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  • ‘वे कैसे सुनेंगे?’
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‘वे कैसे सुनेंगे?’

यीशु ने ज़ोर देकर कहा: “अवश्‍य है कि पहिले सुसमाचार सब जातियों में प्रचार किया जाए।” (मर. 13:10) कहा जाता है कि मई 11, 2000 को भारत की जनसंख्या एक अरब तक पहुँच गयी। लेकिन असोसिएटिड प्रेस ने कहा: “भारत देश में, जहाँ हर दिन 42,000 बच्चे पैदा होते हैं, वहाँ यह तय करना आसान नहीं कि इसकी जनसंख्या असल में कब एक अरब तक पहुँची।” भारत में लगभग 23,000 साक्षियों की कड़ी मेहनत के बावजूद, इस देश में बहुतों को अभी गवाही दिया जाना बाकी है। आर्थिक परिस्थितियों में आए बदलाव की वजह से, हम उन सैकड़ों स्पेशल पायनियरों की अब मदद नहीं ले सकते जिनके ज़रिए दूर-दूर के इलाकों तक गवाही देना मुमकिन होता था। तो फिर सवाल उठता है, ‘वे कैसे सुनेंगे?’—रोमि. 10:14, NHT.

2 यहोवा पर भरोसा रखिए: हमें याद रखना होगा कि यहोवा, हर इंसान के दिल का हाल जानता है। एक इंसान के हालात चाहे जैसे भी हों, अगर वह दिल से सच्चे परमेश्‍वर की तलाश करे, तो वह उसे ज़रूर पाएगा।—1 इति. 28:9.

3 इब्राहीम, सदोम और अमोरा के लोगों के लिए चिंतित था। मगर परमेश्‍वर ने उसे यकीन दिलाया कि अगर सदोम में दस धर्मी लोग भी पाए जाएँगे तो वह नगर नाश न होगा। (उत्प. 18:20, 23, 25, 32) यहोवा ने कभी-भी दुष्टों के साथ धर्मियों का नाश नहीं किया। लूत और उसकी बेटियों का उद्धार इस बात का सबूत था।—2 पत. 2:6-9.

4 एक वक्‍त पर एलिय्याह को लगा कि सच्चे परमेश्‍वर की सेवा करनेवालों में से वही अकेला रह गया है। लेकिन, यहोवा ने उसकी हिम्मत बँधाते हुए कहा कि वह अकेला हरगिज़ नहीं है और जो काम उसने शुरू किया है, वह ज़रूर पूरा होगा। (1 राजा 19:14-18) हमारे दिनों के बारे में क्या?

5 यहोवा की सेवा में व्यस्त रहिए: हम नहीं जानते कि अब और कितने बड़े पैमाने पर प्रचार काम किया जाना है। यहोवा इस काम के लिए ज़िम्मेदार है और इसकी निगरानी के लिए वह अपने स्वर्गदूतों का इस्तेमाल कर रहा है। (प्रका. 14:6, 7) वही यह तय करेगा कि सब जातियों में किस हद तक साक्षी दी जानी है। अगर यहोवा चाहे तो वह ऐसे तरीकों से राज्य संदेश फैला सकता है, जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। इस तरह हो सकता है कि और भी बहुत-से लोग “सुसमाचार का वचन सुनकर विश्‍वास करें।” (प्रेरि. 15:7) यहोवा ऐसा कदम उठाएगा, जो उसके प्रेम, बुद्धि और न्याय के गुणों से पूरी तरह मेल खाएगा।

6 यहोवा की इच्छा के मुताबिक काम करना, हमारे लिए बड़े सम्मान की बात है। इसलिए दूसरों को सुसमाचार सुनाने के काम में आइए हम अपनी तरफ से पूरी-पूरी मेहनत करें।—1 कुरि. 9:16.

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