ज़रूरत है—अधिक बाइबल अध्ययनों की
यहोवा परमेश्वर अपने पार्थिव संगठन पर लगातार वृद्धि की आशीष बरसा रहा है। पिछले सेवा वर्ष के दौरान संसार भर में ३,७५,९२३ लोगों ने बपतिस्मा लिया—हर दिन औसतन १,००० से ऊपर या हर घंटे करीब ४३ नए चेले बने! संसार के अनेक भागों में हमारे भाइयों ने शायद दशकों से कठिनाइयाँ झेली हों फिर भी राज्य का काम फल-फूल रहा है और असाधारण वृद्धि को देखा जा रहा है। सुसमाचार फैलाने में हुई तरक्की के बारे में सुनना क्या ही रोमांचक है!
२ भारत की शाखा में भी हमने पिछले सेवा वर्ष के दौरान औसत कुल प्रकाशकों और सहयोगी पायनियरों में, प्रचार में बिताए गए घंटों में और पुस्तक, पुस्तिकाओं, ब्रोशरों तथा पत्रिकाओं के वितरण में वृद्धि देखी है। बपतिस्मा-प्राप्त लोगों की संख्या में वृद्धि हुई और स्मारक उपस्थिति में अब तक का सबसे ऊँचा शिखर प्राप्त हुआ। पुनःभेंट और बाइबल अध्ययन की गतिविधियों के बारे में क्या खबर है? भले ही प्रकाशकों में आठ प्रतिशत की वृद्धि हुई है पर पुनःभेंट में केवल मामूली वृद्धि हुई है—बस ०.५ प्रतिशत—और बाइबल अध्ययनों में चार प्रतिशत की घटी हुई है। और सेवकाई के ये पहलू ही हमारे चेला बनाने के काम में ज़रूरी हैं। पुनःभेंट और बाइबल अध्ययनों के इस नकारात्मक रुख को बदलने के लिए हम सभी क्या कर सकते हैं?
३ अध्ययन संचालित करने की इच्छा को तीव्र कीजिए: आध्यात्मिक रूप से मज़बूत और सक्रिय होने के लिए हमें खुद अपनी ओर ध्यान देना है। मसीह के सच्चे अनुयायी “भले कामों में सरगर्म” होते हैं। (तीतु. २:१४) जब हम अपनी सेवकाई पर पुनर्विचार करते हैं तब क्या हम कह सकते हैं कि हमने क्षेत्र में जहाँ कहीं भी साहित्य पेश किया है वहाँ दोबारा जाने के लिए बेताब रहते हैं? दिलचस्पी दिखानेवाले सभी लोगों को क्या हम गृह बाइबल अध्ययन पेश करने के लिए उत्साह दिखाते हैं? (रोमि. १२:११) या फिर हमें पुनःभेंट और गृह बाइबल अध्ययन शुरू करने के लिए और भी तीव्र इच्छा विकसित करने की ज़रूरत है?
४ व्यक्तिगत बाइबल पठन, सभाओं में नियमित उपस्थिति और प्रकाशनों का अध्ययन हमें आध्यात्मिक रूप से तरोताज़ा रखेगा और परमेश्वर की आत्मा से समर्थ करेगा। (इफि. ३:१६-१९) यह यहोवा में हमारा विश्वास और भरोसा बढ़ाएगा तथा अपने संगी मनुष्यों के लिए हमारा प्रेम और भी गहरा करेगा। हम दूसरों को सच्चाई सिखाने के लिए प्रेरित होंगे और इस तरह अपनी सेवकाई दिलचस्प, सफल और उत्तेजक बनाएँगे। बेशक, हमारे अंदर और बाइबल अध्ययन प्राप्त करने की इच्छा होनी चाहिए!
५ पहले अपने परिवार के साथ अध्ययन कीजिए: जिन मसीही माता-पिताओं के बच्चे घर में ही रहते हैं, उन्हें अपने नियमित बाइबल अध्ययन के कार्यक्रम में दिलचस्पी लेनी चाहिए। (व्यव. ३१:१२; भज. १४८:१२, १३; नीति. २२:६) माता-पिताओं के लिए अपने बच्चों के साथ पहले माँग ब्रोशर और फिर ज्ञान पुस्तक से अध्ययन करना बहुत लाभदायक होगा क्योंकि यह बच्चों को बपतिस्मा-रहित प्रकाशक बनने और समर्पण तथा बपतिस्मा के योग्य बनाएगा। अवश्य ही बच्चे की ज़रूरत और उम्र के हिसाब से अतिरिक्त विषय पर भी चर्चा की जा सकती है। जो माता या पिता अपने बपतिस्मा-रहित बच्चे के साथ अध्ययन करते हैं वे अध्ययन, समय और पुनःभेंट गिन सकते हैं जैसा कि मई १९८७ की हमारी राज्य सेवकाई के प्रश्न बक्स में बताया गया है।
६ व्यक्तिगत व्यवस्था में सुधार कीजिए: जिस संख्या में पत्रिकाओं, ब्रोशरों और पुस्तकों को वितरित किया गया है, उसे देखते हुए कोई संदेह नहीं रह जाता कि बड़े पैमाने पर बीज बोए गए हैं। सत्य के ये बीज जो बोए गए हैं, इनमें नए चेले उत्पन्न करने की ज़बरदस्त संभावना है। लेकिन क्या एक किसान या एक बागवान वास्तव में संतुष्टि पा सकता है अगर वह लगातार बोता रहे और फिर सारी मेहनत के बाद काटने के लिए समय न निकाले? हरगिज़ नहीं। उसी प्रकार सेवकाई में दोबारा भेंट करना ज़रूरी है।
७ पुनःभेंट करने के लिए क्या आप नियमित रूप से कुछ समय तय करते हैं? जहाँ भी दिलचस्पी दिखाई गई है वहाँ तुरंत भेंट कीजिए। बाइबल अध्ययन शुरू करने के लक्ष्य के साथ पुनःभेंट कीजिए। क्या आप अपनी पुनःभेंटों का रिकॉर्ड स्पष्ट, दिनाप्त और सुव्यवस्थित रखते हैं? गृहस्वामी के नाम और पते के साथ पहली भेंट की तारीख, साहित्य, चर्चा किए विषय का संक्षिप्त विवरण और ऐसा मुद्दा जिस पर अगली भेंट में चर्चा छेड़ी जा सकती है, लिखना न भूलिए। अपनी रिकॉर्ड परची पर कुछ जगह छोड़िए ताकि हर पुनःभेंट के बाद उसमें अतिरिक्त जानकारी लिखी जा सके।
८ पुनःभेंट किस तरह करनी है इसकी जाँच कीजिए: दिलचस्पी रखनेवाले से पुनःभेंट करते वक्त कौन-सी बातें मन में रखनी चाहिए? (१) स्नेही, दोस्ताना, उत्साही और सहज रहिए। (२) ऐसे विषयों या प्रश्नों पर चर्चा कीजिए जो उसे रुचिकर लगें। (३) चर्चा को सरल, दिलचस्प और शास्त्र पर आधारित रखिए। (४) हर भेंट के दौरान, गृहस्वामी को कुछ ऐसा सिखाने की कोशिश कीजिए जो उसे व्यक्तिगत रूप से महत्त्व का लगे। (५) अगली भेंट में जिस विषय पर चर्चा की जाएगी उसके लिए उत्सुकता जगाइए। (६) ज़्यादा समय तक मत रुकिए। (७) ऐसे प्रश्न मत पूछिए जो गृहस्वामी को उलझन में डाल दे या समस्या खड़ी कर दे। (८) समझ का इस्तेमाल कीजिए ताकि गृहस्वामी के ऐसे गलत दृष्टिकोण या बुरी आदतों की निंदा न कर बैठें जब तक कि वह आध्यात्मिक बातों के लिए कदरदानी नहीं दिखाता।—पुनःभेंट और बाइबल अध्ययन शुरू करने में कैसे सफल हों, इस पर अतिरिक्त मदद के लिए मार्च १९९७ की हमारी राज्य सेवकाई का अंतःपत्र देखिए।
९ हर संभावना को खोज निकालिए: एक कलीसिया के लिए किसी अपार्टमेन्ट के सभी किराएदारों के फ्लैट नंबर और नाम पाना संभव हुआ जहाँ कड़ी-सुरक्षा का प्रबंध था। हर निवासी को एक निजी पत्र लिखकर दो ट्रैक्ट भी भेजे गए। पत्र के अंत में एक गृह बाइबल अध्ययन की पेशकश की गई थी और स्थानीय फोन नंबर भी लिखा गया ताकि वे जवाब दे सकें। कुछ ही दिनों के अंदर एक युवक ने फोन करके अध्ययन के लिए निवेदन किया। दूसरे दिन पुनःभेंट की गई और ज्ञान पुस्तक से अध्ययन शुरू हुआ। उसी रात वह कलीसिया पुस्तक अध्ययन में हाज़िर हुआ और फिर लगातार हर सभा में आने लगा। लगभग तभी से वह नियमित रूप से रोज़ाना बाइबल पढ़ने लगा और वह बपतिस्मे की ओर प्रगति करता गया।
१० प्रकाशकों के एक समूह ने मिलकर कुछ पुनःभेंट करने की योजना बनाई। जब एक बहन ने अपनी एक पुनःभेंट की तो जिससे वह मिलना चाहती थी वह घर पर नहीं थी, लेकिन वहाँ दूसरी स्त्री दरवाज़े पर मिली, जिसने कहा: “मैं आपका ही इंतज़ार कर रही थी।” गृहस्वामी ने ज्ञान पुस्तक पहले किसी परिचित से पाई थी। जब बहनें उसके घर पहुँची थीं तब तक वह पूरी पुस्तक दो बार पढ़ चुकी थी और उसमें दी गई जानकारी से बहुत प्रभावित हुई थी। उसने कहा कि उस दिन वह साक्षियों को अपने दरवाज़े पर देखकर हैरान नहीं हुई क्योंकि वह प्रार्थना कर रही थी कि कोई आए और उसके साथ बाइबल अध्ययन करे। अध्ययन शुरू किया गया और वह कलीसिया की सभाओं में आने लगी तथा उसने तेज़ी से प्रगति की।
११ एक बहन जिसका बपतिस्मा करीब २५ साल पहले हुआ था, उसने हाल ही में अपनी माँ को ज्ञान पुस्तक दी। उसकी माँ ने, जो चर्च की सदस्य थी पुस्तक को पढ़ना शुरू किया। दो अध्याय खत्म करने के बाद उसने बेटी को फोन किया तो बेटी हैरान रह गई जब माँ ने कहा: “मैं एक यहोवा की साक्षी बनना चाहती हूँ!” माँ ने अध्ययन शुरू किया और अब वह एक बपतिस्मा-प्राप्त साक्षी है।
१२ इन सुझावों को आज़माकर देखिए: क्या आपने कभी अध्ययन शुरू करने के लिए सीधे प्रस्ताव रखा है? आप बस ऐसा कह सकते हैं: “अगर आप मुफ्त में गृह बाइबल अध्ययन करना चाहते हैं तो चंद मिनटों में मैं आपको बता सकता हूँ कि इसे कैसे किया जाता है। अगर आपको अच्छा लगे तो ज़ारी रख सकते हैं।” जब इस तरह कहा जाता है तब कई लोग इस पेशकश को स्वीकारने से और बाइबल अध्ययन के प्रदर्शन को देखने से झिझकते नहीं हैं।
१३ अध्ययन की शुरूआत से ही, उद्धृत शास्त्रवचनों को पढ़ने और छपे हुए प्रश्नों के उत्तर में मुख्य शब्दों को रेखांकित करने के द्वारा विद्यार्थी को दिखाइए कि पूर्व तैयारी ऐसे की जाती है। मुख्य मुद्दों पर ही ध्यान केंद्रित कीजिए। हालाँकि पहली कुछ बैठकों में हमें थोड़ा-बहुत समंजन करने की ज़रूरत होगी, फिर भी बाइबल अध्ययन को नियमित रूप से किया जाना महत्त्वपूर्ण है। यह ध्यान रखिए कि प्रार्थना अध्ययन का एक अहम हिस्सा है यह बात आप विद्यार्थी को पहली बार कैसे बताएँगे और विरोध का सामना करने के लिए उसे शास्त्रीय तौर पर कैसे तैयार करेंगे। अध्ययन दिलचस्प बनाने के लिए पूरी-पूरी कोशिश कीजिए।
१४ बेशक, हर बाइबल विद्यार्थी एक ही रफ्तार से प्रगति नहीं करता। कुछ लोगों का औरों की तरह आध्यात्मिकता की ओर इतना झुकाव नहीं होता न ही वे सिखायी गई बातों को इतनी जल्दी समझ पाते हैं। दूसरे हैं जिनका जीवन बहुत ही व्यस्त रहता है और शायद एक हफ्ते में एक अध्याय खत्म करने के लिए ज़रूरी समय न दे पाएँ। इसलिए कुछ मामलों में अमुक अध्यायों को पूरा करने के लिए शायद एक से ज़्यादा बैठकें करने की ज़रूरत पड़े और पुस्तक को पूरा करने के लिए कुछ अतिरिक्त महीने लगें। कुछ मामलों में हम शायद पहले माँग ब्रोशर से अध्ययन करें और फिर ज्ञान पुस्तक की ओर जाएँ; दूसरों में ज्ञान पुस्तक खत्म करने के बाद हम शायद माँग ब्रोशर से अध्ययन करना उपयुक्त पाएँ। इसके साथ-साथ कलीसिया सभाओं में विद्यार्थी की उपस्थिति, सच्चाई में एक मज़बूत नींव बनाने के लिए उसकी मदद करेगी।
१५ और सबसे महत्त्वपूर्ण, बाइबल अध्ययन पाने के लिए प्रार्थना कीजिए! (१ यूह. ३:२२) यीशु मसीह का चेला बनने में दूसरों की मदद करने के लिए एक मसीही का यूँ यहोवा द्वारा इस्तेमाल किया जाना उसके लिए बहुत ही बेहतरीन अनुभव है। (प्रेरि. २०:३५; १ कुरि. ३:६-९; १ थिस्स. २:८) बाइबल अध्ययन के काम में बड़ा जोश दिखाने का समय अब है। अधिक बाइबल अध्ययन शुरू करने के अपने प्रयास पर यहोवा की भरपूर आशीष पाने का भरोसा रखिए!
[पेज 3 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
नया बाइबल अध्ययन शुरू करने के लिए क्या आप प्रार्थना कर रहे हैं?