पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
सजग होइए! अप्रै.-जून
“मुझे पूरा यकीन है कि आप इस बात से सहमत होंगे कि बच्चों की ज़िंदगी बनाने में टीचर बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। क्या आप सोचते हैं कि टीचरों को अपने पढ़ाने के हुनर में और भी सुधार करने की ज़रूरत है? [नीतिवचन 2:10, 11 पढ़िए।] सजग होइए! टीचरों के मुश्किल काम के बारे में बताती है और यह भी कि जब उनके सामने मुश्किलें आती हैं, तो माता-पिता कैसे उनकी मदद कर सकते हैं।”
प्रहरीदुर्ग मई 15
“क्या आपको लगता है कि परमेश्वर को जानना मुमकिन है? [जवाब के लिए रुकिए।] आप शायद इस बात से सहमत हों कि जिस शख्स के बारे में हम बहुत कम जानते हैं, उस पर विश्वास करना मुश्किल है। लेकिन बाइबल बढ़ावा देती है कि हम परमेश्वर को ढूँढ़ें यानी उसे जानने की कोशिश करें। [प्रेरितों 17:27 पढ़िए।] इन लेखों में बताया गया है कि हम कैसे परमेश्वर को और अच्छी तरह जान सकते हैं।”
सजग होइए! अप्रै.-जून
“अपने आपको दोषी महसूस करने से एक इंसान सोच सकता है कि उसकी हालत में कभी सुधार नहीं हो सकता। क्या आपको लगता है कि ऐसा महसूस करना हमारे लिए अच्छा है? [जवाब के बाद, भजन 32:3, 5 पढ़िए।] सजग होइए! का यह अंक बताएगा कि इस तरह की भावनाएँ कैसे हमें सही कदम उठाने में मदद दे सकती हैं।”
प्रहरीदुर्ग जून 1
“हाल ही में हुई घटनाओं ने बहुतों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि बेकसूर लोगों की बेवक्त मौत क्यों हो जाती है। क्या आपने कभी सोचा है कि लोग क्यों मरते हैं? [जवाब के लिए रुकिए और फिर पेज 7 पर चार्ट खोलकर दिखाइए।] मृत्यु के बारे में इन आम कल्प-कथाओं में से क्या आप जानना चाहेंगे कि किसी एक कल्प-कथा के बारे में बाइबल क्या बताती है?” अगर मुमकिन हो तो, लेख में दी गयी एक आयत पढ़िए।