सेवकाई को बढ़ाने के तरीके
चालीस से भी ज़्यादा साल पहले, जनवरी १५, १९५५ के प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी) में एक लेख छापा गया जिसका शीर्षक था, “क्या आप सचमुच अपना भरसक कर रहे हैं?” इस लेख में बड़े अच्छे तरीके से बताया गया था कि यहोवा के लोग किन-किन तरीकों से प्रचार के काम में और ज़्यादा मेहनत करने की कोशिश कर सकते हैं ताकि वे परमेश्वर के राज्य की अपनी सेवा को और बढ़ा सकें। इस लेख में बताई गई अच्छी सलाह को आज हम भी लागू कर सकते हैं और इस तरह अपनी उत्तम सेवकाई को और बेहतर बनाने की कोशिश कर सकते हैं।
२ हम जो भी सेवा करते हैं इसे यीशु की सबसे बड़ी आज्ञा से प्रेरित होकर करना चाहिए। यह आज्ञा है: “तू प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन से और अपने सारे प्राण से, और अपनी सारी बुद्धि से, और अपनी सारी शक्ति से प्रेम रखना।” (मरकुस १२:३०) यहोवा को अपना सच्चा प्यार दिखाने के लिए, हम उसके राज्य के काम को बढ़ाने के हर मौके का पूरा इस्तेमाल करते हैं। गौर कीजिए कि आप किन-किन तरीकों से अपनी सेवकाई को बढ़ा सकते हैं।
३ अपनी ज़िम्मेदारी निभाइए: जिन भाइयों का बपतिस्मा हो चुका है वे पहले सहायक सेवक बनने और फिर प्राचीन बनने के लिए तरक्की करने की कोशिश कर सकते हैं। “क्या आप प्रयत्न कर रहे हैं?” और “क्या आप में सेवा करने की योग्यता है?” मई १, १९९१ प्रहरीदुर्ग में दिए गए इन लेखों ने कई भाइयों को प्रेरित किया कि कलीसिया में ज़िम्मेदारियाँ उठाने के लिए खुद को पेश करें। अपनी कलीसिया के प्राचीनों से पूछिए कि ज़्यादा ज़िम्मेदारियाँ निभाने के काबिल होने के लिए आपको क्या-क्या करना चाहिए।
४ अविवाहित प्राचीनों और सहायक सेवकों को प्रोत्साहित किया जाता है कि वे मिनिस्टीरियल ट्रेनिंग स्कूल के लिए अर्ज़ी भरने के बारे में गंभीरता से सोचें। इस स्कूल के बारे में अच्छी तरह जानने के लिए आप १९८६-१९९५, १९९६ और १९९७ के वॉच टावर पब्लिकेशंस इन्डेक्स में “मिनिस्टीरियल ट्रेनिंग स्कूल,” शीर्षक के नीचे दिए गए हवाले पढ़ सकते हैं। क्या आप अपने आगे ‘सेवा करने का यह बड़ा द्वार खुलता’ हुआ देखते हैं? (१ कुरि. १६:९क, NHT) जो इस द्वार से प्रवेश कर चुके हैं ऐसे कितने ही भाइयों ने पहले कभी सोचा भी न था कि उन्हें सेवा करने के कैसे-कैसे मौके मिलेंगे। लेकिन, आज ये भाई खुशी-खुशी बेथेल में सेवा कर रहे हैं या क्षेत्र में खास पायनियरों, मिशनरियों या सर्किट ओवरसियरों के नाते सेवा कर रहे हैं।
५ पूर्ण-समय की सेवकाई के लिए आगे बढ़िए: हाई स्कूल पास कर चुके जवान, गृहिणियाँ और जो नौकरी से रिटायर हो चुके हैं उन्हें पायनियरिंग करने के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए। जुलाई १९९८ की हमारी राज्य सेवकाई का इंसर्ट पढ़िए और फिर उन पायनियरों से बात कीजिए जिनके हालात आपके हालात जैसे थे। हो सकता है कि आप भी उनकी तरह पायनियरिंग करके अपनी सेवकाई को बढ़ाने के लिए प्रेरित हों। (१ कुरि. ११:१) क्या आपके लिए रेगुलर पायनियरिंग करने के लिए महीने में ७० घंटे सेवा करना मुमकिन होगा?
६ संसार भर के ब्रांच ऑफिसों और बेथेल घरों में अभी १७,००० हज़ार से भी ज़्यादा भाई-बहन सेवा कर रहे हैं। नवंबर १९९५ की हमारी राज्य सेवकाई के इंसर्ट में बताया गया है कि इस सेवा के लिए अर्ज़ी भरने में कौन-सी काबीलियतें ज़रूरी हैं। क्यों न इसे पढ़कर देखें कि क्या आप बेथेल सेवा की अनोखी आशीष पाने के काबिल हैं?
७ जहाँ ज़रूरत ज़्यादा है वहाँ सेवा कीजिए: क्या आप एक ऐसे इलाके में रहते हैं जहाँ कई बार प्रचार हो चुका है या जहाँ प्रचार करने के लिए कई भाई-बहन हैं? क्या आपने ऐसी जगह जाकर सेवा करने के बारे में सोचा है जहाँ प्रचारकों की बहुत ज़रूरत है? शायद आप किसी नज़दीकी गाँव में जाकर बस सकते हैं जहाँ ज़्यादा प्रचारकों की ज़रूरत हो। (मत्ती ९:३७, ३८) लेकिन यह फैसला जल्दबाज़ी में नहीं करना चाहिए। इस बारे में लगातार प्रार्थना करते हुए अच्छी तरह सोचने की ज़रूरत है। (लूका १४:२८-३०) आप अपनी स्थिति के बारे में प्राचीनों और सर्किट ओवरसियर से बात कीजिए। वे आपको यह समझने में मदद देंगे कि क्या अभी ऐसी जगह में आपका बस जाना अकलमंदी होगी या भविष्य में ऐसा कदम उठाने के लिए अभी से तैयारी करना अच्छा होगा। अगर आप किसी और जगह जाकर बसने के बारे में संस्था से सलाह-मशविरा करना चाहते हैं तो आप संस्था को एक चिट्ठी लिख सकते हैं जिसके साथ आपकी कलीसिया की सर्विस कमिटी की एक चिट्ठी होनी चाहिए जिस पर सर्विस कमिटी के भाइयों के हस्ताक्षर हों।
८ प्रचार के काम में अपनी काबिलीयत बढ़ाइए: प्रचार के काम में अपनी काबिलीयत बढ़ाकर शायद हम सब अपनी सेवकाई में ज़्यादा सफल हो सकते हैं। क्या आप सुसमाचार सुनाने के हर तरीके का इस्तेमाल कर रहे हैं, जैसे घर-घर प्रचार करना, हर जगह मौका मिलने पर गवाही देना, साथ ही पुन:भेंट करना और बाइबल स्टडी चलाना? अगर आप एक स्टडी चला रहे हैं तो क्या आप अपनी सिखाने की कला को बेहतर बना सकते हैं? अपने विद्यार्थियों को समर्पण करने और बपतिस्मा लेने की प्रेरणा देने के लिए, जून १९९६ की हमारी राज्य सेवकाई के इंसर्ट में दिए गए सुझावों को फिर से पढ़ना अच्छा होगा।
९ अपनी सेवकाई को बढ़ाने और प्रचार के काम में अपनी काबीलियत बढ़ाने के बारे में ऑर्गनाइज़्ड् टू अकंप्लिश आवर मिनिस्ट्रि किताब के अध्याय ९ में काफी बातें बताई गई हैं। बेशक हम सभी में यह इच्छा होनी चाहिए कि हम परमेश्वर की सेवा ज़्यादा-से-ज़्यादा करें। परमेश्वर की सेवा में आप भविष्य में क्या करेंगे इसके बारे में क्यों न गंभीरता से सोचें? पहला तीमुथियुस ४:१५ के अनुसार कीजिए: “उन बातों को सोचता रह और उन्हीं में अपना ध्यान लगाए रह, ताकि तेरी उन्नति सब पर प्रगट हो।”