ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल पुनर्विचार
ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल की कार्य-नियुक्तियों में मई ३ से अगस्त २३, १९९९ के सप्ताहों में चर्चा किए गए विषय का बंद-पुस्तक पुनर्विचार। नियत समय में जितने सवालों के जवाब आप दे सकते हैं, उनको लिखने के लिए एक अलग कागज़ का प्रयोग कीजिए।
[सूचना: लिखित पुनर्विचार के दौरान, किसी भी सवाल का जवाब देने के लिए, सिर्फ बाइबल इस्तेमाल की जा सकती है। सवालों के बाद दिए गए हवाले आपकी व्यक्तिगत खोज के लिए हैं। द वॉचटावर और प्रहरीदुर्ग के हवालों में शायद हर जगह पृष्ठ और अनुच्छेद क्रमांक नहीं दिए गए हों।]
प्रत्येक निम्नलिखित कथन का सही या गलत में जवाब दीजिए:
१. अपने बच्चों से अच्छा व्यवहार करने के लिए माता-पिता को बाइबल के सिद्धान्तों पर कभी समझौता नहीं करना चाहिए। [fy पृ. १०८ अनु. १४]
२. इब्रानी कुलपिता इब्राहीम, इसहाक, और याकूब ने “यहोवा से प्रार्थना की,” लेकिन वे परमेश्वरीय नाम का पूरा महत्त्व नहीं जानते थे। (उत्प. २१:३३; २६:२५; ३२:९; निर्ग. ६:३) [kl पृ. २५ अनु. ८]
३. सभी लोगों ने यीशु को प्रतिज्ञात मसीहा के रूप में स्वीकार किया, और शास्त्र में यह पूर्वबताया गया था। (भज. २:२) [kl पृ. ३६ अनु. ९]
४. जो लोग बहुत ज़्यादा गरीब हैं वे राज्य के काम को बढ़ाने के लिए पैसे दान देने की स्थिति में नहीं हैं। [w-HI९७ ९/१५ पृ. ५ अनु. ८]
५. बूढ़े माता-पिता या दादा-दादी को उनका हक्क देना, यहोवा की हमारी उपासना का एक भाग है। (१ तीमु. ५:४) [w-HI९७ ९/१ पृ. ४ अनु. १-२]
६. सब्त का दिन मानना, पहले यहोवा और सारी जातियों के बीच एक चिन्ह था। [साप्ताहिक बाइबल पठन; w८९ ११/१५ पृ. ४ देखिए।]
७. जब एक बच्चा इतना बड़ा हो जाता है कि अपने फैसले खुद करने लगता है, तब उस पर अपने कार्यों का अधिक उत्तरदायित्व आ जाता है, खासकर ईश्वरीय नियम के संबंध में। (रोमि. १४:१२) [fy पृ. १३५ अनु. १७]
८. बाइबल प्रकट करती है कि शैतान किसी के हृदय की मात्र दुष्टता ही है। (मत्ती ४:१-११) [kl पृ. ५५ अनु. ५]
९. लूका २१:२०, २१ में लिखे यीशु के शब्द सा.यु. ६६ में पूरे हुए, जब जनरल टाइटस के अधीन आयी रोम की सेना यरूशलेम से वापस लौट गई। [w-HI९७ ४/१ पृ. ५ अनु. ३-४]
१०. इपिकूरस की शिक्षाएँ मसीहियों के लिए इसलिए खतरनाक थीं क्योंकि ये उसके विश्वासहीन दृष्टिकोण पर आधारित थीं, जिसके बारे में १ कुरिन्थियों १५:३२ बताता है। [w-HI९७ ११/१ पृ. २४ अनु. ४]
निम्नलिखित सवालों के जवाब दीजिए:
११. लैव्यव्यवस्था ३:१७ में बतायी गयी, चरबी खाने की मनाही से हम क्या सबक सीखते हैं? [साप्ताहिक बाइबल पठन; w८४ २/१५ पृ. २९ अनु. २ देखिए।]
१२. यहोवा ने शैतान, इब्लीस को अब तक क्यों रहने दिया है? (निर्ग. ९:१५) [साप्ताहिक बाइबल पठन; w९२ ३/१५ पृ. १० अनु. १४ देखिए।]
१३. जब परिवार का एक सदस्य गंभीर रूप से बीमार है, तो उसके परिवार को ज़रूरी बातों को पहला स्थान देने के लिए शुरू में कौन-से कदम उठाने चाहिए? (नीति. १५:२२) [fy पृ. १२२ अनु. १४]
१४. किस अर्थ में इस्राएल जाति “याजकों का राज्य” थी? (निर्ग. १९:६) [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९५ ७/१ पृ. १६ अनु. ८ देखिए।]
१५. “निर्मल” आंख और “बुरी” आंख के बीच क्या फर्क है? (मत्ती ६:२२, २३) [w-HI९७ १०/१ पृ. २६ अनु. ५]
१६. गलतियाँ करने के बावजूद दाऊद के बारे में यह कैसे कहा जा सकता था कि वह “मन की खराई और सिधाई से” चला? (१ राजा ९:४) [w-HI९७ ५/१ पृ. ५ अनु. २]
१७. निवासस्थान के काम में इस्राएलियों के “ठीक वैसा ही” करने से आधुनिक समय में कौन-सी आशीषों के बारे में भविष्यवाणी की गई? (निर्ग. ३९:३२, NW) [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९५ १२/१५ पृ. १३ अनु. ९ देखिए।]
१८. इस बात से क्या ज़ाहिर होता है कि यहोवा ने खुद को “मैं जो साबित होऊँगा वह मैं साबित होऊँगा” कहकर प्रकट किया? (निर्ग. ३:१४, NW) [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९५ ३/१ पृ. १० अनु. ६ देखिए।]
१९. लैव्यव्यवस्था १०:१, २ में, नादाब और अबीहू के बारे में लिखी घटना से कौन-सा सबक सीखने को मिलता है? [साप्ताहिक बाइबल पठन; w८४ २/१५ पृ. २९ अनु. ३ देखिए।]
२०. मूसा की व्यवस्था में, एक स्त्री बच्चे को जन्म देने से “अशुद्ध” क्यों होती थी? (लैव्य. १२:२, ५) [साप्ताहिक बाइबल पठन; w८४ २/१५ पृ. २९ अनु. ५ देखिए।]
प्रत्येक निम्नलिखित कथन को पूरा करने के लिए आवश्यक शब्द या वाक्यांश दीजिए:
२१. हालाँकि अकेलेपन का कोई चमत्कारी इलाज नहीं है, फिर भी एक-जनक___________________से मिली शक्ति से इसे सह सकते हैं, जो रात-दिन___________________करने से मिलती है। (१ तीमु. ५:५) [fy पृ. ११२ अनु. २१]
२२. हमारे जीवन में कोई गंभीर दुःख की बात घटी हो, तो शायद यह___________________की वज़ह से होगा या हमारी अपनी___________________की वज़ह से। [w-HI९७ ५/१५ पृ. २२ अनु. ७]
२३. हमें___________________और___________________से भरे___________________के द्वारा प्रेरित होकर ‘आत्मा से’ परमेश्वर की उपासना करने की ज़रूरत है। [kl पृ. ४५ अनु. ४]
२४. मूल रूप से हम जो___________________हैं वह नहीं, बल्कि हम जो___________________में हैं वह प्रकट करता है कि हम सचमुच अंदर से कैसे हैं। [w-HI९७ १०/१५ पृ. २९ अनु. ३]
२५. अगर कटनी के पर्वों के___________________या___________________संबंध हैं तो सच्चे मसीही ऐसी किसी संदूषित उपासना से कोई___________________न रखकर यहोवा को अप्रसन्न करने से बच सकते हैं। [w-HI९७ ९/१५ पृ. ९ अनु. ६]
प्रत्येक निम्नलिखित कथन में सही जवाब चुनिए:
२६. ज़िद्दी फ़िरौन और उसकी सेना (६००; ८००; ९००) युद्ध रथों के साथ इस्राएलियों को फिर से बन्दी बनाने के लिए निकल पड़ी। जैसे ही मिस्री निकट आए, परमेश्वर ने चमत्कारिक रूप से (लाल समुद्र; यरदन नदी; भूमध्य सागर) को विभाजित कर दिया ताकि इस्राएली सूखी भूमि पर पार कर सकें। [kl पृ. २६ अनु. ११]
२७. एक परिवार गंभीर बीमारी के साथ सफलतापूर्वक निपटता है या नहीं, यह काफी हद तक उसके सदस्यों की (आर्थिक सुरक्षा; मनोवृत्ति; बीमे) पर निर्भर करता है। (नीति. १७:२२) [fy पृ. १२० अनु. १०]
२८. जो व्यक्ति अपने मन में कहता है कि “कोई परमेश्वर है ही नहीं,” वह इसलिए “मूर्ख” कहलाया गया है क्योंकि (उसमें नैतिक कमी है; वह अनपढ़ है; उसमें सोचने-समझने की काबिलीयत नहीं)। (भज. १४:१) [w-HI९७ १०/१ पृ. ६ अनु. ८]
२९. जब आदम और हव्वा ने विद्रोह किया, तो जो उन्होंने खो दिया उसमें सबसे महत्त्वपूर्ण था (परिपूर्णता; परमेश्वर के साथ उनका संबंध; बगीचे जैसा घर), जो उनकी खुशी की कुंजी था। [w-HI९७ १०/१५ पृ. ६ अनु. २]
३०. आदम और हव्वा को लुभाकर अपने पक्ष में लाने के लिए, शैतान ने (पेटबोले; जादूगर; सम्मोहक) की तरह साँप का इस्तेमाल करते हुए झूठ बोला। [kl पृ. ५७ अनु. १०]
निम्नलिखित शास्त्रवचनों का नीचे सूचीबद्ध कथनों के साथ सुमेल कीजिए:
निर्ग. ५:२; निर्ग. २१:२९; नीति. १:८; गल. ५:२०; याकू. १:१४, १५
३१. एक मसीही होने का दावा करनेवाला कोई व्यक्ति जो बार-बार और बिना पछतावा किए हिंसक क्रोध में आ जाता है, जिसमें विवाह-साथी या बच्चों के साथ शारीरिक दुर्व्यवहार सम्मिलित हो, वह मसीही कलीसिया से बहिष्कृत किया जा सकता है। [fy पृ. १५० अनु. २३]
३२. जैसा हम सोचते हैं वैसा हम व्यवहार करते हैं। [fy पृ. १४८ अनु. १८]
३३. यहोवा परमेश्वर ऐसे सभी लोगों को नीचा दिखाता है जो उसके ईश्वरत्व को मानने से इनकार करने की हिम्मत करते हैं। [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९२ १२/१ पृ. २५ अनु. १८ देखिए।]
३४. बाइबल बच्चों को शिक्षा देने की मुख्य ज़िम्मेदारी पिता को सौंपती है, लेकिन माँ की भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है। [fy पृ. १३३ अनु. १२]
३५. व्यवस्था में लापरवाही की वज़ह से हुई हत्या के लिए दया की माँग स्वीकार नहीं की जाती थी। [साप्ताहिक बाइबल पठन; w-HI९५ ११/१५ पृ. ११ अनु. ५ देखिए।]