पते में किसी परिवर्तन को छः सप्ताह पहले ही अभिदान पता-परिवर्तन (M-205) फ़ॉर्म का प्रयोग करते हुए रिपोर्ट कर देनी चाहिए। परिवर्तन करते वक़्त हमेशा नये और साथ ही पुराने पते भेजिए। पत्रिका के रैपर से यदि आप पुराने पते का लेबल भेज सकें तो यह बड़ा ही मददगार साबित होगा। अभिदानकर्ता से कहिए कि पते में किसी परिवर्तन के बारे में स्थानीय डाकघर को इत्तला कर दें, या नए पते पर पत्रिकाओं का आना शुरू होने तक पत्रिकाओं को डाकघर से लाने के लिए कुछ ख़ास प्रबंध करने को कहिए। इसी प्रकार, जब उनकी वितरक पत्रिकाओं के पते में कोई परिवर्तन होता है, तब कलीसियाओं से अपेक्षा की जाती है कि पत्रिकाओं को पुराने पते से या डाकघर से लाने का प्रबंध करें जब तक कि पत्रिकाएँ नए पते पर आना शुरू नहीं हो जातीं।
६ अभिदान को सँभालने में और संस्था द्वारा किसी पूछताछ का जवाब देने में तत्पर रहिए। अभिदान मिलने के बाद अगली सभा में अभिदानों को उसे दे देना चाहिए जिसे कलीसिया में इसके लिए नियुक्त किया गया है। हरेक सप्ताह सचिव को मिले सभी अभिदानों को फिर चाहे वह एक ही क्यों न हो, साप्ताहिक अभिदान (M-AB-203) फ़ॉर्म के साथ सही-सही भरकर संस्था को भेजना चाहिए। मासिक प्रेषित रुपए के साथ भेजने के लिए अभिदान को रोककर नहीं रखना चाहिए। आप जो कुछ भी संस्था को भेजते हैं उसकी एक प्रति अपने पास हमेशा रखिए। प्रकाशकों को यह निश्चित करने के लिए कि अभिदानकर्ता अपनी पत्रिकाओं को पा रहे हैं उन्हें फिर से मिलना चाहिए। आम तौर पर, संस्था को जिस तारीख़ को अभिदान परचियाँ मिली थीं उसके छः सप्ताहों के अंदर ही अभिदानकर्ताओं को अपने अभिदान का पहला अंक मिल जाना चाहिए। जब आप संस्था से कोई नोटिस पाते हैं जैसे कि जाँच नोटिस (M-232), अभिदान-समाप्ति (M-91 या M-191) फ़ॉर्म, अवितरणीय अभिदान जाँच (M-210) फ़ॉर्म इत्यादि, तब कृपया फुर्ती से काम कीजिए। जब आप अवितरणीय अभिदान का पता लगाते हैं, तब अभिदानकर्ता को पत्रिका पहुँचने में संभव रूकावट के बारे में सूचित कर देना चाहिए। लेकिन, जैसे ही संस्था को अवितरणीय अभिदान जाँच परची आपकी टिप्पणियों सहित मिलती है, पत्रिकाओं को भेजना आरंभ किया जाएगा।
७ बिना देर किए वितरक पत्रिकाओं या अभिदानों की अनियमितता की रिपोर्ट कीजिए। अंक-तिथि तक यदि वितरक पत्रिकाओं का कोई अंक आपको नहीं मिला है तब पूरी जानकारी देते हुए, कृपया संस्था को लिखिए। यदि रिपोर्ट करने में आप तत्पर हैं, तो आपने जो खोया है, संस्था शायद उसकी भरपाई कर दे। यदि एक अभिदान नहीं मिल रहा है और संस्था को भेजने के बाद आठ सप्ताह से ज़्यादा समय बीत चुका है, तो कलीसिया द्वारा इसकी रिपोर्ट की जानी चाहिए। यदि पिछले दो मासिक स्टेटमेंट पर इसका शुल्क नहीं लिया गया है तो सचिव को संलग्न पत्र के साथ, साप्ताहिक अभिदान फ़ॉर्म की एक प्रति और साथ ही इससे संबंधित सभी अभिदान परचियों की अनुलिपियाँ डाक द्वारा पुनः भेजनी चाहिए। परंतु, यदि मासिक स्टेटमेंट पर इसका शुल्क लिया गया है, तो केवल उसी अभिदान की परचियाँ एक संलग्न पत्र के साथ यह समझाते हुए भेजिए कि अभिदान का शुल्क तो लिया गया है पर अभी तक मिल नहीं रहा है। कृपया ऐसे साप्ताहिक अभिदान (M-AB-203) फ़ार्म की प्रतियाँ मत भेजिए जिनके शुल्क के लिए जाने का ज़िक्र पहले ही स्टेटमेंट पर दिया गया है।
८ पत्रिकाओं के सही तरह से पहुँचने में स्थानीय डाक के अधिकारियों के साथ अच्छा संबंध एक मुख्य भूमिका निभाता है। यदि हमारे साथ उनकी अच्छी जान-पहचान हो जाए तो हमारे और हमारी पत्रिकाओं के बारे में उनकी कोई भी पूर्वधारणा दूर की जा सकती है। हमारे लिए की गई उनकी महत्त्वपूर्ण सेवा की क़दरदानी की अभिव्यक्तियों का अच्छा परिणाम होगा। (न्यायि. ८:१-३) कलीसिया के अनुभवी भाइयों (और बहनों) का समय-समय पर स्थानीय डाक अधिकारियों से मैत्रीपूर्ण भेंट करना अच्छी बात है। डाकिये के और दूसरे अधिकारियों के घरों पर मैत्रीपूर्ण चर्चा करना, उनके साथ अच्छा संबंध विकसित करने में मददगार साबित हो सकता है। सहयोगी होना, चुनिंदा डाक घरों के लिए उपहार अभिदान पेश करना, और बक्शीश देना, संबंध को बेहतर बनाने के लिए ऐसी कुछ बातें हैं जिन्हें करने की आप सोच सकते हैं।
९ बहसबाज़ कभी न बनिए। जब समय पर आपका डाक पहुँचाने में डाकिया चूक जाए तब भी उसके प्रति कृपालुता से पेश आएँ, यह ध्यान में रखते हुए कि उसे शायद कई समस्याओं और असुविधाओं का सामना करना पड़ा हो। (याकू. ३:१३) अपनी डाक को निकालने में स्थानीय डाकघर को सहयोग दें, ख़ासकर जब भारी वस्तुएँ शामिल हों। ऐसे मामलों में, यह अपेक्षा करने के बजाय कि डाकिया आपके दरवाज़े तक डाक पहुँचाए, यह बेहतर होगा यदि आप डाकघर से अपनी डाक, ख़ासकर पत्रिकाओं के बंडल नियमित रूप से लाने के लिए किसी का प्रबंध कर सकें। लेकिन, आप अपनी डाक के पहुँच जाने के बारे में सूचित किए जाने के लिए डाकिये से अनुरोध कर सकते हैं।
१० यहोवा हमसे अपेक्षा करता है कि हम लोक सेवकों के साथ, अपने व्यवहार में सावधान और व्यवहार-कुशल हों; जिनमें डाक अधिकारी भी शामिल हैं। (मत्ती १०:१६) अभिदान के साथ जो होता है इसका प्रभाव स्थानीय कलीसिया साथ ही संस्था, और सबसे महत्त्वपूर्ण यहोवा के नाम पर पड़ता है। (१ शमू. १६:७ख) इसलिए, अच्छी डाक सेवा पाने के लिए स्थानीय तौर पर आप जो कर सकते हैं उस पर मनन करने के लिए हम आपको प्रोत्साहित करते हैं। हमें भरोसा है कि जब आप संस्था के मार्गदर्शन का पालन करेंगे और स्थानीय डाक अधिकारियों को सहयोग देंगे तो आप अपने लिए अच्छी सेवा प्राप्त करना निश्चित करेंगे।
बेहतर सेवा निश्चित करने के लिए आप क्या कर सकते हैं
(क) अभिदान परचियों को भरते वक़्त कृपया यह निश्चित कीजिए कि सारी ज़रूरी जानकारी बिलकुल सही, पढ़ने-योग्य और सही क्रम में भरी गयी हो। पते में हर जानकारी को अलग करने के लिए अल्प विराम का प्रयोग कीजिए। जो आपने भरा है उसे जाँचने के लिए अभिदानकर्ता से पूछना अकलमंदी है।
(ख) अभिदानकर्ता के नाम के आगे श्री., श्रीमती, कुमारी, या डॉ. इत्यादि, ऐसे उपसर्ग लगाये जा सकते हैं, लेकिन आम तौर पर प्रत्यय की ज़रूरत नहीं पड़ती है।
(ग) डाकघर और शहर का नाम, यहाँ तक कि महानगरों का नाम भी पूरा-पूरा लिखा जाना चाहिए—संक्षिप्त में न लिखें। यदि आप पिन कोड नहीं जानते हैं तो कृपया उसके लिए छोड़ी गई जगह पर एक रेखा खींच दीजिए।
(घ) लिखा गया कलीसिया क्रमांक उस कलीसिया का ही होना चाहिए जिसके क्षेत्र में अभिदानकर्ता रहता है। यदि वह आपकी कलीसिया के क्षेत्र से बाहर रहता है और जिसके क्षेत्र में वह रहता है, आप उस कलीसिया का क्रमांक नहीं जानते हैं तो कृपया क्रमांक के लिए छोड़ी गई जगह पर एक रेखा खींच दीजिए।
(च) परची के ऊपरी दाहिने कोने पर दिए गए भेंट-अभिदान के जाँच बक्स पर निशान लगाना चाहिए। यह निश्चित कीजिए कि भेंट देनेवाले व्यक्ति का नाम और स्थान अभिदान प्राप्त करनेवाले व्यक्ति के बारे में जानकारी के लिए दिए गए रिक्त स्थान में लिखा जाता है।
(छ) भाषा की वर्तनी को पूरी तरह लिखना चाहिए, फिर वह चाहे अंग्रेज़ी में ही अभिदान क्यों न हो। ब्रेल अभिदान के लिए, इसके साथ भाषा का भी ज़िक्र कीजिए। (मसलन: “ब्रेल-अंग्रेज़ी।”) फ़िलहाल, किसी भी भारतीय भाषा में कोई ब्रेल प्रकाशन उपलब्ध नहीं है।
(ज) स्थानीय अभिदान की अवधि कम-से-कम १२ अंकों की है और ज़्यादा-से-ज़्यादा ५ सालों की, लेकिन कोई भी हवाई डाक अभिदान एक से अधिक सालों के लिए प्राप्त नहीं किया जाना चाहिए।
(झ) कृपया नवीनीकरण के लिए अभिदान-समाप्ति परचियों (M-91 और M-191) का प्रयोग कीजिए। यदि वे उपलब्ध नहीं हैं, तो नवीनीकरण फ़ॉर्म (M-5/M-105) का या नयी परचियों का प्रयोग कीजिए। ऐसे मामले में, अभिदानकर्ता ने जो पत्रिकाएँ पायी हैं उनमें से एक के आवरण से उसके पते का लेबल लगा सकें तो अच्छा होगा।
(ट) विशाल-मुद्रण संस्करण कुछ भाषाओं में उपलब्ध हैं (किसी भारतीय भाषा में नहीं) जैसा प्रहरीदुर्ग के पृष्ठ २ पर दिखाया गया है। इसमें केवल अध्ययन लेख हैं।
(ठ) वर्तमान अभिदान की क़ीमतों को पत्रिकाओं में दिखाया गया है। पायनियर क़ीमत और ब्रेल अभिदान की क़ीमत नवीनतम प्रहरीदुर्ग प्रकाशनों की लागत सूची से प्राप्त की जा सकती है यदि हमारी राज्य सेवकाई में घोषणा द्वारा इसकी जानकारी पहले ही नहीं दी गयी है। सचिव को यह निश्चित कर लेना चाहिए कि अभिदान परची पर बतायी गई राशि साप्ताहिक अभिदान फ़ॉर्म की राशि से मेल खाती है।
(ड) भारत से अरब के खाड़ी देशों के अलावा अन्य किसी भी देश को भेजी गई पत्रिकाओं की हवाई डाक अभिदान क़ीमत, साधारण अभिदान क़ीमत से फ़िलहाल ९ रुपए प्रति डाक ज़्यादा है। खाड़ी देशों के सभी अभिदानों को फ़र्स्ट क्लास मेल द्वारा भेजा जाता है और डाक क़ीमत ११ रुपए प्रति डाक है। कृपया दूसरे देशों में छापी गई पत्रिकाओं की नवीनतम हवाई डाक क़ीमत के लिए संस्था से पूछिए।
(ढ) स्थानीय कलीसियाओं के ज़रिए सभी अभिदान भेजें, जिनमें प्रकाशकों के व्यक्तिगत अभिदान भी शामिल हैं। इसी प्रकार, जब संस्था से कुछ पूछताछ करने की आवश्यकता पड़े तो कृपया ऐसा कलीसिया के द्वारा कीजिए। अभिदान पाने के बाद अगली सभा में सारी अभिदान परचियों की अनुलिपि, अभिदान सँभालनेवाले नियुक्त व्यक्ति को दीजिए। सचिव को हरेक सप्ताह प्राप्त सभी अभिदानों को, चाहे वह एक ही क्यों न हो, ठीक-ठीक भरे गए साप्ताहिक अभिदान (M-AB-203) फ़ॉर्म के साथ संस्था को भेज देने चाहिए। मासिक प्रेषित रुपए के साथ भेजने के लिए किसी भी अभिदान को रोककर नहीं रखना चाहिए।
(त) यह निश्चित करने के लिए कि अभिदानकर्ता अपनी पत्रिकाओं को पा रहे हैं अभिदानकर्ताओं को फिर से मिलें। अभिदानकर्ता को पत्रिका(ओं) की अपनी पहली प्रति प्राप्त करने के लिए उस समय से छः सप्ताह लग सकता है जब संस्था को अभिदान परची(परचियाँ) पहुँची थी/थीं।
(थ )संस्था को डाक से परचियाँ भेजने के आठ सप्ताह बाद भी यदि अभिदान नहीं मिले हैं तो कलीसिया के द्वारा इसकी रिपोर्ट करनी चाहिए। यदि पिछले दो मासिक स्टेटमेंट पर इसका शुल्क नहीं लिखा गया है तो सचिव को संलग्न पत्र के साथ, साप्ताहिक अभिदान की एक प्रति और साथ ही अभिदान परचियों से संबंधित सभी अनुलिपियाँ डाक से पुनः भेजनी चाहिए। यदि मासिक स्टेटमेंट पर इसके शुल्क का लिया जाना लिखा है, तो यह समझाते हुए एक संलग्न पत्र के साथ केवल उन्हीं अभिदान परचियों को भेजें, कि अभिदानों का शुल्क लिया गया है लेकिन वे अभी तक प्राप्त नहीं हुए हैं। जब स्टेटमेंट पर पहले ही शुल्क का लिया जाना लिखा हो, तब कृपया साप्ताहिक अभिदान की कोई प्रतियाँ मत भेजिए।
(द) पते में परिवर्तनों को, नये और पुराने दोनों ही पतों के साथ पता-परिवर्तन अभिदान (M-205) फ़ॉर्म का प्रयोग करते हुए, यदि संभव हो, तो छः सप्ताह पहले ही रिपोर्ट कर देना चाहिए। यदि संभव हो, तो कृपया अभिदानकर्ता के पुराने पते को सूचित कर रहे पते का लेबल भी दीजिए। अभिदानकर्ता से कहिए कि पते में परिवर्तन के बारे में डाकघर के अधिकारियों को इत्तला कर दें और/या जब तक नए पते पर पत्रिकाएँ आनी शुरू नहीं हो जातीं, तब तक पुराने पते से पत्रिकाएँ लाने का प्रबंध करें।
(ध) “अवितरणीय अभिदान जाँच” परचियाँ उसे दी जानी चाहिए जिसने अभिदान पाया है ताकि वह अभिदानकर्ता से मिलकर मामले को सुलझा सके। संस्था से ऐसी किसी भी पूछताछ करने के लिए तत्परता दिखाइए।
(न) डाक अधिकारियों के साथ कृपालु और सहयोगी होइए, तब भी जब वे आपकी डाक समय पर देने से चूक जाएँ। इससे शायद वे अच्छा मनोभाव बनाए रखेंगे और यह उनकी किसी भी पूर्वधारणा को हटा देगा।
जैसे-जैसे आप इन निर्देशनों का सावधानी से पालन करते हैं, हमें भरोसा है कि अधिकांश समस्याएँ जिनके कारण अभिदान को सँभालने में देरी होती है हट जाएँगी।