ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल पुनर्विचार
ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल पुनर्विचार में 7 मई से 20 अगस्त 2001 तक के हफ्तों से जानकारी ली गई है। दिए गए समय में ज़्यादा-से-ज़्यादा सवालों के जवाब एक अलग कागज़ पर लिखने की कोशिश कीजिए।
[सूचना: सवालों का जवाब देने के लिए आप सिर्फ बाइबल इस्तेमाल कर सकते हैं। सवालों के बाद दिए गए हवाले व्यक्तिगत रूप से खोज करने में आपकी मदद करने के लिए हैं। प्रहरीदुर्ग से जवाब ढूँढ़ने के लिए हर जगह शायद पेज और पैराग्राफ नंबर न दिए हों।]
नीचे दिए गए वाक्यों का सही या गलत में जवाब दीजिए:
1. नहेमायाह 2:4 में जिस प्रार्थना का ज़िक्र है, वह एकदम आखिरी वक्त पर की गई थी जब नहेमायाह के पास और कोई उपाय नहीं था। [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI86 3/1 पेज 28 पैरा. 8 देखिए।]
2. शब्द, “कलीसिया” यूनानी शब्द एकलीसीया का अनुवाद है, जिसका मतलब है, एक होकर रहना और एक-दूसरे की मदद करना। [w-HI99 5/15 पेज 25 पैरा. 4]
3. यीशु पृथ्वी पर खासकर परमेश्वर के राज्य का प्रचार करने आया था, जो उसके पिता के नाम पर से कलंक को मिटा देगा और मनुष्य की सारी बीमारियों को हमेशा के लिए दूर करेगा। [gt-HI 24]
4. जिस ज़माने में अय्यूब जी रहा था, उस समय केवल वही यहोवा का वफादार था। (अय्यू. 1:8) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w92 8/1 पेज 31 पैरा. 3-4 देखिए।]
5. शाऊल यानी पौलुस अपना गुज़ारा करने के लिए तंबू बनाया करता था। इससे ज़ाहिर होता है कि वह एक गरीब घराने से था। (प्रेरि. 18:2, 3) [w-HI99 5/15 पेज 30 पैरा. 2 से पेज 31 पैरा. 1]
6. हालाँकि दाऊद ने गंभीर पाप किए थे, मगर फिर भी यहोवा उसके बारे में कह सका कि वह “अपने पूर्ण मन से मेरे पीछे पीछे चलता” था क्योंकि दाऊद पश्चाताप करने के लिए तैयार रहता था और उसमें अच्छे गुण भी थे। (1 राजा 14:8) [w-HI99 6/15 पेज 11 पैरा. 4]
7. अगर हम ऐसा वादा करते हैं जो बाइबल के खिलाफ नहीं है, तो हमें उस वादे को हर हाल में पूरा करना चाहिए, चाहे उसे पूरा करना कितना ही मुश्किल क्यों न लगे। (भज. 15:4) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI91 8/1 पेज 30 पैरा. 6 देखिए।]
8. भजन 22:1 से पता चलता है कि दबाव पड़ने पर दाऊद कुछ समय के लिए अपना विश्वास खो बैठा था। [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI86 9/1 पेज 29 पैरा. 7]
9. एक मसीही मायूसी, निराशा, और कानूनी या आर्थिक कठिनाई की वजह से ‘गिर’ सकता है, मगर वह आध्यात्मिक तौर से हमेशा के लिए यूँ ही ‘पड़ा न रहेगा।’ क्योंकि परमेश्वर की आत्मा और उसके प्रेममय उपासकों की ओर से उसे मदद मिलेगी। (भज. 37:23, 24) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w86 11/1 पेज 30 पैरा. 14 देखिए।]
10. यीशु “न झगड़ा करेगा, और न धूम मचाएगा; और न बाज़ारों में कोई उसका शब्द सुनेगा,” इसका मतलब था कि वह चिल्ला-चिल्लाकर या ऊँची आवाज़ में खुलेआम प्रचार नहीं करेगा। (मत्ती 12:19) [gt-HI 33]
नीचे दिए गए सवालों के जवाब दीजिए:
11. एज्रा और उसके सहायकों ने किस तरह व्यवस्था का ‘अर्थ समझाया’? (नहे. 8:8) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI86 3/1 पेज 29 पैरा. 6 देखिए।]
12. “यहोवा का आनन्द” किस बात से मिलता है? (नहे. 8:10) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI86 3/1 पेज 29 पैरा. 11 देखिए।]
13. जिन लोगों ने “अपनी ही इच्छा से यरूशलेम में बास करना चाहा,” उन्हें आशीष क्यों दी गई? (नहे. 11:2) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI86 3/1 पेज 29 पैरा. 14 देखिए।]
14. एस्तेर ने राजा को अपने खास मकसद के बारे में बताने में देर क्यों की? (एस्ते. 5:6-8) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI86 4/1 पेज 27 पैरा. 7 देखिए।]
15. दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी करने के बारे में बाइबल क्या सलाह देती है? इससे संबंधित आयतें बताइए। [fy-HI पेज 129 पैरा. 3]
16. एलीपज की सलाह से अय्यूब का हौसला बढ़ने के बजाय, वह क्यों मायूस हो गया? (अय्यू. 21:34; 22:2, 3) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI95 2/15 पेज 27 पैरा. 5-6 देखिए।]
17. वैवाहिक-जीवन में समस्याओं को कैसे और कब सुलझाना चाहिए? [fy-HI पेज 154 पैरा. 4]
18. भजन 2:1 के मुताबिक जातियाँ किन ‘व्यर्थ बातों’ के बारे में ‘सोच रही हैं?’ [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI86 9/1 पेज 28 पैरा. 5 देखिए।]
19. सामरियों और कूशी अधिकारी के पास जाकर फिलिप्पुस ने जो प्रचार किया था, उससे हमें निष्पक्ष होने के बारे में कौन-सी बात सीखने को मिलती है? (प्रेरि. 8:6-13, 26-39) [w-HI99 7/15 पेज 25 पैरा. 2]
20. अय्यूब ने अपने इस विश्वास को साबित करने के लिए कौन-सा उदाहरण दिया कि यहोवा उसे कब्र से, जिसे वह अपनी समस्याओं से छिपने की एक जगह मानता था, दोबारा ज़िंदा करेगा? (अय्यू. 14:7, 13-15) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI00 5/15 पेज 27 पैरा. 7 से पेज 28 पैरा. 1 देखिए।]
नीचे दिए वाक्यों को पूरा करने के लिए ज़रूरी शब्द या वाक्यांश लिखिए:
21. एस्तेर 8:17 में कहा गया है कि बहुत से लोग ‘यहूदी बन रहे’ थे; उसी तरह आज ‘अन्य भेड़ों’ की “ __________________ ” ने __________________ का पक्ष लिया है। (प्रका. 7:9; यूह. 10:16, NW; जक. 8:23) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI86 4/1 पेज 28 पैरा. 9 देखिए।]
22. प्रेरितों 1:7 के मुताबिक, हालाँकि यहोवा __________________ का बहुत ध्यान रखता है, मगर उसका लेखा लेने का दिन __________________ की नाईं आएगा, जब लोग इसकी उम्मीद भी नहीं कर रहे होंगे। (2 पत. 3:10) [w-HI99 6/1 पेज 5 पैरा. 1-2]
23. मत्ती 9:16, 17 में दिए गए दृष्टांत के ज़रिए, यीशु __________________ के चेलों को यह समझने में मदद दे रहा था कि उसके अनुयायियों से यह अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए कि वे विधि से संबंधित __________________ जैसे __________________ की पुरानी प्रथाओं को अपनाएँगे। [gt-HI 28]
24. पति-पत्नी के बीच अच्छी बातचीत के लिए ज़रूरी है कि एक-दूसरे पर उन्हें पूरा-पूरा भरोसा हो, विश्वास हो और वे एक-दूसरे को अच्छी तरह समझते हों। और ऐसा तभी होगा जब वे शादी को __________________ का रिश्ता समझें, और __________________ का अपना इरादा पक्का करें। [w-HI99 7/15 पेज 21 पैरा. 3]
25. अच्छे साथियों का असर हमें परमेश्वर की उपासना और चालचलन के बारे में दिए गए नियमों को __________________ में लाने और इस तरह यहोवा की सेवा __________________ से करने में मदद दे सकता है। [w-HI99 8/1 पेज 24 पैरा. 3]
नीचे दिए गए वाक्यों के सही जवाब चुनिए:
26. मोर्दकै का ‘राजभवन के फाटक में बैठने’ का मतलब है कि वह (राजा का अंगरक्षक था; राजा क्षयर्ष के अधिकारियों में से एक था; राजा से मिलने के लिए इंतज़ार कर रहा था)। (एस्ते. 2:19, 20) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI86 4/1 पेज 26 पैरा. 9 देखिए।]
27. अय्यूब 19:25-27 के मुताबिक, अय्यूब ने अपना विश्वास व्यक्त किया था कि वह “परमेश्वर का दर्शन” पाएगा यानी (उसे एक दर्शन दिया जाएगा; उसे स्वर्ग में ज़िंदा किया जाएगा; यहोवा के बारे में सच्चाई जानने के लिए उसकी समझ की आँखें खोली जाएँगी)। [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI94 11/1 पेज 26 पैरा. 17 देखिए।]
28. यदि माता-पिता अपने बच्चों में (लापरवाही; मूर्खता; मौज-मस्ती) देखते हैं तो उन्हें चकित नहीं होना चाहिए। (नीति. 22:15) [fy-HI पेज 149 पैरा. 20]
29. जब एक पति-पत्नी असहमत होते हैं, तो प्रत्येक को (सुनने के लिए तत्पर; बोलने के लिए तत्पर; गुस्सा करने के लिए तत्पर) होने की ज़रूरत है। (याकू. 1:19) [fy-HI पेज 156 पैरा. 9]
30. अगर पति-पत्नी स्पष्ट और निष्कपट होंगे तो वे अपने वैवाहिक-बंधन को मज़बूत कर सकते हैं, जो विवाह के विध्वंसक, (ढलती उम्र; बीमारी; शैतान) के हमलों को निष्फल करेगी। [fy-HI पेज 167 पैरा. 13]
नीचे दिए गए वचनों का वाक्यों के साथ मेल कीजिए:
नहे. 3:5; भज. 12:2; 19:7; 72:13; लूका 4:16-21
31. हमें मेहनत करने के लिए खुशी-खुशी अपने आपको अर्पित कर देना चाहिए, ना कि घमंडी होकर पीछे हट जाएँ और यह सोचें कि मेहनत करना हमारी शान के खिलाफ है। [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI86 3/1 पेज 28 पैरा. 12 और पेज 29 पैरा. 1 देखिए।]
32. पृथ्वी पर यीशु मसीह की सेवकाई के दौरान, यहूदी आराधनालय उपदेश देने, प्रार्थना करने, शास्त्र में लिखी बातें दोहराने, पढ़ने, साथ ही उसे समझाने की एक जगह थी। [gt-HI 21]
33. अपने राज्य के शासन के दौरान, दयालु राजा यीशु सब पीड़ित लोगों की सहायता करने की अपनी दिली इच्छा को पूरा करेगा। [gt-HI 25]
34. अगर हम परमेश्वर के दोस्त बनना चाहते हैं, तो हमें दिल से ईमानदार होना चाहिए और हमारे अंदर ज़रा भी कपट नहीं होना चाहिए। [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI91 8/1 पेज 29 पैरा. 1 देखिए।]
35. परमेश्वर के नियमों का पालन करने से हमारे प्राण बहाल किए जाते हैं और इससे हमारी भलाई होती है। [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI00 10/1 पेज 13 पैरा. 4 देखिए।]