ताकत के लिए यहोवा पर निर्भर रहिए
कई कारण हैं जिनकी वजह से हमें यहोवा पर निर्भर रहने की ज़रूरत है। हमें “सारे जगत में” राज्य का सुसमाचार प्रचार करने का काम मिला है और यह काम आसान हरगिज़ नहीं है। (मत्ती 24:14) हमें लगातार अपनी असिद्धता से भी लड़ना पड़ता है। (रोमि. 7:21-23) इससे भी बढ़कर, हमें “इस संसार के अन्धकार के हाकिमों से” भी “मल्लयुद्ध” करना है जो इंसानों से कहीं ज़्यादा ताकतवर हैं। (इफि. 6:11, 12) तो ज़ाहिर है कि हमें वाकई मदद की सख्त ज़रूरत है। ऐसे में हम यहोवा से कैसे ताकत पा सकते हैं?
2 प्रार्थना से: यहोवा अपने उन सेवकों को शक्तिशाली पवित्र आत्मा देता है जो इसके लिए प्रार्थना करते हैं। (लूका 11:13) क्या आपको लगता है कि घर-घर जाकर, सड़क पर, या टेलिफोन से गवाही देना आपके बस की बात नहीं? क्या आप अनौपचारिक तरीकों से गवाही देने में झिझक महसूस करते हैं? क्या आपके प्रचार के इलाके में लोगों की बेरुखी से आपका जोश ठंडा पड़ गया है? अगर आप पर अपना विश्वास और खराई छोड़ने का दबाव डाला जाए, तो आप क्या करेंगे? यहोवा पर निर्भर रहिए। ताकत पाने के लिए उससे प्रार्थना कीजिए।—फिलि. 4:13.
3 निजी अध्ययन से: जैसे खाना खाने से हमारे शरीर को ताकत मिलती है, वैसे ही अगर हम लगातार परमेश्वर के वचन और “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के प्रकाशनों से भोजन लेते रहें, तो हम आध्यात्मिक रूप से मज़बूत होंगे। (मत्ती 4:4; 24:45) स्टैन्ली जोन्स् से पूछा गया कि जब उन्हें चीन देश में सालों तक काल-कोठरी में कैद रखा गया था, तब वे यह सब कैसे सह सके हालाँकि उनके पास बाइबल तक नहीं थी। उन्होंने कहा: “हम अपने विश्वास पर डटे रह सकते हैं। बशर्ते, हमें पहले अध्ययन करना होगा। अगर हम अध्ययन नहीं करते, तो हममें ज़रा भी अंदरूनी ताकत नहीं होगी।”
4 सभाओं में आने से: पहली सदी में एक मसीही सभा में, यहूदा और सीलास ने “बहुत बातों से भाइयों को उपदेश देकर स्थिर किया।” (प्रेरि. 15:32) उसी तरह आज, हम सभाओं में जो सुनते हैं उसकी वजह से हम दिल से यहोवा का एहसान मानते हैं, हमारा विश्वास मज़बूत होता है और हमें प्रचार में निकलने की प्रेरणा मिलती है। सभाओं के ज़रिए हम ‘परमेश्वर के राज्य के लिये अपने सहकर्मियों’ से मिलते रहते हैं, जो हमारे लिए “शान्ति का कारण” हैं।—कुलु. 4:11.
5 हमें इस “कठिन समय” में मदद की ज़रूरत है। (2 तीमु. 3:1) जो यहोवा से ताकत हासिल करते हैं, उनके बारे में हमें यकीन दिलाया गया है: “वे उकाबों की नाईं उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे।”—यशा. 40:31.