परमेश्वर की सेवा स्कूल की चर्चा
जून 28, 2004 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए गए सवालों की ज़बानी चर्चा होगी। स्कूल ओवरसियर, 30 मिनट के लिए मई 3 से जून 28, 2004 तक के हफ्तों में पेश किए भागों पर चर्चा करेगा। [ध्यान दीजिए: अगर किसी सवाल के बाद कोई हवाले नहीं दिए गए हैं, तो वहाँ जवाब के लिए आपको खुद खोजबीन करनी होगी।—सेवा स्कूल किताब के पेज 36-7 देखिए।]
भाषण के गुण
1. स्टेज से बोलते वक्त, हम किन कारणों से बोलचाल की शैली इस्तेमाल करने से चूक सकते हैं या हमारी बातचीत बहुत ज़्यादा औपचारिक लग सकती है? [be-HI पेज 179 पैरा. 4]
2. अपनी आवाज़ में सुधार करने का मतलब सिर्फ ठीक से साँस लेना और तनी हुई माँस-पेशियों को ढीला करना क्यों नहीं है? [be-HI पेज 181 पैरा. 2]
3. जब हम दूसरों को सच्चाई के बारे में बताते हैं, तो ‘सब मनुष्यों के लिये सब कुछ बनने’ के वास्ते हम कौन-से कारगर कदम उठा सकते हैं? (1 कुरि. 9:20-23) [be-HI पेज 186 पैरा. 2-4]
4. प्रचार में लोगों की बात ध्यान से सुनने में क्या शामिल है? [be-HI पेज 186 पैरा. 5–पेज 187]
5. यह क्यों ज़रूरी है कि प्रचार में हम जिससे भी मिलते हैं, उसके साथ आदर से पेश आएँ? [be-HI पेज 190]
भाग नं. 1
6. परमेश्वर की तरफ से सिखानेवालों का क्या लक्ष्य होता है, और इस लक्ष्य को हासिल करने में क्या बात हमारी मदद करेगी? (मत्ती 5:16; यूह. 7:16-18) [be-HI पेज 56 पैरा. 3–पेज 57 पैरा. 2]
7. सिखाते वक्त दो चीज़ों के बीच फर्क बताना क्यों फायदेमंद है, और यीशु ने सिखाने का यह तरीका कैसे अपनाया? [be-HI पेज 57 पैरा. 3; पेज 58 पैरा. 2]
8. फरीसियों से बिलकुल अलग, यीशु की शिक्षा लोगों के दिलों तक कैसे पहुँचती थी? [be-HI पेज 59 पैरा. 2-3]
9. अपने विद्यार्थी के लिए खुद कोई फैसला करने के बजाय, हम उसे सीखी हुई बातों को लागू करने में कैसे मदद दे सकते हैं? [be-HI पेज 60 पैरा. 1-3]
10. जिन मामलों में हरेक को खुद फैसला करना है, उन मामलों पर अगर कोई हमसे सवाल पूछे, तो हमें कैसे जवाब देना चाहिए? [be-HI पेज 69 पैरा. 4–पेज 70 पैरा. 1]
हफ्ते की बाइबल पढ़ाई
11. मूसा को “निवासस्थान और उसके सब सामान का [जो] नमूना” दिया गया था, उसे ठीक उस नमूने के मुताबिक बनाने की हिदायत क्यों दी गयी थी? (निर्ग. 25:9) [it-2 पेज 1058 पैरा. 7]
12. सोने के बछड़े के वाकये में, मूसा के कहने पर हारून ने जो जवाब दिया, उससे हम क्या सीख सकते हैं? (निर्ग. 32:24)
13. निर्गमन 34:23, 24 में दी गयी यहोवा की आज्ञा के मुताबिक इस्राएलियों ने जो विश्वास दिखाया, उससे हम क्या सीखते हैं?
14. मेलबलि चढ़ाने का मकसद क्या था? (लैव्य. 3:1)
15. लैव्यव्यवस्था 8:23 के मुताबिक, हारून को जिस तरीके से नियुक्त किया गया था, वह यीशु पर कैसे लागू हुआ? [it-2 पेज 1113 पैरा. 4; w68 पेज 399 पैरा. 24]