नया सर्किट सम्मेलन कार्यक्रम
आज जहाँ इस दुनिया का कोई भरोसा नहीं कि कब-क्या हो जाए, हमें यहोवा पर भरोसा रखने की ज़रूरत है ताकि हमारा विश्वास कमज़ोर ना पड़े। अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में हम यहोवा पर भरोसा कैसे दिखा सकते हैं? यहोवा पर भरोसा रखने से हमारी निजी ज़िंदगी और परिवार पर क्या असर होता है? यह हमें शैतान की दुनिया के रंग में रंगने से कैसे दूर रख सकता है? सन् 2003 के सेवा साल का सर्किट सम्मेलन कार्यक्रम हमारे इन सवालों का जवाब देगा। उसका विषय है, “यहोवा पर भरोसा रख, और भला कर।”—भज. 37:3.
2 हमें यहोवा पर भरोसा सिर्फ किसी खास वक्त पर या ज़रूरत की घड़ी में ही नहीं दिखाना चाहिए, बल्कि यह हमें ज़िंदगी के हर दायरे में दिखाना होगा। यही बात सम्मेलन के शुरूआती भाषण, “हर समय यहोवा पर भरोसा रखिए” में ज़ोर देकर बतायी जाएगी। (भज. 62:8) चार भागोंवाली परिचर्चा, “यहोवा पर भरोसा दिखाना” में समझाया जाएगा कि शादी-शुदा ज़िंदगी में कामयाब होने, परिवार में उठनेवाली समस्याओं को सुलझाने और खाने-पहनने की ज़रूरतें पूरी करने के संबंध में हम बाइबल में कैसे फायदेमंद जानकारी ढूँढ़ सकते हैं और उस पर अमल कर सकते हैं।
3 शैतान का संसार इस कोशिश में लगा हुआ है कि हम भी उसकी तरह अच्छे-बुरे के बारे में गलत नज़रिया अपनाएँ और कौन-सी बातें ज़रूरी हैं और कौन-सी गैर-ज़रूरी इसका फैसला करने के लिए उलझन में पड़ जाएँ। (यशा. 5:20) “जीवन की व्यर्थ बातों से खबरदार रहिए” और “बुराई से दूर रहो, भलाई करनेवाले बनो” ये दोनों भाषण, यहोवा के ऊँचे स्तरों पर हमेशा चलते रहने के हमारे इरादों को बुलंद करेंगे।—आमो. 5:14.
4 जब यहोवा इस दुष्ट संसार पर विनाश लाएगा, तब उसके सेवकों को उस पर पूरा-पूरा भरोसा रखने की ज़रूरत होगी। यह बात जन-भाषण में समझायी जाएगी जिसका विषय है, “संसार पर आनेवाले संकट से छुटकारा करीब है।” इसके बाद, यह भाग पेश किया जाएगा, “क्या आप परमेश्वर के राज्य के लिए योग्य ठहरेंगे?” इस भाग में हमें खुद की जाँच करने का बढ़ावा दिया जाएगा। कार्यक्रम के आखिरी भाषण में हमें यह सलाह दी जाएगी, “यहोवा के वादों पर भरोसा रखिए।”
5 हर सम्मेलन का एक खास हिस्सा होता है, बपतिस्मे का भाषण। जो भी इस सम्मेलन में बपतिस्मा लेना चाहते हैं, उन्हें जल्द-से-जल्द अपने प्रिसाइडिंग ओवरसियर को बताना चाहिए ताकि वह इसके लिए ज़रूरी इंतज़ाम कर सके।
6 आज के दौर में जहाँ अगले पल क्या होगा, इस बात का भरोसा नहीं, सिर्फ यहोवा पर ही पूरा भरोसा किया जा सकता है क्योंकि वह कभी नहीं बदलता। (भज. 118:8, 9) इसलिए आइए हम सभी इस सर्किट सम्मेलन के पूरे कार्यक्रम में हाज़िर होकर परमेश्वर पर अपना भरोसा मजबूत करें।