पायनियरों के घंटों की माँग में परिवर्तन
कलीसिया में मेहनत करनेवाले रेगुलर और ऑक्सिलरी पायनयिरों की हम सभी कदर करते हैं। पायनियरों ने ऐसी जगहों पर भी जोश से प्रचार करने की एक बढ़िया मिसाल रखी है जहाँ क्षेत्र बहुत छोटे हैं और जहाँ बार-बार प्रचार किया जा चुका है। इन्होंने “अनन्त जीवन के लिये ठहराए गए” लोगों को ढूँढ़ते रहने के लिए सभी प्रकाशकों का उत्साह बढ़ाया है।—प्रेरि. १३:४८.
२ संस्था ने गौर किया है कि पायनियरों को खासकर पार्ट-टाइम नौकरी ढूँढ़ने में बहुत-सी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इस नौकरी से पायनियरों को अपनी निजी ज़रूरतों को पूरा करने में काफी हद तक मदद मिलती है और वे पूर्ण-समय सेवा ज़ारी रखते हैं। आज कई देशों में आर्थिक स्थिति भी ऐसी हो गई है कि कई लोग पायनयिर कार्य शुरू करने की दिली चाहत रखते हुए भी ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। हाल के महीनों में इन और ऐसी दूसरी बातों पर अच्छी तरह विचार किया गया है।
३ इसलिए संस्था ने रेगुलर पायनियर और ऑक्सिलरी पायनियर, दोनों के घंटों की माँग को कम कर दिया है। १९९९ की शुरूआत से रेगुलर पायनियरों से हर महीने ७० घंटे या पूरे साल में कुल ८४० घंटे की माँग की जाएगी। ऑक्सिलरी पायनियरों से हर महीने ५० घंटे की माँग की जाएगी। स्पेशल पायनियरों और मिशनरियों के घंटों में कोई परिवर्तन नहीं होगा क्योंकि उनकी मूल भौतिक ज़रूरतों की देखरेख संस्था करती है। इसलिए वे अपने प्रचार काम और चेला बनाने के काम पर पूरी तरह ध्यान दे सकते हैं।
४ हम यह उम्मीद करते हैं कि पायनियर सेवा में घंटों की माँग में जो कटौती की गई है उससे और भी ज़्यादा पायनियरों को इस अनमोल सेवा में लगे रहने में आसानी होगी। और इससे और भी ज़्यादा प्रकाशक रेगुलर और ऑक्सिलरी पायनियरिंग काम कर सकेंगे। यह कलीसिया में हरेक के लिए कितनी बड़ी आशिष साबित होनी चाहिए!