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  • धीरज धरने का फल मिलता है
  • हमारी राज-सेवा—2004
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हमारी राज-सेवा—2004
km 8/04 पेज 1

धीरज धरने का फल मिलता है

“अपने धीरज से तुम अपने प्राणों को बचाए रखोगे।” (लूका 21:19) यीशु ने यह बात तब कही, जब उसने “जगत के अन्त” के बारे में भविष्यवाणी की थी। यह साफ दिखाता है कि हमें कई परीक्षाओं का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा और अपनी खराई बनाए रखनी होगी। मगर यहोवा से ताकत पाकर हममें से हरेक जन ‘अन्त तक धीरज धरकर उद्धार’ पा सकता है।—मत्ती 24:3, 13; फिलि. 4:13.

2 ज़ुल्म, खराब सेहत, पैसे की तंगी और मायूसी की वजह से एक-एक दिन हमारे लिए पहाड़ लग सकता है। मगर हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि शैतान हमारी खराई तोड़ने की कोशिश कर रहा है। हर दिन अगर हम अपने पिता यहोवा के वफादार रहें तो हम निंदा करनेवाले शैतान को मुँहतोड़ जवाब देने में अपना भाग अदा कर सकेंगे। यह जानकर हमें कितनी खुशी होती है कि परीक्षा के वक्‍त हम जो ‘आंसू’ बहाते हैं, उन्हें यहोवा कभी नहीं भूलता! हमारा एक-एक आँसू यहोवा के लिए बहुत अनमोल है और हमारी खराई देखकर उसका मन खुशी से भर जाता है!—भज. 56:8; नीति. 27:11.

3 परीक्षाएँ शुद्ध करती हैं: अगर हमारा विश्‍वास कमज़ोर पड़ गया है या हममें घमंड या बेसब्र होने जैसा कोई गलत रवैया पैदा हो गया है, तो ऐसी खामियाँ परीक्षाओं के वक्‍त ज़ाहिर हो जाती हैं। इसलिए परीक्षाओं से दूर भागने या उन्हें खत्म करने के लिए हमें ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए जो बाइबल के खिलाफ हो। इसके बजाय, हमें परमेश्‍वर के वचन की यह सलाह माननी चाहिए: “धीरज को अपना पूरा काम करने दो।” ऐसा क्यों? क्योंकि वफादारी से सभी परीक्षाओं को सहने से हमें “पूरे और सिद्ध” होने में मदद मिलेगी। (याकू. 1:2-4) धीरज हमें कोमलता, हमदर्दी और दया जैसे कई अनमोल गुण पैदा करने में मदद दे सकता है।—रोमि. 12:15.

4 परखा हुआ विश्‍वास: जब हम परीक्षाओं में धीरज धरते हैं, तो हम परखा हुआ विश्‍वास पाते हैं जिसका परमेश्‍वर की नज़र में बड़ा मोल है। (1 पत. 1:6, 7) भविष्य में आनेवाली परीक्षाओं के वक्‍त भी यह विश्‍वास हमें मज़बूत बने रहने में मदद देगा। इतना ही नहीं, हमें एहसास होगा कि परमेश्‍वर की मंज़ूरी हम पर है। इससे हमारी आशा पहले से ज़्यादा मज़बूत और पक्की होगी।—रोमि. 5:3-5.

5 धीरज धरने पर मिलनेवाले सबसे बढ़िया इनाम का ज़िक्र याकूब 1:12 में किया गया है: ‘धन्य है वह मनुष्य, जो परीक्षा में स्थिर रहता है; क्योंकि वह खरा निकलकर जीवन का मुकुट पाएगा।’ इसलिए ऐसा हो कि हम यहोवा के लिए अपनी भक्‍ति दिखाने में अटल बने रहें और पक्का यकीन रखें कि वह “अपने प्रेम करनेवालों को” भरपूर आशीषें देगा।

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