सेवा सभा की तालिका
नोट: हमारी राज्य सेवकाई में हमेशा की तरह आनेवाले महीनों में भी हर हफ्ते की सेवा सभा का कार्यक्रम दिया जाएगा। कलीसियाएँ, “परमेश्वर के वचन के सिखानेवाले” जिस ज़िला अधिवेशन में हाज़िर होंगी, उसके मुताबिक वे सेवा सभा के कार्यक्रम में फेरबदल कर सकती हैं। अधिवेशन से पहले, आखिरी सेवा सभा में 15 मिनट के लिए इस महीने के इंसर्ट से हम पर लागू होनेवाली कुछ खास सलाह दोहराइए। दिसंबर महीने के दौरान एक पूरी सेवा सभा में अधिवेशन की बातों की झलकियों पर चर्चा होगी। उस चर्चा में हिस्सा लेने के लिए हम सभी अधिवेशन में ज़रूरी मुद्दों के नोट्स ले सकते हैं, और उन मुद्दों को भी लिख सकते हैं जिन्हें हम अपनी ज़िंदगी और सेवकाई में अमल करना चाहेंगे। तब हम सेवा सभा की चर्चा में बता पाएँगे कि अधिवेशन के बाद से हमने उन सुझावों पर कैसे अमल किया है। चर्चा में यह सुनकर एक-दूसरे का हौसला बढ़ेगा कि हमने अधिवेशन में मिली बढ़िया शिक्षा से कैसा लाभ पाया है।
जुलाई 9 से शुरू होनेवाला सप्ताह
गीत 21 (191)
8 मि: कलीसिया की घोषणाएँ और हमारी राज्य सेवकाई से चुनिंदा घोषणाएँ। सेवा सभा के कार्यक्रम में हुए बदलाव के बारे में ऊपर दिए गए नोट पर ध्यान दिलाइए और बताइए कि दिसंबर की जिस सेवा सभा में ज़िला अधिवेशन की बातों की झलकियाँ पेश जाएँगी, उसके लिए कैसी योजनाएँ बनाई गई हैं।
17 मि: जवानो—सोच-समझकर अपने कैरियर का चुनाव कीजिए। एक पिता और उसका किशोर बेटा या बेटी एक प्राचीन के पास जाते हैं जिसे नौकरी के मामले में अच्छा तजुर्बा है। तीन हफ्ते पहले जब उस जवान ने सेवा सभा में कैरियर चुनने के बारे में दिया गया भाग सुना तब से वह रेग्युलर पायनियर सेवा करने के बारे में गंभीरता से सोच रहा/रही है, मगर उसे इस बात की भी चिंता है कि पायनियर सेवा के साथ वह अपनी ज़रूरतें कैसे पूरी करेगा/करेगी। प्राचीन, इस बारे में सही नज़रिया रखने पर ज़ोर देता है। (सितंबर 1, 1999, प्रहरीदुर्ग, पेज 11, पैराग्राफ 13) कुछ ट्रेनिंग हासिल करना अक्लमंदी होगी ताकि आप खुद अपनी देख-भाल कर सकें। इस तरह बहुत-से लोग कामयाब हुए हैं क्योंकि उन्होंने छोटे-छोटे हुनर सीखें हैं, जिनमें ज़्यादा पैसा और समय खर्च नहीं होता। (फरवरी 1, 1996, प्रहरीदुर्ग, पेज 14; युवा लोग पूछते हैं, पेज 178) वे साथ मिलकर अप्रैल 8, 1996 की सजग होइए! के पेज 9-11 पर चर्चा करते हैं जिसमें कुछ कारगर सुझाव दिए गए हैं कि सही नौकरी की तलाश कैसे की जा सकती है या खुद-ब-खुद रोज़ी-रोटी कमाने के तरीके कैसे ढूँढ़े जा सकते हैं।
20 मि: “जहाँ ज़रूरत है, क्या वहाँ आप सेवा कर सकते हैं?”a आपकी कलीसिया के प्रचारक जब किसी दूर-दराज़ इलाके में या किसी ऐसे इलाके में गए जहाँ प्रचार बहुत कम हुआ था, तो उन्हें जो हौसला बढ़ानेवाले अनुभव मिले हैं, इसके बारे में भी बताइए।— आवर मिनिस्ट्री किताब पेज 112-113 देखिए।
गीत 8 (53) और प्रार्थना।
जुलाई 16 से शुरू होनेवाला सप्ताह
गीत 9 (37)
10 मि: कलीसिया की घोषणाएँ। अकाउंट्स रिपोर्ट।
15 मि: सब जातियों के लिए सुसमाचार। श्रोताओं के साथ चर्चा और प्रदर्शन। इस देश में बहुत-सी भाषाएँ बोली जाती हैं। दिखाइए कि कैसे हम सब जातियों के लिए सुसमाचार (अँग्रेज़ी) पुस्तिका के ज़रिए अलग-अलग भाषा के लोगों को साक्षी दे सकते हैं। पेज 2 से “इस पुस्तिका का इस्तेमाल” के तहत दी गई जानकारी को चंद शब्दों में बताइए और अपनी कलीसिया की भाषा में छापे गए संदेश को पढ़िए। एक प्रदर्शन दिखाइए कि जब घर-घर के प्रचार के दौरान आपकी मुलाकात ऐसे व्यक्ति से होती है जो कोई दूसरी भाषा बोलता हो, तो उसे किस तरह गवाही दी जा सकती है। इस सिलसिले में अगर आपके क्षेत्र में कुछ अच्छे अनुभव हुए हैं, तो उनके बारे में बताइए।—फरवरी 1998 की हमारी राज्य सेवकाई के इंसर्ट के पैराग्राफ 7-8 देखिए।
20 मि: “पीछे मत हटिए!”b अगर समय हो तो दिसंबर 15, 1999, प्रहरीदुर्ग, पेज 25 में दिए गए अनुभव बताइए।
गीत 22 (130) और प्रार्थना।
जुलाई 23 से शुरू होनेवाला सप्ताह
गीत 16 (143)
5 मि: कलीसिया की घोषणाएँ।
20 मि: जवानो—अपनी पढ़ाई की योजना समझदारी से कीजिए। एक प्राचीन कुछ माता-पिताओं और उनके किशोर बच्चों से अतिरिक्त शिक्षा के बारे में बात करता है। प्राचीन चर्चा में पहल करता है और सितंबर 1, 1999, की प्रहरीदुर्ग, पेज 16-17 के पैराग्राफ 11-13 पर चर्चा करता है। प्राचीन उन कारणों पर ज़ोर देता है कि क्यों पूरे समय की सेवा को पहला स्थान दिया जाना चाहिए। (दिसंबर 1, 1996, प्रहरीदुर्ग, पेज 18-19, पैराग्राफ 13-15) उसके बाद वे सब अप्रैल 8, 1998 की सजग होइए! के पेज 26-7 में दी गई सलाह की चर्चा करते हैं। वे इस बात पर भी ज़ोर देते हैं कि अतिरिक्त शिक्षा लेने से पहले इसके फायदे और नुकसान की जाँच करनी चाहिए। और उतनी ही शिक्षा लेनी चाहिए जिसकी मदद से पूरी तरह सेवकाई में हिस्सा लेना मुमकिन हो। सभी इस बात से सहमत होते हैं कि उन्हें यीशु की दी हुई हिदायत के अनुसार परमेश्वर के राज्य को पहला स्थान देना चाहिए।—मत्ती 6:33.
20 मि: “यशायाह की भविष्यवाणी का अध्ययन करने के लिए तैयार हो जाइए!”c थोड़े शब्दों में बताइए कि हम सबको यशायाह की किताब का अध्ययन करने से क्या फायदा होगा। (यशायाह की भविष्यवाणी I का अध्याय 1, पैराग्राफ 10-12 देखिए।) कलीसिया में सभी को लगातार पुस्तक अध्ययन में हाज़िर होने के लिए उकसाइए।
गीत 8 (53) और प्रार्थना।
जुलाई 30 से शुरू होनेवाला सप्ताह
गीत 16 (143)
5 मि: कलीसिया की घोषणाएँ। सभी को याद दिलाइए कि वे जुलाई महीने की क्षेत्र सेवकाई की रिपोर्ट डाल दें।
10 मि: कलीसिया की ज़रूरतें।
14 मि: “अधिवेशन—आनंद का समय!” प्राचीन द्वारा भाषण। बताइए कि क्यों बाइबल के ज़माने में यहोवा के लोग एक-साथ जमा हुआ करते थे और आज भी ऐसा करना क्यों फायदेमंद होगा। इन मौकों पर एक-दूसरे से मिलने से हौसला-अफज़ाई होती है और ज़रूरी आध्यात्मिक भोजन मिलता है। तीनों दिन ज़िला अधिवेशन में सभी के हाज़िर होने के महत्त्व पर ज़ोर दीजिए।
16 मि: “‘सभ्यता और क्रमानुसार’ काम कीजिए।”d अधिवेशन आयोजित करने के लिए कौन-कौन-से बड़े इंतज़ामों की ज़रूरत होती है, उनका वर्णन कीजिए। हमारे फायदे के लिए जो हिदायतें दी जाती हैं, उनका पूरा-पूरा पालन करना कितना ज़रूरी है, इस बारे में ज़ोर देकर बताइए। ऐसे तरीके बताइए जिनसे हम सभी अधिवेशन के लिए आदर दिखा सकते हैं और बेकार की परेशानियों को बुलावा देने से बच सकते हैं।
गीत 22 (130) और प्रार्थना।
अगस्त 6 से शुरू होनेवाला सप्ताह
गीत 6 (46)
10 मि: कलीसिया की घोषणाएँ। श्रोताओं को उनके अनुभव बताने को कहिए जो उन्हें अपने काम पर जाते हुए, छुट्टियों के दौरान या उन रिश्तेदारों को गवाही देते समय मिले जो सच्चाई में नहीं हैं।
17 मि: “सुनिए और अपनी विद्या बढ़ाइए।” इसे भाषण के रूप में देते हुए कुछ सवाल भी पूछिए। बताइए कि क्यों अधिवेशनों से मिलनेवाला आध्यात्मिक भोजन हमारे लिए ज़रूरी है। बताइए कि ऐसे कार्यक्रम को तैयार करने में कितना ज़्यादा समय और मेहनत लगती है। श्रोताओं से बताने को कहिए कि अगर खुद हमें और दूसरों को भी कार्यक्रम से पूरा फायदा होना है, तो हम में से हरेक क्या कर सकता है। उन कारणों पर ज़ोर दीजिए कि कार्यक्रम शुरू होने पर क्यों हम सबको अपनी जगह पर होना चाहिए।
18 मि: “अच्छा कीजिए, तारीफ पाइए!”e बताइए कि जब हम बड़े-बड़े अधिवेशनों के लिए इकट्ठा होते हैं तो क्यों लोगों का ध्यान हमारी तरफ खिंच जाता है। देखनेवाले जब हमारी तारीफ करते हैं तो इससे राज्य की गवाही होती है मगर जब हमारी निंदा की जाती है तो लोग हमसे मुकर सकते हैं। कुछ खास तरीके बताइए जिनके ज़रिए हमें दिखाना चाहिए कि हमारे अंदर मसीही गुण हैं और हम सचमुच दूसरों की परवाह करते हैं।
गीत 17 (187) और प्रार्थना
[फुटनोट]
a एक मिनट से भी कम समय में लेख का परिचय दीजिए और फिर सवाल-जवाब के साथ चर्चा कीजिए।
b एक मिनट से भी कम समय में लेख का परिचय दीजिए और फिर सवाल-जवाब के साथ चर्चा कीजिए।
c एक मिनट से भी कम समय में लेख का परिचय दीजिए और फिर सवाल-जवाब के साथ चर्चा कीजिए।
d एक मिनट से भी कम समय में लेख का परिचय दीजिए और फिर सवाल-जवाब के साथ चर्चा कीजिए।
e एक मिनट से भी कम समय में लेख का परिचय दीजिए और फिर सवाल-जवाब के साथ चर्चा कीजिए।