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हमारी राज-सेवा—1999
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बच्चे—“यहोवा के दिए हुए दान”

“यदि बच्चों का पूरा खयाल न रखा जाए तो मानवजाति की कोई भी मूलभूत दीर्घकालिक समस्या दूर नहीं होगी।”—संयुक्‍त राष्ट्र बाल निधि। यह बात मई ८, १९९९ की सजग होइए! के पहले लेख की शुरुआत में कही गई थी। हम सभी यहोवा के साक्षियों ने लोगों को यह पत्रिका बाँटने में काफी ज़ोर-शोर से हिस्सा लिया था और इससे हमें खुशी भी मिली थी क्योंकि इसके ज़रिए हमने बच्चों के साथ आज हो रही बदसलूकी पर लोगों का ध्यान खींचा।

२ यहोवा के साक्षियों में खासकर माता-पिताओं को यह पत्रिका बाँटने में कितनी खुशी मिली होगी! इस पत्रिका से न सिर्फ उन्हें अपनी ज़िम्मेदारियों के बारे में बाइबल की सलाह अच्छी तरह समझ आई होगी बल्कि वे दूसरों को भी यह बताने में आगे रहे होंगे कि यहोवा के बताए तरीके से बच्चों की परवरिश करना कितनी अक्लमंदी है। हमारे बच्चों ने भी बड़े जोश के साथ इस पत्रिका को बाँटा था इसलिए हमें यकीन है कि उन्होंने जिनको भी गवाही दी, उन पर अच्छा असर पड़ा होगा।—नीति. १:८, ९.

३ हमारे बच्चे सभाओं से बहुत कुछ सीखते हैं। सभाओं में उन्हें महान उपदेशक, यहोवा से सिखलाए जाने का बढ़िया मौका मिलता है। और महान शिक्षक यीशु मसीह की बात पर ध्यान देने से, उन्हें यह समझ आता है कि वे उसके नक्शे-कदम पर कैसे चल सकते हैं। इसके अलावा “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” वर्ग बच्चों में, खासकर जवानों में दिलचस्पी ले रहा है, इसलिए आज की उनकी समस्याओं को देखते हुए वह न सिर्फ उन्हें बल्कि उनके माता-पिता को भी अच्छी सलाह दे रहा है।

४ बच्चों को इस तरह की आध्यात्मिक मदद देते रहने के लिए माता-पिता भी अपनी तरफ से क्या कर सकते हैं? यह सच है कि आज दुनिया भर में बच्चे सकंट में हैं और उन्हें फौरन मदद की ज़रूरत है, लेकिन यह भी सच है कि हमारे बच्चों को आज पहले से कहीं ज़्यादा मदद देने की ज़रूरत है ताकि उन पर दुनिया के तौर-तरीकों का असर न पड़े। इसलिए उन्हें मदद देने के लिए बराबर फैमिली स्टडी करना निहायत ज़रूरी है। हमें पहले भी बताया गया था कि अगर परिवार में फैमिली स्टडी नहीं हो रही है तो देर किए बिना आज ही शुरू कर देना चाहिए। (नीति. २:१-५) अगर बच्चों के साथ अच्छी तरह फैमिली स्टडी की जाएगी और वे सभी मीटिंगों में हाज़िर होंगे, तो शैतान उन्हें फँसाने के लिए चाहे कितनी भी कोशिश क्यों न करे वे उसका डटकर सामना कर पाएँगे।—इफि. ६:११, १२, १६.

५ बच्चों की परवरिश करना माता-पिताओं को मिली एक बढ़िया आशीष है। यह ऐसी अमानत है जो हमारे स्वर्गीय पिता यहोवा परमेश्‍वर ने माता-पिताओं को सौंपी है। इसलिए बच्चों की परवरिश करना एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी भी है। अगर माता-पिता आज बच्चों को अपना समय दें और उनकी देखभाल करें तो एक दिन यह देखना उनके लिए कितनी खुशी की बात होगी कि उनके बच्चे बड़े होकर इज़्ज़तदार आध्यात्मिक पुरुष और स्त्री बने हैं।—भजन १२७:३-५, NHT.

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