दुरुस्त मन से काम लीजिए, अंत करीब है
परमेश्वर का वचन बार-बार कहता है कि ‘जैसे रात को चोर आता है’ वैसे ही यहोवा का दिन अचानक, किसी भी समय और चुपके से आएगा। (1 थिस्स. 5:2; मत्ती 24:43; 2 पत. 3:10; प्रका. 3:3; 16:15) यीशु ने कहा: “इसलिये तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।” (मत्ती 24:44) अंत नज़दीक आते देख, हम किस तरह आध्यात्मिक रूप से तैयार या सचेत रह सकते हैं? एक तरीका है, परमेश्वर की प्रेरणा से लिखी इस सलाह को मानना: “दुरुस्त मन से काम लीजिए।”—1 पत. 4:7, NW.
2 दुरुस्त मन से काम लेने में हर चीज़ को यहोवा की नज़र से देखना शामिल है। (इफि. 5:17) इससे हम इस संसार में रहकर भी “अपने आप को परदेशी और यात्री” समझेंगे। (1 पत. 2:11) इतना ही नहीं, हम उत्तम बातों को समझ सकेंगे और उन्हें अपने जीवन में पहला स्थान देंगे और सही फैसले करेंगे।—फिलि. 1:10.
3 आध्यात्मिक लक्ष्य रखिए: आध्यात्मिक लक्ष्य रखने और उन्हें पाने से हमें दुरुस्त मन से काम लेने में मदद मिलती है। फिलहाल, क्या आप कोई आध्यात्मिक लक्ष्य हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं? क्या आपका लक्ष्य, रोज़ाना बाइबल पढ़ना, सभी मसीही सभा में हाज़िर होना, प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! का हर अंक पढ़ना है, या मसीही सेवा में और भी ज़्यादा हिस्सा लेना है? जब आप अपने हालात के मुताबिक लक्ष्य रखते हैं, तो उन्हें पाने की ठान लीजिए, और यहोवा से बिनती कीजिए कि वह आपकी कोशिशों पर आशीष दे। नतीजा देखकर शायद आप खुद हैरान रह जाएँ।
4 जब एक प्राचीन ने एक जवान पति-पत्नी से उनके आध्यात्मिक लक्ष्यों के बारे में पूछा, तब उन्हें एहसास हुआ कि अगर वे सादगी भरा जीवन बिताएँ और खुद को कर्ज़ों से मुक्त कर लें तो वे पायनियरिंग कर सकते हैं। उन्होंने यही लक्ष्य हासिल करने का फैसला किया। पहले उन्होंने मेहनत करके सारा कर्ज़ उतारा और उन कामों में समय और ताकत लगाना कम कर दिया जो गैर-ज़रूरी थे। ठीक एक साल बाद वे अपने लक्ष्य पाने में कामयाब हुए। उसका नतीजा क्या हुआ? पति कहता है: “हम पहले से ज़्यादा खुश हैं। हमारी ज़िंदगी उलझनों से दूर है और पहले से बेहतर है। अब हमारी ज़िंदगी को सचमुच एक मकसद मिला है। हमें ये सब हासिल नहीं होता अगर हमने कोई लक्ष्य नहीं रखा होता।”
5 जैसे-जैसे हम यहोवा के दिन का इंतज़ार कर रहे हैं आइए दुरुस्त मन के साथ जीवन बिताते हुए आध्यात्मिक रूप से तैयार रहें। और हमारा पूरा ध्यान परमेश्वर की मरज़ी पूरी करने में लगाएँ।—तीतु. 2:11-13.