यहोवा की महिमा करने में दूसरों की मदद करना
आज संसार-भर में लोगों को यह ज़रूरी संदेश सुनाया जा रहा है: “परमेश्वर से डरो; और उस की महिमा करो; क्योंकि उसके न्याय करने का समय आ पहुंचा है, और उसका भजन करो, जिस ने स्वर्ग और पृथ्वी और समुद्र और जल के सोते बनाए।” (प्रका. 14:6, 7) इस संदेश का ऐलान करने में हिस्सा लेना, हमारे लिए बड़े सम्मान की बात है। मगर लोग यहोवा का भय मानें और उसकी उपासना करें, इसके लिए उन्हें क्या जानने की ज़रूरत है?
2 उसका नाम: लोग यहोवा की महिमा तभी कर सकते हैं जब वे उसके नाम से यह पहचान कर सकेंगे कि वही एकमात्र सच्चा परमेश्वर है और वह उन अनगिनत झूठे देवी-देवताओं से अलग है, जिनकी आज उपासना की जाती है। (व्यव. 4:35; 1 कुरि. 8:5, 6) बाइबल के लेखकों ने यहोवा के वैभवशाली नाम को इतनी अहमियत दी कि उन्होंने बाइबल में उसका 7,000 से ज़्यादा बार इस्तेमाल किया। हालाँकि हमें लोगों को परमेश्वर का नाम कब-कब बताना ठीक होगा, इस बारे में सोच-समझकर फैसला करना है लेकिन हमें इस नाम को लोगों से हरगिज़ छिपाए नहीं रखना चाहिए, ना ही इसका इस्तेमाल करने से झिझकना चाहिए। परमेश्वर चाहता है कि दुनिया का हर इंसान, उसके नाम से वाकिफ हो।—भज. 83:18.
3 उसकी शख्सियत: यहोवा की महिमा करने के लिए लोगों को यह भी मालूम होना चाहिए कि वह किस तरह का परमेश्वर है। इसलिए हमें उन्हें यहोवा के गुणों से वाकिफ कराना चाहिए कि कैसे उसका प्रेम बेमिसाल है, उसमें श्रेष्ठ बुद्धि है, उसका न्याय खरा है, वह सर्वशक्तिमान है, साथ ही उसमें दया, करुणा और ऐसे ही कई बेहतरीन गुण हैं। (निर्ग. 34:6, 7) उन्हें यह भी सीखने की ज़रूरत होगी कि वे अपने दिल में यहोवा के लिए भय और श्रद्धा कैसे बढ़ा सकते हैं, क्योंकि यहोवा की मंज़ूरी पाने पर ही उनकी ज़िंदगी निर्भर है।—भज. 89:7.
4 परमेश्वर के करीब आना: परमेश्वर की तरफ से आनेवाले न्यायदंड से बचने के लिए ज़रूरी है कि लोग विश्वास के साथ उसका नाम लें। (रोमि. 10:13, 14; 2 थिस्स. 1:8) यहोवा का नाम लेने का मतलब सिर्फ उसके नाम और गुणों के बारे में जानकारी हासिल करना नहीं है। बल्कि इसके लिए हरेक को यहोवा के साथ एक निजी रिश्ता कायम करने और पूरे दिल से उस पर भरोसा रखने की ज़रूरत है। (नीति. 3:5, 6) ऐसा करने में हमें लोगों की मदद करनी चाहिए। जब हम उन्हें ऐसा करना सिखाएँगे, और जैसे-जैसे वे सीखी हुई बातों पर अमल करेंगे, परमेश्वर से दिल लगाकर प्रार्थना करेंगे और खुद अपनी ज़िंदगी में अनुभव करेंगे कि यहोवा उनकी मदद करता है, तो उनका विश्वास मज़बूत होता जाएगा और वे यहोवा के करीब आते जाएँगे।—भज. 34:8.
5 आइए हम पूरे जोश के साथ परमेश्वर के नाम का ऐलान करें, साथ ही उस पर भरोसा रखने और उसका भय मानने में लोगों की मदद करें। इस तरह हम आगे भी शायद बहुत-से लोगों को यहोवा को जानने और ‘उद्धार करनेवाले परमेश्वर’ के तौर पर उसकी महिमा करने में मदद दे पाएँगे।—भज. 25:5.