वह काम जिसमें नम्रता की ज़रूरत है
1परमेश्वर का वचन कहता है: “नम्र बनो। बुराई के बदले बुराई मत करो; . . . पर इस के विपरीत आशीष ही दो।” (1 पत. 3:8, 9) यह सलाह बेशक हमारे प्रचार काम पर भी लागू होती है। मसीही सेवा में वाकई हमारी नम्रता की परीक्षा हो सकती है।
2 नम्रता का गुण, मुश्किल हालात का सामना करने में हमारी मदद करता है। प्रचार में हम अजनबियों से मिलते हैं और जानते हैं कि उनमें से कुछ हमारे साथ बेरुखी से पेश आएँगे। लोगों के ऐसे रवैए के बावजूद, अपना प्रचार काम जारी रखने के लिए हममें नम्रता होना ज़रूरी है। एक इलाके में दो पायनियर बहनों ने दो साल तक हर रोज़ घर-घर जाकर प्रचार किया मगर कोई भी उनकी बात सुनने के लिए तैयार नहीं था। फिर भी बहनों ने हार नहीं मानी। नतीजा यह हुआ कि आज उसी इलाके में दो कलीसियाएँ हैं।
3 लोगों के रूखे व्यवहार का सामना करना: जब लोग हमारे साथ अच्छी तरह से पेश नहीं आते या बुरा व्यवहार करते हैं, तो ऐसे में नम्रता हमें यीशु की मिसाल पर चलने में मदद देती है। (1 पत. 2:21-23) एक बार जब एक बहन किसी घर में प्रचार के लिए गयी तो उस पर गालियों की बौछार हुई। पहले तो पत्नी, फिर पति ने उसे गालियाँ दीं और उसे वहाँ से दफा हो जाने को कहा। बहन ने मुस्कुराते हुए बस इतना कहा कि उम्मीद है, आप से फिर कभी बातचीत होगी। उसके व्यवहार से वह जोड़ा इतना प्रभावित हुआ कि अगली बार जब एक और बहन उनके यहाँ आयी तो उन्होंने उसकी बात सुनी और किंगडम हॉल की सभा में आने का न्यौता भी कबूल किया। जिस बहन की उन्होंने पहले बेइज़्ज़ती की थी, उस बहन ने किंगडम हॉल में उनका स्वागत किया और उन्हें गवाही दी। इस बहन की तरह अगर हम भी “नम्रता व श्रद्धा के साथ” पेश आएँ तो जो लोग हमारे संदेश को सुनने के लिए राज़ी नहीं हैं वे शायद अपना मन बदल लें।—1 पत. 3:15, NHT; नीति. 25:15.
4 घमंड से बचिए: हमें बाइबल का ज्ञान होने से इस बात की हरगिज़ छूट नहीं मिलती कि हम लोगों को नीचा दिखाएँ या उनके लिए घटिया शब्दों का इस्तेमाल करें। (यूह. 7:49) इसके बजाय, परमेश्वर का वचन हमें सलाह देता है कि हम “किसी की निन्दा न करें।” (तीतु. 3:2, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) जब हम यीशु की तरह मन में दीन होते हैं, तो दूसरों को विश्राम पहुँचा सकते हैं। (मत्ती 11:28, 29) लोगों से नम्रता के साथ बात करने से हमारा संदेश और भी आकर्षक हो जाता है।
5 जी हाँ, नम्रता हमें ऐसे इलाकों में भी प्रचार करते रहने में मदद देती है जहाँ सुननेवाले बहुत कम हैं। नम्रता, ऐसे लोगों का दिल नरम कर सकती है जो राज्य के संदेश को सुनना नहीं चाहते, साथ ही दूसरों को भी इस संदेश की तरफ आकर्षित करती है। सबसे बढ़कर, यह गुण दिखाने से यहोवा को खुशी होती है जो “दीनों पर अनुग्रह करता है।”—1 पत. 5:5.