ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल पुनर्विचार
ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल में जनवरी 3 से अप्रैल 17, 2000 तक के हफ्तों में दी गई जानकारी पर विचार किया जाएगा। दिए गए समय में ज़्यादा से ज़्यादा सवालों के जवाब एक अलग कागज़ पर लिखने की कोशिश कीजिए।
[सूचना: सवालों का जवाब देने के लिए आप सिर्फ बाइबल इस्तेमाल कर सकते हैं। सवालों के बाद दी गई संख्याएँ व्यक्तिगत रूप से खोज करने में आपकी मदद करने के लिए हैं। द वॉचटावर और प्रहरीदुर्ग से जवाब ढूँढ़ने के लिए हर जगह शायद पेज और पैराग्राफ नंबर न दिए गए हों।]
नीचे दिए गए वाक्यों का सही या गलत में जवाब दीजिए:
1. यहोवा की आशीषें पाने के लिए कभी-कभी हमें इंतज़ार करना पड़ सकता है क्योंकि वह हमारी परिस्थिति जानता है और ठीक उसी समय वह हमारी हरेक ज़रूरत पूरी करेगा जब वह हमारे लिए सबसे फायदेमंद होगी। (भज. 145:16; याकू. 1:17) [w-HI98 1/1 पेज 23 पैरा. 6]
2. कुछ हद तक अपने बच्चों को सेक्स-संबंधी विषयों की शिक्षा देना न केवल उचित है बल्कि कृपापूर्ण भी है। [w-HI98 2/15 पेज 9.]
3. आज हम यहोवा के वचनों को मात्र पढ़कर ही आध्यात्मिक रूप से मज़बूत और प्रोत्साहित होते हैं। (व्यव. 8:3) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI86 1/1 पेज 19 पैरा. 15, 17 देखिए।]
4. हम मूसा की व्यवस्था का एक उसूल व्यवस्थाविवरण 23:20 में पाते हैं, जिसके मुताबिक अगर एक मसीही किसी को पैसे उधार देकर ब्याज ले, तो वह प्यार की कमी दिखाता है। [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; it-1 पेज 1212 पैरा. 5 देखिए; it-2 पेज 259 पैरा. 11; w-HI87 7/1 पेज 12 पैरा. 9]
5. यहोशू और कालेब ने अच्छी रिपोर्ट इसलिए दी क्योंकि उन्हें पक्का विश्वास था कि इस्राएली बहुत ताकतवर हैं और उनका इरादा बहुत मज़बूत है। इसलिए इस्राएली किसी भी तरह, हर मुश्किल का सामना करके वादा किए गए देश पर कब्ज़ा कर लेंगे। (गिन. 13:30) [w-HI98 2/1 पेज 5 पैरा. 4]
6. 1 तीमुथियुस में जब पौलुस ने “बरदान” का ज़िक्र किया तो वह तीमुथियुस के पवित्र आत्मा से अभिषिक्त किए जाने और स्वर्ग में उसे मिलनेवाले इनाम की बात कर रहा था। (1 तीमु. 4:14) [w-HI98 2/15 पेज 25 पैरा. 1]
7. हालाँकि परस्त्रीगमन क्षमा किया जा सकता है, यह निर्दोष साथी के लिए तलाक लेने का वैध शास्त्रीय आधार है। (मत्ती 5:32) [kl अध्या. 13 पैरा. 13]
8. पति मसीह के प्रति अपनी अधीनता दिखाता है जब वह अपनी पत्नी के साथ उस ढंग से व्यवहार करता है ठीक जैसे यीशु ने कलीसिया के साथ हमेशा परम सौम्यता, प्रेम, और कोमलता से व्यवहार किया था। (1 यूह. 2:6; मत्ती 20:25-28) [kl अध्या. 14 पैरा. 12]
9. न्यायियों 6:37-39 में दी गई गिदोन की प्रार्थना दिखाती है कि वह कुछ ज़्यादा ही होशियार था और उसे यहोवा की शक्ति पर शक था। [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-88 4/1 पेज 30 पैरा. 6 देखिए।]
10. जब यीशु ने अपने चेलों से कहा कि वे ‘मार्ग में किसी को नमस्कार न करें’ तो वह यही कहना चाहता था कि प्रचार काम सबसे ज़रूरी है और इस काम पर ही हमें पूरा-पूरा ध्यान देना चाहिए। (लूका 10:4) [w-HI98 3/1 पेज 30 पैरा. 5]
नीचे दिए गए सवालों के जवाब दीजिए:
11. यह क्यों ज़रूरी है कि परमेश्वर के वचन पहले माता-पिताओं के दिल में अच्छी तरह बैठ जाएँ? (व्यव. 6:5, 6) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI98 6/1 पेज 20 पैरा. 4 देखिए।]
12. किस तरह एक परिवार का सिर व्यवस्थाविवरण 11:18, 19 में दिए गए उसूल पर अमल कर सकता है? [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; fy पेज 70, पैरा. 14 देखिए।]
13. बाइबल से हम कैसे साबित कर सकते हैं कि फिलेमोन को प्रेरित पौलुस ने जो चिट्ठी लिखी उससे पहले, भगोड़ा दास उनेसिमुस कुछ समय से पौलुस के साथ था? [w-HI98 1/15 पेज 30 पैरा. 2]
14. जब हम दूसरों पर अन्याय होता देखते हैं या जब खुद हमारे साथ अन्याय होता है तो हम उदास होने या निराशावादी नज़रिया अपनाने से खुद को कैसे रोक सकते हैं? [w-HI98 2/1 पेज 6 पैरा. 2-3]
15. इस व्यवस्था का अन्त कैसे होगा? [kl अध्या. 11 पैरा. 15]
16. यहोशू 10:10-14 में बताई गई घटनाएँ किस तरह अरमगिदोन में होनेवाली घटनाओं से मिलती-जुलती हैं? [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI87 1/1 पेज 23 पैरा. 12-पेज 24 पैरा. 14.]
17. अच्छे चाल-चलन के लिए की गई प्रशंसा के तीन फायदे बताइए। (नीतिवचन 15:23 से तुलना कीजिए।) [w-HI98 2/1 पेज 31 पैरा. 5-6]
18. यहोशू 20:4 के मुताबिक किस तरह एक व्यक्ति लाक्षणिक शरण नगर में भागता है? [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI87 1/1 पेज 24 पैरा. 16 देखिए।]
19. किस तरह न्यायियों 5:31 दिखाता है कि कीशोन की जलप्रवाहित घाटी में सीसरा की सेना पर न्यायी बाराक ने जो जीत हासिल की उसका हमारे समय के लिए बहुत ही खास मतलब है? [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI87 3/1 पेज 27 पैरा. 4 देखिए।]
20. न्यायियों 7:21 में कहा गया है कि ‘वे अपने अपने स्थान पर खड़े रहे’ इस सिद्धांत को आज हम कैसे मान सकते हैं? [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w82 6/1 पेज 25 पैरा. 17 देखिए]
नीचे दिए गए वाक्यों को पूरा करने के लिए ज़रूरी शब्द या वाक्यांश लिखिए:
21. बड़े पैमाने पर यहोवा की आशीष का अनुभव करने के लिए हमें ___________________ करना चाहिए और उसके प्रेरित वचन में दी गई शिक्षाओं पर ___________________ के लिए यहोवा से मदद के लिए बिनती करनी चाहिए। (1 तीमु. 4:8, 9) [w-HI98 1/1 पेज 24 पैरा. 6]
22. चापलूसी करना यहोवा को इसलिए इतना नाखुश करता है क्योंकि यह ___________________ इरादों से की जाती है, यह ___________________ है और इसमें ___________________ नहीं होती और सबसे बुरी बात यह है कि चापलूसी करना ___________________ दिखाना नहीं होता। [w-HI98 2/1 पेज 30 पैरा. 2-3]
23. प्रेतात्मवाद ___________________ , या ___________________ के साथ प्रत्यक्ष रूप से या किसी ___________________ के द्वारा अंतर्ग्रस्तता है। [kl अध्या. 12 पैरा. 6]
24. मत्ती 7:24-27 में दिए गए यीशु के दृष्टांत पर अमल करते हुए बुद्धिमान माता-पिता अगर अपने बच्चों को ___________________ व ___________________ दें तो बच्चे तूफान-सरीखे दबावों का सामना कर सकेंगे और ___________________ खड़े रह सकेंगे। [w-HI98 2/15 पेज 9 पैरा. 1]
25. नया संसार अनुवाद (अंग्रेज़ी) बाइबल में ___________________ से भी ज़्यादा बार यहोवा को ___________________ कहा गया है। सर्वसत्ताधारी वह होता है जिसके पास ___________________ होता है। [kl अध्या. 14 पैरा. 3]
नीचे दिए गए वाक्यों के सही जवाब चुनिए:
26. चाहे एक व्यक्ति मौत को मद्देनज़र रखते हुए अपनी संपत्ति के बँटवारे के संबंध में कदम उठाता है या नहीं, यह (कलीसिया का मामला है; निजी मामला है; सच्चे मसीहियों के लिए एक नियम है)। (गल. 6:5) [w-HI98 1/15 पेज 19 पैरा. 6]
27. पौलुस ने फिलेमोन को प्रोत्साहित किया कि वह (ओनाम; उनेसिफुरुस; उनेसिमुस) का कृपापूर्वक स्वागत करे लेकिन उसने अपने प्रेरितिक अधिकार का इस्तेमाल उसे यह हुक्म देने के लिए नहीं किया कि वह ऐसा ही करे या अपने दास को रिहा करे। (फिले. 21) [w-HI98 1/15 पेज 31 पैरा. 1]
28. जिन कोढ़ियों को यीशु ने चंगा किया था उनमें एक बहुत बड़ी खामी नज़र आती है, वह थी (विश्वास की कमी; उन्होंने आज्ञा न मानी; उनकी एहसानफरामोशी)। (लूका 17:11-19) [w-HI98 2/15 पेज 5 पैरा. 1]
29. राहाब ने जो किया उसे परमेश्वर ने मंज़ूरी दी थी, इसलिए इस्राएली जासूसों का पीछा कर रहे यरीहो के पुरुषों से राहाब ने जो कहा उससे ज़ाहिर होता है कि (झूठ बोलना चाहिए या नहीं यह हमारा निजी मामला है; जिस व्यक्ति को सच्ची बात जानने का हक नहीं है उसे वह बात बताना ज़रूरी नहीं है; राहाब ने जीने का अपना दुनियावी तरीका पूरी तरह नहीं बदला था)। (यहो. 2:3-5; रोमियों 14:4 से तुलना कीजिए।) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-93 12/15 पेज 25 पैरा. 1 देखिए।]
30. यूहन्ना 13:5 के मुताबिक यीशु ने जो किया, उसमें हम (दया; हमदर्दी; नम्रता) का गुण सीखते हैं, जो एक व्यक्ति को दूसरों की खातिर छोटे से छोटा काम करने के लिए भी उकसाता है। [w-HI98 3/15 पेज 7 पैरा. 5]
नीचे दिए गए आयतों का वाक्यों के साथ सुमेल कीजिए:
व्यव.7:3, 4; 25:11,12; 28:3; यिर्म.15:20; इफि.1:22
31. सृजनहार की नज़रों में जननांग बहुत ही महत्वपूर्ण हैं, इस बात को मन में रखते हुए हर दंपत्ति को तय करना है कि वे परिवार नियोजन के उचित तरीके इस्तेमाल करेंगे या नहीं। [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI99 6/15 पेज 28 पैरा. 2-5 देखिए।]
32. हम यहोवा पर भरोसा रख सकते हैं कि वह राज्य का सुसमाचार सुनाने में ज़रूर हमारी मदद करेगा। [w-HI98 3/1 पेज 28 पैरा. 1]
33. बाइबल की चेतावनी की ओर ध्यान देना हमें उन दुःखद परिणामों से भी बचाता है जो अकसर उत्पन्न होते हैं जब एक मसीही खुद को किसी अविश्वासी के साथ जोतता है। [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI90 6/1 पेज 14 पैरा. 11 देखिए।]
34. परमेश्वर से आशीष पाना इस बात पर निर्भर नहीं है कि हम उसकी सेवा कहाँ रहकर करते हैं या उसकी सेवा में हमारी कार्य-नियुक्ति क्या है। [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI96 6/15 पेज 15 पैरा. 15 देखिए।]
35. कलीसियाएँ यीशु मसीह की संपत्ति हैं, और अपने उचित समय में, जिस प्रकार कुरिन्थ में उसने किया, वह ऐसी किसी भी कठिनाइयों को सुलझाने के लिए कार्य करेगा जो उनकी आध्यात्मिक भलाई और शान्ति के लिए खतरा पेश करती हो। [w-HI96 6/15 पेज 30.]