“ठीक समय पर कहा हुआ वचन”
क्या प्रचार करने में आपको मुश्किल होती है? क्या आपको ऐसा लगता है कि आपको सामनेवाले को कोई ऐसी बात बोलनी चाहिए जिसे सुनकर वह एकदम प्रभावित हो जाए? जब यीशु ने अपने चेलों को प्रचार करने के लिए भेजा, तो उसने उनसे सिर्फ इतना कहने के लिए कहा: “स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।” (मत्ती 10:7) बिलकुल साधारण से शब्द, और बोलने में आसान भी। आज भी हमें ऐसा ही करना चाहिए।
2 लोगों से बातचीत शुरू करने के लिए चंद शब्द ही काफी हैं। जब फिलिप्पुस एक कूशी खोजे से मिला, तो उसने बस इतना पूछा: “तू जो पढ़ रहा है क्या उसे समझता भी है?” (प्रेरि. 8:30) मगर देखिए, उनके बीच कितनी सुंदर चर्चा हुई और कितना सुंदर परिणाम भी निकला। यह था ‘ठीक समय पर कहे हुए वचन’ का नतीजा।—नीति. 25:11.
3 हम भी अपने प्रचार में ऐसा ही कर सकते हैं। कैसे? देखिए कि घरवालों के और आस-पड़ोस के हालात कैसे हैं, और उसी के मुताबिक सही शब्दों का इस्तेमाल कीजिए। सवाल पूछिए और उनका जवाब सुनिए।
4 कुछ सवाल: बातचीत शुरू करने के लिए आप इनमें से एक सवाल पूछ सकते हैं:
▪“क्या आप प्रभु की प्रार्थना करते हैं?” (मत्ती 6:9, 10) इस प्रार्थना की कुछ बातें बताइए और फिर कहिए: “कई लोग पूछते हैं कि ‘परमेश्वर या पिता का नाम क्या है, जिसे पवित्र माना जाना चाहिए? उसका राज्य क्या है?’ क्या आपको कभी इन सवालों का जवाब मिला है?”
▪“क्या आपने कभी सोचा है कि हमारी ज़िंदगी का मकसद क्या है?” बताइए कि परमेश्वर का ज्ञान पाना इस सवाल का जवाब है।—सभो. 12:13; यूह. 17:3.
▪“क्या आपको लगता है कि एक ऐसा वक्त आएगा जब इंसान कभी नहीं मरेगा?” इसका जवाब देने के लिए यशायाह 25:8 और प्रकाशितवाक्य 21:4 पढ़िए।
▪“क्या आज की दुनिया की तमाम समस्याओं और परेशानियों का कोई हल है?” दिखाइए कि परमेश्वर द्वारा बताया गया हल है ‘अपने पड़ोसी से प्रेम रखना।’—मत्ती 22:39.
▪“क्या एक दिन किसी आकाश पिंड से टकराकर हमारी पृथ्वी का विनाश हो जाएगा?” बाइबल में वादा किया गया है कि यह पृथ्वी हमेशा के लिए टिकी रहेगी, मगर सिर्फ बुरे लोगों का नाश होगा।—भज. 104:5.
5 सो, सरल शब्दों में और दोस्ताना अंदाज़ में परमेश्वर के “वचन” का सुसमाचार पेश कीजिए। यकीन मानिए, यहोवा आपकी मेहनत पर ज़रूर आशीष बरसाएगा।