ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल पुनर्विचार
ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल की कार्य-नियुक्तियों में मई ४ से अगस्त २४, १९९८ के सप्ताहों में चर्चा किए गए विषय का बंद-पुस्तक पुनर्विचार। नियत समय में जितने सवालों के जवाब आप दे सकते हैं, उनको लिखने के लिए एक अलग काग़ज़ का प्रयोग कीजिए।
[सूचना: लिखित पुनर्विचार के दौरान, किसी भी सवाल का जवाब देने के लिए, सिर्फ़ बाइबल इस्तेमाल की जा सकती है। सवालों के बाद दिए गए हवाले आपकी व्यक्तिगत खोज के लिए हैं। द वॉचटावर और प्रहरीदुर्ग के हवालों में शायद हर जगह पृष्ठ और अनुच्छेद क्रमांक नहीं दिए गए हों।]
प्रत्येक निम्नलिखित कथन का सही या गलत में जवाब दीजिए:
१. बाइबल रिकॉर्ड के अनुसार पौलुस तीन बार कुरिन्थ गया। [५, si पृ. २१४ अनु. ३]
२. शव-दाह की राख को छितराना शास्त्र की असहमति में है। [२, w-HI९६ ९/१५ पृ. ३० अनु. ७-पृ. ३१ अनु. १]
३. राज्य हितों को बढ़ावा देने के लिए अत्यधिक जोश यह न्यायसंगत नहीं ठहराता कि दूसरों के साथ व्यवहार करते वक्त व्यवहार-कुशलता, तदनुभूति और सौम्यता की कमी दिखाएँ। (१ कुरि. १३:२, ३) [३, साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९५ १०/१५ पृ. ३१ अनु. ४ देखिए।]
४. स्वर्गीय जीवन के लिए पुनरुत्थान को ‘पहिला पुनरुत्थान’ कहा जाता है, जो समय और श्रेणी में पहला है। (प्रका. २०:६) [६, w-HI९६ १०/१५ पृ. ६ अनु. ५]
५. गलतियों ५:२६ (NW) का वचन सब प्रकार के प्रतिस्पर्धी खेलों को वर्जित करता है। [९, साप्ताहिक बाइबल पठन; g-HI९६ १/८ पृ. २७ अनु. ९ देखिए।
६ जब पौलुस ने २ कुरिन्थियों १०:४ में कहा कि “हमारी लड़ाई के हथियार शारीरिक नहीं” तब वह ज़ोर दे रहा था कि झूठी शिक्षाओं से कलीसिया की रक्षा करने के लिए मसीहियों को शारीरिक हथियारों का सहारा नहीं लेना चाहिए जैसे कि कपट, आडंबरपूर्ण बोली या सांसारिक हथियार। [७, साप्ताहिक बाइबल पठन; rs पृ. २७१ अनु. ३ देखिए।]
७. फिलिप्पी में कलीसिया स्थापित करने के कुछ महीनों बाद ही पौलुस ने फिलिप्पियों को पत्री लिखी; और वह इसे उनके बीच उठी गंभीर समस्याओं की वज़ह से लिखने को प्रेरित हुआ। [१२, si पृ. २२४ अनु. ३]
८. जैसा १ तीमुथियुस ३:१६ में ज़िक्र किया गया है, यीशु “आत्मा में धर्मी ठहरा” जब उसे आत्मिक जीवन में पुनरुत्थित कर प्रतिफल दिया गया और यह परमेश्वर के घोषित करने के बराबर था कि यीशु संपूर्ण रूप से धर्मी है और अधिक उन्नत नियतकार्य सौंपे जाने के योग्य है। [१६, साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९० ८/१ पृ. १७ अनु. १२ देखिए।]
९. फिलिप्पियों १:२३ में “कूच” का उल्लेख प्रत्यक्षतः पौलुस की मृत्यु के तुरन्त बाद मसीह के साथ होने की संभावना को सूचित करता है। [१२, साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९५ ३/१ पृ. ३० अनु. ४ देखिए।]
१०. पौलुस ने १ तीमुथियुस, रोम में अपने पहली बार कैद से रिहा होने के बाद और वहाँ अपने आखिरी बार कैद होने से पहले की समयावधि के दौरान लिखा था। [१६, si पृ. २३४ अनु. २]
निम्नलिखित सवालों के जवाब दीजिए:
११. कुरिन्थ में किस तरह कुछ लोग “अनुचित रीति” से प्रतीकों के खाने पीने में हिस्सा लेते थे, जब वे मसीह की मृत्यु का स्मारक समारोह मनाने के लिए साथ मिलते थे? (१ कुरि. ११:२७) [२, साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९१ २/१ पृ. २९ अनु. १७ देखिए।]
१२. किन लोगों की उपस्थिति ने कुरिन्थ की कलीसिया के कल्याण के लिए खतरा पैदा किया था, जिससे कि पौलुस कुरिन्थ को अपनी दूसरी पत्री लिखने के लिए प्रेरित हुआ? [५, si पृ. २१४ अनु. २]
१३. एक मसीही को क्षमा माँगने के लिए क्यों तैयार होना चाहिए तब भी जब उसे लगे कि उसने कोई ग़लत काम नहीं किया? [१, w-HI९६ ९/१५ पृ. २२ अनु. ४, ७]
१४. इफिसियों को लिखी पौलुस की पत्री, “भेद” के कौन-से महत्त्वपूर्ण पहलू को स्पष्ट करती है? (इफि. ३:४-६) [११, si पृ. २२३ अनु. १८]
१५. पौलुस ने जिस तरह परमेश्वर के वचन का इस्तेमाल किया है, वह कैसे आज मसीही सेवकों के लिए शानदार उदाहरण प्रस्तुत करता है? [७, si पृ. २१७ अनु. १९]
१६. प्रेरित पौलुस का क्या अर्थ था जब उसने कहा कि व्यवस्था “अपराधों के कारण बाद में दी गई”? (गल. ३:१९) [८, साप्ताहिक बाइबल पठन; uw पृ. १४७ अनु. ३-४ देखिए।]
१७. फिलिप्पियों १:३-७ में पौलुस किन कारणों से भाइयों की सराहना करता है और उनके उदाहरण से हम कैसे लाभ पा सकते हैं? [१२, si पृ. २२५ अनु. १२]
१८. सभी मसीही सेवकों को कुलुस्सियों ४:६ में दी गई सलाह पर क्यों चलना चाहिए? [१३, si पृ. २२८ अनु. १३]
१९. प्रेरित पौलुस का क्या अर्थ था जब उसने कहा कि वह चाहता है कि स्त्रियाँ ‘शालीनता के साथ अपने आप को सुसज्जित करें’? (१ तीमु. २:९), (NHT) [१६, साप्ताहिक बाइबल पठन; g९० ६/२२ पृ. १९ अनु. २ देखिए।]
२०. पहला तीमुथियुस ६:४ में दिए “शब्दों पर तर्क करने” से संबंधित पौलुस की चेतावनी की ओर मसीहियों को क्यों ध्यान देना चाहिए? [१७, si पृ. २३६ अनु. १५]
प्रत्येक निम्नलिखित कथन को पूरा करने के लिए आवश्यक शब्द या वाक्यांश दीजिए:
२१. दूसरा कुरिन्थियों_________________________से लिखा गया था और प्रत्यक्षतः_________________________द्वारा पहुँचाया गया था। [५, si पृ. २१४ अनु. २]
२२. _________________________को अच्छी तरह समझने के लिए कुरिन्थियों को लिखी पौलुस की पहली पत्री बहुत लाभदायक है, जिसमें उसके बहुत से उद्धरण दिए गए हैं। [४, si पृ. २१३ अनु. २३]
२३. गलतियों को लिखी अपनी पत्री में पौलुस ने साबित किया कि एक व्यक्ति मसीह यीशु में_________________________करने से धर्मी ठहरता है, न कि_________________________के कामों द्वारा और इसीलिए मसीहियों को_________________________कराना अनावश्यक है। [८, si पृ. २१८ अनु. ६]
२४. थिस्सलुनीकियों की अपनी पहली पत्री में पौलुस चार बार यीशु मसीह की_________________________(NW) का ज़िक्र करता है, प्रत्यक्षः इसलिए कि कलीसिया को इस शिक्षा में दिलचस्पी थी। [१४, si पृ. २३१ अनु. १५]
२५. थिस्सलुनीकियों की दूसरी पत्री वर्ष_________________________के दौरान_________________________में_________________________द्वारा लिखी गई थी। [१५, si पृ. २३२ अनु. ४]
प्रत्येक निम्नलिखित कथन में सही जवाब चुनिए:
२६. सेवकाई के ज़रिए अपने जीवन की ज़रूरतों को पाने के हक पर चर्चा करते हुए पौलुस (तालमुद; मिशना; मूसा की व्यवस्था) का ज़िक्र करता है, जहाँ लिखा है कि दाँवनेवाले जानवरों का मुँह नहीं बाँधना चाहिए और कि मंदिर में सेवा कर रहे (लेवियों; नतिनों; हारून के याजकीय परिवार) को वेदी पर से अपना भाग मिलना चाहिए। [४, si पृ. २१३ अनु. २४]
२७. गलतियों को लिखी पौलुस की पत्री यशायाह ५४:१-६ की व्याख्या करती है, जहाँ यहोवा की स्त्री की पहचान (पार्थिव यरूशलेम; ऊपर की यरूशलेम; नई यरूशलेम) के रूप में की गई है। (गल. ४:२१-२६) [९, si पृ. २१९ अनु. १६]
२८. इफिसियों १:१० में “प्रबन्ध” (मसीहाई राज्य; शासी निकाय; अपने घरेलू मामले की व्यवस्था करने के परमेश्वर के तरीके) को सूचित करता है। [१०, si पृ. २२१ अनु. ८]
२९. (यहूदी मत-समर्थक; ईसाईजगत् के पादरी वर्ग; महा बाबुल) की पहचान “अधर्म के पुरुष” के साथ की जा सकती है जिसका ज़िक्र २ थिस्सलुनीकियों २:३ में किया गया है। [१५, साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९० ८/१ पृ. २३ अनु. ११ देखिए।]
३०. पहला कुरिन्थियों १२:३१ में “सब से उत्तम मार्ग” (सच्चाई के; प्रेम के; आध्यात्मिक रूप से भरपूर जीवन के) मार्ग को सूचित करता है। [२, साप्ताहिक बाइबल पठन; w९२ ७/१५ पृ. २७ अनु. ३]
निम्नलिखित शास्त्रवचनों का नीचे सूचीबद्ध कथनों के साथ सुमेल कीजिए:
१ कुरि. १०:११, १२; २ कुरि. ४:७; २ कुरि. ८:१४; फिलि. ४:६, ७; २ थिस्स. १:८, ९, १२
३१. जब एक व्यक्ति अपने जीवन में मसीही सेवकाई को प्रथम स्थान पर रखता है तब वह परमेश्वर-प्रदत्त शक्ति का अनुभव करता है। [५, साप्ताहिक बाइबल पठन; w९० ३/१ पृ. २९ अनु. ५ देखिए।]
३२. इस्राएलियों को दी गई मूसा की चेतावनियों पर हमें ध्यान देना चाहिए और आत्म-निर्भर होने से बचना चाहिए। [४, si पृ. २१३ अनु. २३]
३३. जब समृद्ध मसीही उदारतापूर्वक अपनी भौतिक वस्तुओं में से उन लोगों को दान करते हैं जो गरीब हैं, तो बराबरी करने में मदद मिल सकती है। दूसरी ओर इन पीड़ित जनों का उत्साह और धीरज दाताओं के लिए आनन्द और प्रोत्साहन का स्रोत बन सकता है। [६, साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९३ १२/१ पृ. २७ अनु. २० देखिए।]
३४. सुसमाचार का प्रचार करने में हमें ढीला नहीं होना है क्योंकि बाइबल के अनुसार हर व्यक्ति जो इस दुष्ट रीति-व्यवस्था के अंत तक जीवित रहेगा और उनमें से जिनका न्याय सच्ची उपासना के दुश्मन के रूप में होगा, वे लोग अनंत विनाश के भागी होंगे। [१५, साप्ताहिक बाइबल पठन; w८९ ५/१ पृ. १९ अनु. ४ देखिए।]
३५. यहोवा कड़ी परीक्षा की घड़ियों में भी मन का चैन और शांति प्रदान करता है। [१२, साप्ताहिक बाइबल पठन; w८८ ११/१ पृ. ३० अनु. १९-२० देखिए।]