“नये मनुष्यत्व को पहिन लो”
मसीही कितने आभारी हैं कि वे सच्चाई जानते हैं! हमने सीखा है कि हमें कैसे जीना है ताकि हम उस रास्ते पर न चलें जिस पर दुनिया के लोग चलते हैं। ये लोग “परमेश्वर के जीवन से अलग” हो गए हैं इसलिए उनकी “बुद्धि अन्धेरी हो गयी है।” (इफि. ४:१८) लेकिन हमें सिखाया जाता है कि हम इस संसार के सोच-विचार को छोड़ दें यानी अपने पुराने मनुष्यत्व को उतार फेंके और नये मनुष्यत्व को पहिन लें।—इफि. ४:२२-२४.
२ पुराने मनुष्यत्व से हमारा चालचलन बिगड़ता चला जाता है जिस कारण हम भ्रष्ट होकर मौत के शिकार होते हैं। इसलिए हम राज्य संदेश सुननेवालों से गुज़ारिश करेंगे कि वे क्रोध, रोष, बैरभाव, निंदा और गालियाँ बकना छोड़ दें। जो परमेश्वर को खुश करना चाहते हैं उन्हें अपना पुराना मनुष्यत्व हमेशा के लिए, पूरी तरह उतार देना होगा, वैसे ही जैसे वे कोई गंदा कपड़ा उतार देते हैं।—कुलु. ३:८, ९.
३ मन के स्वभाव में नये बनते जाओ: नया मनुष्यत्व पहिनने का मतलब है, मन के आत्मिक स्वभाव में नये बनते जाना। (इफि. ४:२३) किस तरह एक व्यक्ति मन के आत्मिक स्वभाव या रुझान को नया बना सकता है ताकि वह सही दिशा में जा सके। हर रोज़ दिल लगाकर परमेश्वर के वचन का अध्ययन करने और उन बातों पर मनन करने से ऐसा किया जाता है। तब एक व्यक्ति नये ढंग से सोचने लगता है और सब कुछ परमेश्वर और मसीह के नज़रिए से देखने लगता है। एक व्यक्ति का जीवन पूरी तरह बदल जाता है जब वह मसीह के अनेक गुणों को अपने जीवन में धारण करता है जैसे करुणा, भलाई, दीनता, नम्रता, सहनशीलता और प्रेम।—कुलु. ३:१०, १२-१४.
४ नया मनुष्यत्व पहिनने की वज़ह से हमारे और संसार के बीच का फर्क साफ नज़र आता है। हमारा जीने का तरीका हमें दूसरों से अलग दिखाता है। हम सच बोलते हैं और हमेशा हमारी अच्छी बोली से दूसरों की भलाई करते हैं। हम अपने गुस्से पर काबू रखते हैं और कड़वाहट, कलह, निन्दा और सब बैरभाव के बदले धर्मी और परमेश्वर को पसंद आनेवाले गुण दिखाते हैं। हम पूरी तरह क्षमा करने के लिए तत्पर रहते हैं और इसे पूरे दिल से करते हैं।—इफि. ४:२५-३२.
५ नये मनुष्यत्व को कभी-भी न उतारिए। इसके बिना यहोवा हमारी सेवा को स्वीकार नहीं करेगा। इस नये मनुष्यत्व के ज़रिए लोगों को सच्चाई की ओर आकर्षित कीजिए और यहोवा की महिमा कीजिए जो हमारे इस शानदार नये मनुष्यत्व का सिरजनहार है।—इफि. ४:२४.