पायनियरिंग—समय को अकलमंदी से इस्तेमाल करने का तरीका!
‘मुझे वैसे भी ढेर सारे काम हैं! ऐसे में पायनियरिंग शुरू करना क्या मेरे लिए सचमुच अकलमंदी होगी?’ यह खयाल एक बहन के मन में आया जब वह सर्किट सम्मेलन में एक प्राचीन का भाषण सुन रही थी, जो खुद एक पायनियर था। उसके भाषण का शीर्षक था, “पायनियर सेवा करते हुए आगे बढ़ना।” वहीं मौजूद एक जवान भाई ने सोचा, ‘यह भाई पायनियरिंग के लिए समय कैसे निकालता होगा? मैं तो प्राचीन नहीं हूँ, फिर भी मुझे काम से कभी फुरसत ही नहीं मिलती!’
२ पायनियरिंग से मिलनेवाली आशीषों का ज़िक्र करते हुए प्राचीन ने उसी सर्किट के कुछ पायनियरों का इंटरव्यू लिया। पायनियरों ने बताया कि पायनियरिंग करने के लिए उन्हें ज़िंदगी में कौन-सी तबदीलियाँ करनी पड़ीं और इस कोशिश के लिए यहोवा ने उन्हें किस तरह भरपूर आशीषें दीं। उनमें से एक अपाहिज था, एक बहन का पति अविश्वासी था और एक ने अपनी नौकरी छोड़ दी थी फिर भी वह अपना गुज़ारा कर लेता था। जब उस भाई और बहन ने [जिनका ज़िक्र शुरू में किया गया है] सुना कि ये पायनियर यहोवा की मदद से कैसे कामयाब हो रहे हैं तो वे एक बार फिर अपने नज़रिये और अपने हालात पर विचार करने लगे। हम चाहते हैं कि आप भी इस बारे में दोबारा विचार करें, क्योंकि पायनियरों के लिए घंटों की माँग कम कर दी गई है इसीलिए अब सुसमाचार के ज़्यादा से ज़्यादा प्रचारक पायनियरिंग कर सकते हैं।
३ हम जानते हैं कि यहोवा ही सृजनहार है और वही विश्व का महाराजा और मालिक है और उसी की बदौलत हम ज़िंदा हैं। (दानि. ४:१७; प्रेरि. १७:२८) इसमें भी कोई शक नहीं कि यहोवा का सिर्फ एक ही संगठन है। और हमें यह क्या ही सुनहरा मौका मिला है कि हम इस संगठन के साथ वफादारी से सेवा करें और अंत आने से पहले राज्य की गवाही देने में “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” का साथ दें। (मत्ती २४:४५; २५:४०; १ पत. २:९) हम जानते हैं कि प्रचार करने के लिए अब ज़्यादा वक्त नहीं रहा क्योंकि हम “अन्तिम दिनों” की सबसे आखिरी घड़ी में आ पहुँचे हैं। (२ तीमु. ३:१) साथ ही हम पर अपने-अपने परिवार का पालन-पोषण करने की भी ज़िम्मेदारी है। (१ तीमु. ५:८) पहले एक व्यक्ति की जितनी आमदनी से गुज़ारा हो जाता था आज वही आमदनी कम पड़ती है। शायद अब हमारी सेहत भी पहले जैसी न हो। और सच कहें तो, हम थोड़ा समय अपने लिए भी चाहते हैं और अपने मनोरंजन के लिए भी कुछ खर्च करना चाहते हैं। (सभो. ३:१२, १३) इसलिए हम शायद सोचें कि ऐसे में पायनियरिंग शुरू करना क्या मेरे लिए वाकई अकलमंदी होगी?
४ यह हम में से हरेक की अपनी ज़िम्मेदारी है कि हम अपने हालात की जाँच करें और फिर खुद फैसला करें कि हम पायनियरिंग कर सकते हैं या नहीं। (रोमि. १४:१२, गल. ६:५) यह बहुत ही खुशी की बात है कि पायनियरिंग करने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा लोग आगे बढ़ रहे हैं। इन अंतिम दिनों में दबावों और मुश्किलों के बावजूद दुनिया भर में यहोवा के करीब ७,००,००० साक्षी लगन के साथ पायनियरिंग कर रहे हैं। यह जानकारी हमें १९९९ की इयरबुक की सेवा रिपोर्ट से मिलती है। उन्हें चाहे पैसों की तंगी हो, यातायात की अच्छी सुविधा न हो या सेहत खराब हो या फिर किसी और कठिनाई या मुसीबत का सामना क्यों न करना पड़े, लेकिन ये भाई-बहन भलाई करने में ढीले नहीं पड़ते जो कि वाकई काबिल-ए-तारीफ है। (गल. ६:९) उन्होंने यहोवा के कहने के अनुसार उसे परखकर देखा है। (मला. ३:१०) उन्हें लगता है कि पायनियरिंग करना अकलमंदी है क्योंकि इससे उनके कीमती समय और साधन का सही इस्तेमाल होता है और पायनियरिंग शुरू करने और उसे ज़ारी रखने के लिए उन्होंने अपनी ज़िंदगी में जो ज़रूरी तबदीलियाँ की हैं उनके लिए सचमुच यहोवा ने उन्हें आशीष दी है।
५ पायनियरों को आशीष मिल रही है: कैमरून की एक बहन जिसकी एक छोटी-सी बच्ची है, वह कहती है: “मैं अपनी बच्ची को हमेशा से सेवकाई में अपने साथ ले जाती थी। जब उसे चलना भी नहीं आता था तब मैं उसे अपनी पीठ पर एक कपड़े से बाँध लेती थी। एक बार ऐसा हुआ कि सवेरे सेवकाई करते वक्त मैं सड़क के किनारे एक स्टॉल के पास रुक गई। तब मेरी बच्ची मेरे बैग से कुछ पत्रिकाएँ निकालकर छोटे-छोटे कदम लेते हुए नज़दीक के एक स्टॉल के पास चली गई। हालाँकि वह ज़्यादा बोल नहीं सकती थी, फिर भी उसने एक स्त्री का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया और उसे एक पत्रिका पेश की। स्त्री यह देखकर दंग रह गई कि इतनी छोटी-सी बच्ची यह काम कैसे कर रही है। उसने फौरन वह पत्रिका ले ली और बाइबल स्टडी के लिए भी हाँ कह दी!”
६ जब और ज़्यादा ऑक्ज़लरी पायनियरों के लिए माँग की गई थी तब ज़ांबिया के एक भाई ने पायनियरिंग करने का फैसला किया। वह काफी व्यस्त रहता था क्योंकि वह नौकरी करता था, एक प्राचीन था और उसे अपना परिवार भी सँभालना था। लेकिन वह अपनी कलीसिया और परिवार के लिए एक मिसाल रखना चाहता था। कभी-कभी, वह सड़क के किनारे अपनी कार खड़ी करके पारिवारिक सुख का रहस्य किताब का ऑडियो कैसेट चलाता और रास्ते से गुज़रनेवालों को कैसेट सुनने के लिए बुलाता। इस तरह वह १६ पारिवारिक सुख किताब और १३ ज्ञान किताब दे सका और दो बाइबल स्टडी शुरू कर सका।
७ पड़ोसी देश, ज़िंबाबवे के भाई-बहनों में भी पायनियरिंग करने का बढ़िया जोश देखा गया। अप्रैल १९९८ के दौरान वहाँ की एक कलीसिया के ११७ प्रचारकों में से ७० ऑक्ज़लरी पायनियर थे और ९ रेगुलर पायनियर। ९४ प्रचारकोंवाली एक दूसरी कलीसिया में ५८ ऑक्ज़लरी पायनियर थे। १२६ प्रचारकोंवाली एक और कलीसिया ने रिपोर्ट दी कि उसके ४ रेगुलर पायनियरों के साथ ५८ लोगों ने ऑक्ज़लरी पायनियरिंग करने का फैसला किया। ज़िंबाबवे में पिछला सेवा वर्ष बहुत ही खास रहा। वहाँ के भाई अपना परिवार चलाने, कलीसिया का काम सँभालने और ब्राँच ऑफिस बनाने में बहुत व्यस्त थे, फिर भी उन्होंने अकलमंदी से अपना समय सेवकाई में लगाने पर ध्यान दिया।
८ पायनियर जान लेते हैं कि सिर्फ अपनी ताकत पर पायनियरिंग शुरू करके उसमें लगे रहना मुमकिन नहीं। इसलिए वे यह कबूल करने में सबसे आगे होते हैं कि वे जो भी कर पाते हैं सब ‘उस शक्ति से करते हैं जो परमेश्वर उन्हें देता है।’ (१ पत. ४:११) अपने विश्वास की वज़ह से वे दिन-प्रति-दिन अपनी सेवकाई को जारी रख पाते हैं। जो पायनियरिंग में कामयाब हुए हैं, उन्होंने यह जान लिया है कि पायनियरिंग में आगे बढ़ते रहने के लिए उन्हें सुख-चैन को पीछे छोड़ना पड़ता है और “बड़ी मेहनत” करनी पड़ती है लेकिन ऐसा करने पर वे कई आशीषें भी पाते हैं।—१ थिस्स. २:२, हिंदुस्तानी बाइबल।
९ पौलुस की मिसाल पर चलना चाहिए: बाइबल बताती है कि प्रेरित पौलुस को सेवकाई में बहुत कामयाबी मिली और उसने कई लोगों की अच्छी मदद की। लेकिन, शायद ही किसी पर पौलुस के जितना भारी बोझ रहा हो। उसने सुसमाचार का प्रचार करने और कलीसियाओं को मज़बूत करने के लिए काफी सताहट सही और कई मुसीबतों और परीक्षाओं से गुज़रा। उसकी सेहत भी बहुत खराब थी। (२ कुरि. ११:२१-२९; १२:७-१०) इसके बावजूद उसने अपने समय का अकलमंदी से इस्तेमाल करने की ठानी थी। उसने कबूल किया कि उसने अपना सारा काम यहोवा की मदद से पूरा किया। (फिलि. ४:१३) पौलुस ने जिन लोगों की मदद की थी, उनमें से कोई भी यह नहीं कह सकता था कि यहोवा की सेवा में पौलुस ने जो वक्त बिताया और जो मेहनत की, वह सब बेकार था, या कि वह बेहतर काम में अपना वक्त लगा सकता था। सच तो यह है कि पौलुस ने अपने वक्त का जो अकलमंदी से इस्तेमाल किया, उसका आज भी हम फायदा उठा रहे हैं! हम कितने कदरदान हैं कि परमेश्वर की प्रेरणा से दी गई उसकी सलाहों से आज हम ज़रूरी काम को पहला स्थान देने और इन कठिन समयों में सच्चाई में बने रहने में मदद पा रहे हैं!
१० सुसमाचार का प्रचार करने के लिए अब ‘समय बहुत कम किया गया है।’ (१ कुरि. ७:२९; मत्ती २४:१४) इसलिए अपने आप से यह सवाल पूछना ठीक होगा, ‘हो सकता है कि कल मैं अचानक ही मर जाऊँ, तो क्या आज जब मैं ज़िंदा हूँ तब मैं यहोवा से यह कह सकता हूँ कि मैंने अपने समय का इस्तेमाल अकलमंदी से किया है?’ (याकू. ४:१४) क्यों न अभी यहोवा से प्रार्थना करके उसे बताएँ कि आप उसके एक साक्षी के तौर पर अपने वक्त का सही इस्तेमाल करना चाहते हैं? (भज. ९०:१२) सादा ज़िंदगी जीने के लिए परमेश्वर से मदद माँगिए। शायद आपने पायनियरिंग करने का खयाल अपने मन से निकाल दिया हो, लेकिन क्या अब आपको लगता है कि आप पायनियरिंग कर सकते हैं?
११ मिलनेवाले हर मौके का पूरा फायदा उठाइए: माना कि अपनी कुछ मजबूरियों की वज़ह से, चाहते हुए भी हर कोई रेगुलर पायनियरिंग करने के लिए महीने में ७० घंटे नहीं निकाल सकता। फिर भी, कई प्रचारक जब कभी हो सके तब या फिर हर महीने ऑक्ज़लरी पायनियरिंग करने के लिए महीने में ५० घंटे निकाल ही लेते हैं। अगर आपके लिए फिलहाल ऑक्ज़लरी या रेगुलर पायनियरिंग करना मुमकिन नहीं, तो निराश मत होइए। हमेशा प्रार्थना करते रहिए कि आपकी परिस्थिति बदले। अगर आपकी परिस्थितियों का बदलना ही मुश्किल है तो आप इतमीनान रखिए कि यहोवा उतने से ही बहुत खुश होता है जितना कि आप तन-मन से उसके लिए करते हैं। (मत्ती १३:२३) वह देखता है कि आप उसी की तरफ दृढ़ खड़े हैं और एक वफादार प्रचारक होने के लिए पूरी-पूरी कोशिश करते हैं और हर महीने बिना नागा गवाही देने के मौके ढूँढ़ते हैं। आप गवाही देने की अपनी काबीलियत को और भी बढ़ा सकते हैं और सुसमाचार के एक कुशल प्रचारक और शिक्षक बनने की कोशिश कर सकते हैं।—१ तीमु. ४:१६.
१२ ‘यहोवा का बड़ा और भयानक दिन’ तेजी से करीब आ रहा है इसलिए जो काम हमें सौंपा गया उसे पूरा करने के लिए इस बचे हुए समय का अकलमंदी से इस्तेमाल करने की ज़रूरत है। (योए. २:३१) शैतान जानता है कि अब उसका थोड़ा ही समय रह गया है, वह हमारी ज़िंदगी को उलझाने की अपनी हर कोशिश कर रहा है ताकि हमारे लिए सबसे ज़रूरी बातों पर ध्यान लगाना मुश्किल हो जाए। (फिलि. १:१०; प्रका. १२:१२) यह कभी मत सोचिए कि परमेश्वर को आपकी परवाह नहीं। सादा ज़िंदगी जीने और सेवकाई में अपना भरसक करने में यहोवा आपकी मदद कर सकता है। (भज. १४५:१६) खुशी की बात है कि कई लोग अपने हालात पर दोबारा गौर करने पर पाते हैं कि वे भी ऑक्ज़लरी या रेगुलर पायनियरिंग कर सकते हैं। इसमें ज़रा भी शक नहीं कि पायनियर अपने समय का अकलमंदी से इस्तेमाल करके सच्ची खुशी पाते हैं। क्या आप उनमें से एक होंगे?