ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल पुनर्विचार
ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल की कार्य-नियुक्तियों में जनवरी ४ से अप्रैल १९, १९९९ के सप्ताहों में चर्चा किए गए विषय का बंद-पुस्तक पुनर्विचार। नियत समय में जितने सवालों के जवाब आप दे सकते हैं, उनको लिखने के लिए एक अलग काग़ज़ का प्रयोग कीजिए।
[सूचना: लिखित पुनर्विचार के दौरान, किसी भी सवाल का जवाब देने के लिए, सिर्फ़ बाइबल इस्तेमाल की जा सकती है। सवालों के बाद दिए गए हवाले आपकी व्यक्तिगत खोज के लिए हैं। द वॉचटावर और प्रहरीदुर्ग के हवालों में शायद हर जगह पृष्ठ और अनुच्छेद क्रमांक नहीं दिए गए हों।]
प्रत्येक निम्नलिखित कथन का सही या गलत में जवाब दीजिए:
१. यहोवा ने बाइबल में हमेशा शब्द-ब-शब्द हर बात को नहीं लिखवाया था। (२ तीमु. ३:१६) [ w-HI९७ ६/१५ पृ. ५ अनु. ३]
२. परिवार में शांति और बच्चों का आध्यात्मिक विकास सिर्फ माता-पिता पर निर्भर करता है। (नीति. २२:६) [ fy-HI पृ. ८५ अनु. १९]
३. कैन गंभीर पाप कर बैठने से बच नहीं सकता था क्योंकि पाप “द्वार पर छिपा” था। (उत्प. ४:७) [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९४ ६/१ पृ. २१ अनु. ११ देखिए।]
४. जैसे-जैसे किशोर बड़ा होने लगता है, उसे अपने-आप ही मनोरंजन के चुनाव में ज़्यादा छूट मिल जानी चाहिए। [fy-HI पृ. ७३ अनु. २०]
५. अपने सृजनहार को प्रसन्न करने की इच्छा ही हमें हर घड़ी सच बोलने की सबसे अच्छी प्रेरणा देती है। (नीति. ६:१७) [g-HI९७ ३/८ पृ. २८ अनु. ५]
६. प्रार्थना में ‘हमारे मुंह के वचन और हमारे हृदय का ध्यान यहोवा के सम्मुख ग्रहण योग्य हों,’ इसलिए हमें प्रार्थना में बड़े-बड़े शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए। (भज. १९:१४) [w-HI९७ ७/१ पृ. २९ अनु. ३-४]
७. उत्पत्ति २६:५ में यहोवा की आज्ञाएँ, विधियाँ और व्यवस्था, ये सब व्यवस्था वाचा को सूचित करती हैं। [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९२ १०/१ पृ. १० अनु. ८ देखिए।]
८. लूका ८:४८ में यीशु ने कहा कि “तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है।” तो यीशु का कहने का मतलब था कि उस बीमार स्त्री को चंगा होने से पहले यह कहना था कि वह यीशु में मसीहा के तौर पर विश्वास रखती है। [w-HI९७ ७/१ पृ. ४ अनु. २-४]
९. बाइबल में बहुत-सी आयतों में शब्द “पृथ्वी” का इस्तेमाल मनुष्यजाति, या मानव समाज को सूचित करने के लिए किया गया है। उत्पत्ति ११:१ ऐसी ही एक आयत है। [g-HI९७ २/८ पृ. १९ अनु. ३]
१०. भले ही दीना राज़ी नहीं थी, फिर भी अपने कुँवारेपन को खोने के लिए कुछ हद तक वह खुद भी ज़िम्मेदार थी। (उत्प. ३४:१, २) [साप्ताहिक बाइबल पठन; w८५ ६/१५ पृ. ३१ अनु. ४ देखिए।]
निम्नलिखित सवालों के जवाब दीजिए:
११. उत्पत्ति ३:१-५ में शैतान जिस तरह से तर्क कर रहा था, उसका असल में कहने का मतलब क्या था? [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९५ ७/१५ पृ. ५ अनु. २ देखिए।]
१२. प्रकाशितवाक्य १९:१५ में यीशु के मुँह से निकलनेवाली “चोखी तलवार” का क्या मतलब है? [साप्ताहिक बाइबल पठन; w९० ५/१५ पृ. ४ अनु. ४ देखिए।]
१३. नूह के समय के जलप्रलय के संबंध में मूसा ने जो ठीक-ठीक तारीखें दी हैं उससे क्या पता चलता है? [g-HI९७ ३/८ पृ. २४ अनु. ४]
१४. इब्राहीम के ‘यहोवा का नाम लेने’ का क्या मतलब है? (उत्प. १२:८, NW) [साप्ताहिक बाइबल पठन; w८९ ७/१ पृ. २० अनु. ९ देखिए।]
१५. यहोवा ने पौलुस से कहा कि “मेरा अनुग्रह तेरे लिए बहुत है।” तो आस-पास की आयतें देखने पर हम यहोवा के ऐसा कहने का मतलब कैसे समझ सकते हैं? (२ कुरि. १२:९) [w-HI९७ ६/१ पृ. २५ अनु. ३]
१६. किस कारण लूत की पत्नी ने पीछे मुड़कर देखा जिससे कि वह नमक का खम्भा बन गई? (उत्प. १९:२६) [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९० १२/१ पृ. २० अनु. १० देखिए।]
१७. चुराई गई वस्तुओं को खरीदने के बारे में मसीहियों का क्या नज़रिया है? (निर्ग. २२:१; यिर्म. १७:११) [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९२ ९/१ पृ. ३१ अनु. ३, ५ पृ. ३२ अनु. ५-६ देखिए।]
१८. उत्पत्ति ३३:१८ के अनुसार याकूब ने कैसे दिखाया कि कनानियों के साथ संगति रखने में उसे कोई दिलचस्पी नहीं थी? [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९५ ९/१५ पृ. २१ अनु. ४ देखिए।]
१९. उत्पत्ति ३७:१३ में बताया गया यूसुफ का काम कैसे यीशु के काम के जैसा था? [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI८८ ४/१ पृ. २५ अनु. १२ देखिए।]
२०. जब क्रोध प्रकट करने की बात आती है तो परमेश्वर और मनुष्य में क्या फर्क होता है? [g-HI९७ ७/८ पृ. २९ अनु. २-३]
प्रत्येक निम्नलिखित कथन को पूरा करने के लिए आवश्यक शब्द या वाक्यांश दीजिए:
२१. बिना ______________________ कारण के किसी के अभिप्राय का ______________________ अर्थ लगाना, उसका न्याय करने के बराबर है। [w-HI९७ ५/१५ पृ. २६ अनु. ५]
२२. उत्पत्ति किताब की आंतरिक ______________________ और इसका बाइबल के बाकी किताबों के साथ पूरी तरह ______________________ होना दिखाती है कि यह सच है। [si पृ. १४ अनु. ८]
२३. रहूबियाम और एली के उदाहरण से माता-पिता यह समझ सकते हैं कि बच्चों को बहुत ज़्यादा ______________________ या उनके साथ बहुत ज़्यादा ______________________ के अंजाम क्या होते हैं। [fy-HI पृ. ८०-१ अनु. ९-१३]
२४. धर्मपरायण ______________________ को विकसित करने की ओर एक महत्त्वपूर्ण क़दम है, ______________________ लेना। [w-HI९७ ८/१ पृ. ४ अनु. ५]
२५. पाप की रिपोर्ट करना ______________________ के प्रति, ______________________ के प्रति, और ______________________ के प्रति दिखाए गए मसीही सिद्धांत-आधारित प्रेम का कार्य है। [w-HI९७ ८/१५ पृ. ३० अनु. २]
प्रत्येक निम्नलिखित कथन में सही जवाब चुनिए:
२६. (कड़ा; हलका; उचित) अनुशासन अपने बच्चे के प्रति जनक के प्रेम का एक प्रमाण है। (इब्रा. १२:६, ११) [fy-HI पृ. ७२ अनु. १८]
२७. उत्पत्ति ७:६, ११ से पता चलता है कि सा.यु.पू. (२९७०; २३७०; २०२०) के साल “जलप्रलय पृथ्वी पर आया” था। [साप्ताहिक बाइबल पठन; si पृ. २९४ चार्ट देखिए।]
२८. यीशु यूहन्ना ८:३२ में (रोमी शासन; अंधविश्वास; पाप और मृत्यु) से स्वतंत्रता की बात कर रहा था। [w-HI९७ २/१ पृ. ५ अनु. १]
२९. उत्पत्ति २२:१८ की आखिरी पूर्ति में, वहाँ ज़िक्र किया गया वंश (इसहाक; इस्राएलियों; यीशु और १,४४,०००) को सूचित करता है। [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९८ २/१ पृ. १४ अनु. ८ देखिए।]
३०. यूसुफ व्यभिचार के प्रलोभन का विरोध कर सका क्योंकि वह (मूसा की व्यवस्था का पालन करना चाहता था; परमेश्वर का भय मानता था इसलिए उसे अप्रसन्न नहीं करना चाहता था और परमेश्वर उसके लिए असल था; दंड पाने से डरता था)। [साप्ताहिक बाइबल पठन; w८१ २/१५ पृ. ७ अनु. २ देखिए।]
निम्नलिखित शास्त्रवचनों का नीचे सूचीबद्ध कथनों के साथ सुमेल कीजिए:
नीति. ५:३, ४; १५:२२; २०:११; इफि. ५:१९; २ तीमु. ३:१६
३१. माता-पिता के लिए यह निश्चित करना अत्यावश्यक है कि उनके बच्चे एक नैतिक और स्वच्छ जीवन जीने के महत्त्व में पूरे हृदय से विश्वास करते हैं। [fy-HI पृ. ६७ अनु. ८]
३२. माता-पिता और किशोर बच्चों के बीच बातचीत होती रहे इसलिए बहुत ज़रूरी है कि वे अपने दिल की बात कहें या सम्मति लें। [fy-HI पृ. ६५ अनु. ४]
३३. कलीसिया सभाओं में अच्छी तरह गाने की कुंजी है एक सही हार्दिक मनोवृत्ति। [w-HI९७ २/१ पृ. २७ अनु. ३]
३४. अनंत जीवन पाने के लिए परमेश्वर के वचन, बाइबल की शिक्षाओं को समझना ज़रूरी है। [w-HI९७ ८/१५ पृ. ६ अनु. ५]
३५. अनैतिकता के प्रलोभन से बचने के लिए हमें यह समझना ज़रूरी है कि अनैतिक चालचलन गलत है और इसके परिणाम विपत्तिजनक और दुःखद होते हैं। [fy-HI पृ. ९३ अनु. ९]