ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल पुनर्विचार
ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल की कार्य-नियुक्तियों में जनवरी ५ से अप्रैल २०, १९९८, के सप्ताहों में चर्चा किए गए विषय का बंद-पुस्तक पुनर्विचार। नियत समय में जितने सवालों के जवाब आप दे सकते हैं, उनको लिखने के लिए एक अलग काग़ज़ का प्रयोग कीजिए।
[सूचना: लिखित पुनर्विचार के दौरान, किसी भी सवाल का जवाब देने के लिए, सिर्फ़ बाइबल इस्तेमाल की जा सकती है। सवालों के बाद दिए गए हवाले आपकी व्यक्तिगत खोज के लिए हैं। द वॉचटावर और प्रहरीदुर्ग के हवालों में शायद हर जगह पृष्ठ और अनुच्छेद क्रमांक न हों।]
प्रत्येक निम्नलिखित कथन का सही या ग़लत में जवाब दीजिए:
१. प्रेरितों १५:२९ NW में, ये शब्द “तुम्हारा स्वास्थ्य अच्छा रहे” एक ऐसा वादा था कि ‘अगर तुम लहू या व्यभिचार से परहेज करो, तो तुम्हारा स्वास्थ्य बेहतर रहेगा।’ [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९२ ४/१ पृ. २५ अनु. ७ फुट. देखिए।]
२. कुरिन्थ के मसीहियों की आध्यात्मिक ख़ैरियत के लिए गहरी परवाह ने पौलुस को अपने दूसरे मिशनरी दौरे के दरमियान उन्हें अपनी पहली पत्री लिखने के लिए प्रेरित किया। [si पृ. २१० अनु. ३]
३. मिस्रियों की नज़र में, फ़िरौन बाज़-सिर का देवता, स्वयं होरस का अवतार था। [w-HI९६ १/१५ पृ. २४ अनु. १]
४. अंग्रेज़ी शब्द “साइमनी,” या “धर्मपदविक्रय,” जिसे प्रेरितों ८:९-२४ में लेखबद्ध घटना से लिया गया है, जादूई कला के अभ्यास को सूचित करता है। [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९१ १/१ पृ. १३ अनु. ८ देखिए।]
५. रोमियों ८:६, ७ में, “शरीर” विरासत में पायी गयी पापपूर्ण प्रवृत्तियों समेत अपरिपूर्ण मानवों के तौर पर हमारी पतित अवस्था को सूचित करता है। [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९२ १/१ पृ. २४ अनु. ४ देखिए।]
६. चूँकि बाद में यहोवा ने अन्न और भूमि की अन्य उपज की भेंटों को स्वीकार किया, तो प्रत्यक्षतः कैन की भेंट को अस्वीकार किया गया क्योंकि उसके हृदय में कोई ख़राबी थी। (उत्प. ४:३-५) [w-HI९६ ६/१५ पृ. ४ अनु. ८]
७. जैसे-जैसे एक मसीही अपने जीवन में बाइबल के नैतिक और आध्यात्मिक स्तरों को लागू करता है, वह यहोवा के वचन द्वारा स्वच्छ किया जाता है, उन सभी अभ्यासों से ‘धोया जाता’ है जिनसे यहोवा परमेश्वर घृणा करता है। (१ कुरि. ६:९-११) [w-HI९६ १/१ पृ. ३० अनु. ४]
८. खुद प्रेरित पौलुस ने कुरिन्थ में स्तिफनास के घराने के सदस्यों को बपतिस्मा दिया था। [w-HI९६ ६/१५ पृ. २९ अनु. २]
९. प्रेरितों २०:२० में, अभिव्यक्ति “घर घर” मात्र संगी विश्वासियों के घरों में रखवाली की भेंटों को सूचित करती है क्योंकि संदर्भ दिखाता है कि पौलुस कलीसिया के प्राचीनों को संबोधित कर रहा था। [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९२ २/१ पृ. २३ अनु. ५ देखिए।]
१०. अगर हम अपने दिल को आध्यात्मिक बातों की क़दर करना सिखाते हैं, और इसमें परमेश्वर की आत्मा की मदद के लिए प्रार्थना करते हैं, तब हम “शरीर पर मन लगाने” से बचे रहेंगे। (रोमि. ८:६, ७) [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९२ १/१ पृ. २४ अनु. ५ देखिए।]
निम्नलिखित सवालों के जवाब दीजिए:
११. प्रेरितों की पुस्तक में कौन-सा वृत्तांत दिखाता है कि मात्र परमेश्वर के वचन का सुलभ होना और उसे निजी तौर पर पढ़ना, उस यथार्थ ज्ञान को पाने के लिए काफ़ी नहीं है जो व्यक्ति को जीवन के पथ पर चलने में समर्थ करता है? [साप्ताहिक बाइबल पठन; w९१ ९/१ पृ. १९ अनु. १६ देखिए।]
१२. कौन-सी बात को हमें अपने आध्यात्मिक भाइयों का आलोचनात्मक रूप से न्याय करने से रोकनी चाहिए? [w-HI९६ ३/१५ पृ. २२ अनु. ५]
१३. प्रेरितों ११:२६ में, क्यों न्यू वर्ल्ड ट्रांसलेशन यह अभिव्यक्ति “में भगवत्कृपा से मसीही कहलाए” इस्तेमाल करता है, जबकि अन्य बाइबल अनुवादों में “भगवत्कृपा” का विचार शामिल नहीं है? [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९१ १/१ पृ. १५ अनु. १९ देखिए।]
१४. कौन-सी बात एक मसीही पत्नी को अपने पति के लिए गहरा आदर दिखाने में मदद देगी? (इफि. ५:३३) [w-HI९६ ३/१ पृ. २१ अनु. ९]
१५. प्रेरितों १७:११ में किस प्रकार के व्यक्तिगत अध्ययन को प्रोत्साहित किया गया है? [si पृ. २०५ अनु. ३८]
१६. रोम के मसीहियों को लिखी अपनी पत्री में, पौलुस ने यहूदियों व ग़ैर-यहूदियों के बारे में कौन-सी बात दृढ़तापूर्वक स्थापित की थी? [si पृ. २०६ अनु. २]
१७. रोमियों १२:२ के मुताबिक़, परमेश्वर के वचन की शक्ति से किस हद तक मसीहियों के व्यक्तित्व बदल जाते हैं? [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९० ११/१ पृ. २३ अनु. ३ देखिए।]
१८. रोमियों ११:२५ में पौलुस द्वारा ज़िक्र किया गया “पवित्र भेद” (NW) क्या है? [साप्ताहिक बाइबल पठन; w८३ ८/१५ पृ. १६ अनु. १६ देखिए।]
१९. मसीही कलीसिया अपश्चातापी ग़लती करनेवालों को बहिष्कृत करने में न्यायसंगत क्यों ठहरती है? (१ कुरि. ५:११, १३) [साप्ताहिक बाइबल पठन; g-HI९६ १०/८ पृ. २६ अनु. २-३ देखिए।]
२०. अपने विरोधी के सिर पर आग के अंगारों का ढेर लगाना दुष्टता पर विजय पाने में कैसे मदद करेगा? (रोमि. १२:२०, २१) [साप्ताहिक बाइबल पठन; g८६ १/२२ पृ. ६ अनु. ५ देखिए।]
प्रत्येक निम्नलिखित कथन को पूरा करने के लिए आवश्यक शब्द या वाक्यांश दीजिए:
२१. फिलिप्पुस ने कूशी खोजे को समझाया कि _________________________ की भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई, और जानकारी प्राप्त करने पर, इस व्यक्ति ने नम्रतापूर्वक _________________________ का निवेदन किया। (प्रेरि. ८:२८-३५) [si पृ. २०४ अनु. ३३]
२२. जब _________________________ के विषय पर बहस चल रही थी, तब _________________________ ने यह कहने के द्वारा अपने फ़ैसले का समर्थन किया: “इस से भविष्यद्वक्ताओं की बातें मिलती हैं, जैसा लिखा है।” (प्रेरि. १५:१५-१८) [साप्ताहिक बाइबल पठन; si पृ. २०४ अनु. ३३ देखिए।]
२३. _________________________ का गुण हमें ‘अपनी अपेक्षा दूसरों को उत्तम समझने’ में समर्थ करता है, जबकि _________________________ हमें ‘दुष्टता के वक़्त नियंत्रित’ रखती है। (फिलि. २:३, NHT; २ तीमु. २:२४, २५ NW) [w-HI९६ ५/१५ पृ. २१ अनु. ५]
२४. रोमियों अध्याय ११ में पौलुस के लाक्षणिक जलपाई के वृक्ष के दृष्टांत के मुताबिक़, जिस प्रकार इस्राएल के १२ गोत्र इसहाक के ज़रिए इब्राहीम से उत्पन्न हुए थे, उसी प्रकार _________________________ के १२ लाक्षणिक गोत्र _________________________ के ज़रिए _________________________ से उत्पन्न हुए हैं। [साप्ताहिक बाइबल पठन; w८३ ८/१५ पृ. १६ अनु. १५ देखिए।]
२५. जिस तरह यहोवा ने _________________________ के वीराने में पड़ाव डाले इस्राएलियों को संभाला, उसी तरह वह हमें इस _________________________ में संभाल सकता है। [w-HI९६ ८/१५ पृ. ७ अनु. १-२]
प्रत्येक निम्नलिखित कथनों में से सही जवाब चुनिए:
२६. प्रेरितों अध्याय १७ में अपने भाषण में, पौलुस ने होशियारी से जीवित परमेश्वर की (सर्वसत्ता; धार्मिकता; प्रेम) को स्थापित किया। [साप्ताहिक बाइबल पठन; si पृ. २०४ अनु. ३७ देखिए।]
२७. (पौलुस; पतरस; लूका) ने शास्त्र की जाँच करने में उनकी मेहनत की वज़ह से (बिरीया; मैसॆडोनिया; यरूशलेम) के लोगों को स्नेहपूर्ण रीति से सराहा। (प्रेरि. १७:११) [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९५ ५/१ पृ. १४ अनु. ३ देखिए।]
२८. रोमियों १:२५ में उल्लेख किए गए झूठ, या असत्य का ताल्लुक (मूर्तिपूजा; अशुद्ध लैंगिक कार्यों; झूठ बोलने की आदत) से है। [साप्ताहिक बाइबल पठन; w९१ ११/१५ पृ. ६ अनु. ६ देखिए।]
२९. असल में, जब काम बिगड़ जाते हैं तो प्रायः दोष (लोगों; परमेश्वर व मसीह; शैतान व पिशाचों) का होता है। [w-HI९६ ९/१ पृ. ५ अनु. ३]
३०. पौलुस ने कुरिन्थियों को अपनी पहली पत्री (रोम; इफिसुस; कुरिन्थ) में रहते वक़्त लगभग सा.यु. वर्ष (५२; ५५; ५६) में लिखी। [si पृ. २१० अनु. ३]
निम्नलिखित शास्त्रवचनों का नीचे सूचीबद्ध कथनों के साथ सुमेल कीजिए:
नीति. १७:२७; सभो. ९:११; मत्ती १०:१६; प्रेरि. १०:३४, ३५; २ कुरि. ४:१८
३१. यहोवा के सेवक होने के नाते, हमें सभी जातीय समूहों के लोगों को जैसे वह देखता है, वैसे देखना चाहिए। [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI८९ ८/१ पृ. ८ अनु. ६ देखिए।]
३२. हमें अपनी आँखें मसीही जीवनरीति के सुखद परिणामों पर लगाए रखते हुए अपनी वर्तमान परिस्थितियों के आगे देखना चाहिए। [w-HI९६ २/१५ पृ. २७ अनु. ३-४]
३३. समझ और भाईचारे का प्रेम हमें, जो चोट पहुँचाता है उसे कह देने के आवेग पर नियंत्रण रखने में मदद करेंगे। [w-HI९६ ५/१५ पृ. २२ अनु. ७]
३४. जब सताहट का सामना करना पड़े, तो सच्चे मसीहियों को दूसरों को राज्य सन्देश की घोषणा करने में चतुरता व पवित्रता को साथ मिलाने की ज़रूरत है। [w-HI९६ ७/१५ पृ. २२ अनु. ५]
३५. यह विश्वास करने का कोई कारण नहीं है कि दुर्घटनाओं के पीछे सृष्टिकर्ता है या दुर्घटनाओं के शिकारों को किसी तरह से दण्ड मिला रहा है। [w-HI९६ ९/१ पृ. ५ अनु. ४]