सभाओं से हम ज़्यादा खुशी कैसे पा सकते हैं
आध्यात्मिक रूप से तंदरुस्त बने रहने के लिए सभाओं में हाज़िर होना बेहद ज़रूरी है। लेकिन सभाओं से खुशी पाना इस बात पर निर्भर करता है कि हम सभाओं से पहले, उनके दौरान और उनके बाद क्या करते हैं। अगर हम चाहते हैं कि हम और दूसरे भी सभाओं से ज़्यादा-से-ज़्यादा खुशी पाएँ, तो हम क्या कर सकते हैं?
२ सभाओं से पहले: अगर हमें सभाओं से खुशी पानी है तो पहले से अच्छी तैयारी करनी चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से हम कार्यक्रम पर पूरा ध्यान दे सकेंगे और सवाल-जवाब में हिस्सा ले सकेंगे। अगर मीटिंग में हमारा कोई भाग है तो हमें और भी अच्छी तैयारी करनी चाहिए ताकि हम दी गई हिदायतों के मुताबिक विषय को ऐसे पेश करें कि श्रोताओं का पूरा-पूरा ध्यान हमारे भाषण पर लगा रहे। इसके लिए ज़रूरी है कि हम बार-बार इसकी अच्छी प्रैक्टिस करें। अगर मीटिंग को दिलचस्प बनाने में हम अपना भाग अदा करते हैं तो इससे सबको फायदा होगा और हमारी आध्यात्मिक तरक्की ज़ाहिर होगी, तब हमें बहुत खुशी भी मिलेगी।—१ तीमु. ४:१५, १६.
३ सभाओं के दौरान: सभाओं में जवाब देने से भी हमारी खुशी बढ़ती है। जिस कार्यक्रम में श्रोताओं को जवाब देना होता है, उस कार्यक्रम को हमें यह सोचकर तैयारी करनी चाहिए कि यह खुद हमारा भाग है। अगर हमारे जवाब सही और थोड़े शब्दों में हों तो ज़्यादा अच्छी तरह समझ आते हैं। जब किसी कार्यक्रम में अनुभव बताने के मौके मिलते हैं तो हमें ज़रूर कुछ अच्छे अनुभव थोड़े शब्दों में बताने चाहिए क्योंकि इनसे भाई-बहनों का जोश बढ़ता है और विश्वास मज़बूत होता है। (नीति. १५:२३; प्रेरि. १५:३) जब हम कोई भाषण देते हैं या किसी कार्यक्रम में हिस्सा लेते हैं तो हमें जोश से और पूरे विश्वास के साथ अपना भाग पेश करना चाहिए ताकि सुननेवालों में दिलचस्पी पैदा हो, उन्हें हमारी बात बनावटी न लगे और वे उस पर अमल कर सकें।
४ सभाओं के बाद: सभाओं के बाद अगर हम एक-दूसरे से मिलकर दोस्ताना बातचीत करें और मीटिंग में बताई गई कुछ खास बातों पर चर्चा करें तो सभी को फायदा होगा। जब हम एक-दूसरे को बताते हैं कि हमें सभाओं में छोटे-बड़े और नए, सभी लोगों को भाग लेते देखकर कितनी खुशी मिलती है तो इससे भाई-बहनों के बीच का प्यार और भी बढ़ेगा। जो लोग मीटिंग में नहीं आते हैं उनके बारे में बुरा-भला कहने के बजाय अगर हम सभाओं से मिलनेवाली खुशी के बारे में उनको बताएँ तो उनमें भी सभाओं में आने का जोश पैदा होगा।—इब्रा. १०:२४, २५.
५ सभाओं में एक-दूसरे का हौसला बढ़ाने का बढ़िया मौका मिलता है, इसलिए आइए हम हर हाल में सभाओं में आने की कोशिश करें। (रोमि. १:११, १२) सभाओं को कामयाब बनाने के लिए अगर हम जी-जान से कोशिश करें तो इससे हम सभी खुशी पा सकते हैं।