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हमारी राज-सेवा—1997
km 11/97 पेज 3

रंगीन प्रॆस

हम दो रंगीन प्रॆस बिठाने जा रहे हैं और प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! की रंगीन छपाई शुरू करनेवाले हैं, ये ख़ुशखबरी बतानेवाले हमारे जुलाई २, १९९७ के ख़त के प्रति आपकी प्रतिक्रिया के लिए हम आप सभी लोगों के शुक्रगुज़ार हैं। उम्मीद है कि ये प्रॆस अब किसी भी घड़ी भारत में पहुँच जाएँगे, जिनके लिए हमें भुगतान करना होगा—प्रत्येक प्रॆस को प्राप्त करने और बिठाने का ख़र्च क़रीब ७० लाख रुपए अपेक्षित है।

हमारा ख़त मिलने के बाद, अनेक कलीसियाओं और व्यक्‍तियों ने प्रॆस के ख़र्च के लिए प्रहरीदुर्ग प्रकाशन सोसाइटी को दिल खोलकर दान दिया है। कुछ लोग अब भी ऐसा कर रहे हैं, जिसके लिए हम सचमुच कृतज्ञ हैं। इस ख़ास प्रकल्प के लिए अंशदान देने का अवसर अब भी खुला है, और हम आपके जारी सहारे की उम्मीद करते हैं। जो कलीसियाएँ और व्यक्‍ति सीधे अंशदान भेजना चाहते हैं, या बिना ब्याज लिए अपनी पूँजी संस्था के पास जमा करना चाहते हैं, तो उन्हें जुलाई २, १९९७ के हमारे ख़त को देखना चाहिए, और उसमें दिए गए निर्देशों का निकटता से पालन करना चाहिए।

हम दुआ करते हैं कि रंगीन छपाई के इस बदलाव का क्षेत्र पर लाभदायक असर होगा, जिससे सच्चाई के मनभावने शब्दों से भरी हुई हमारी पत्रिकाएँ उन लोगों के लिए और भी आकर्षक बन जाएँगी जो लोग अनंत जीवन के लिए ठहराए गए हैं।—नीति. २५:११; सभो १२:१०; प्रेरि. १३:४८.

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