हमारे ब्रोशरों का अध्ययन करना
फरवरी १९९८ की हमारी राज्य सेवकाई में जैसा बताया गया था कि ४ मई से १४ सितंबर १९९८ तक के सप्ताहों के दौरान हम अपने कलीसिया पुस्तक अध्ययन में एक के बाद एक तीन ब्रोशरों का अध्ययन करेंगे। हर महीने हमारी राज्य सेवकाई में दी जानेवाली सारणी से आप देखेंगे कि सब लोगों के लिए एक किताब और क्या परमेश्वर वास्तव में हमारी परवाह करता है? इनका अध्ययन कुछ तेज़ी से किया जाएगा। इसलिए संचालक और उपस्थित जनों को अच्छी तैयारी करने और तत्परता से जवाब देने की ज़रूरत है। चूँकि सब लोगों के लिए एक किताब में सवाल नहीं छापे गए हैं, अनुच्छेद के मुख्य मुद्दों को स्पष्ट करने के लिए हर संचालक को खुद ही सवाल तैयार करने पड़ेंगे। सारणी में दिए गए सभी अनुच्छेदों को पढ़ना शायद संभव न हो, लेकिन संचालक को ध्यान रखना है कि महत्त्वपूर्ण अनुच्छेद पढ़े जाएँ। ब्रोशरों का तेज़ी से अध्ययन करना हमें इनके पूरे विषय से परिचित कराएगा ताकि भविष्य में जब हम किसी खास मुद्दे की तलाश कर रहे हों तो हमें पता हो कि कहाँ देखना है।
दूसरी ओर परमेश्वर हमसे क्या माँग करता है? ब्रोशर से हर अध्ययन के दौरान मात्र तीन पाठों का अध्ययन किया जाएगा ताकि सभी अनुच्छेदों को पढ़ने, सभी या अधिकांश उद्धृत शास्त्रवचनों को पढ़कर उनकी चर्चा करने साथ ही सोची-विचारी टिप्पणियाँ देने के लिए काफी समय मिले। इसके लिए भी सभी को अपनी ओर से अच्छी तैयारी करने की ज़रूरत है। चूँकि इसी ब्रोशर से हम अकसर अपने बाइबल विद्यार्थियों के साथ अध्ययन करते हैं, संचालक को प्रदर्शित करना चाहिए कि जिसे बाइबल के बारे में बहुत कम या बिलकुल ज्ञान नहीं है ऐसे व्यक्ति के साथ इसका अध्ययन किस तरह करें, अनावश्यक जानकारी दिए बिना कैसे शास्त्रीय विषयों पर स्पष्ट रीति से तर्क करें और यहोवा के स्तरों के लिए हार्दिक मूल्यांकन विकसित करने में कैसे इस ब्रोशर की सहायता से नए लोगों की मदद करें। पाठ १६ के अध्ययन के बाद जब पूरे ब्रोशर पर पुनर्विचार किया जाएगा, संचालक विशेषकर सिखानेवाले मुद्दों पर पुनर्विचार कर सकता है जिनका प्रयोग बाइबल अध्ययन के काम में किया जा सकता है। इस प्रकार अध्ययन करने से परमेश्वर के वचन के शिक्षकों के तौर पर हमारा कौशल बढ़ेगा और परमेश्वर हमसे जो माँग करता है वह करने के लिए हमारा निश्चय दृढ़ होगा।—भज. १४३:१०; यशा. ५०:४.