पत्रिकाओं की पेशकश को अपनी सेवा का अहम हिस्सा बनाइए
1, 2. प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! ने कैसे लोगों की ज़िंदगी पर गहरा असर किया है?
“दिलचस्प, सही समय पर और हिम्मत बढ़ानेवालीं।” “अब तक मैंने जितनी पत्रिकाएँ पढ़ी हैं, उनके मुकाबले ये सबसे ज़्यादा हौसला बढ़ानेवाली हैं।” इन बातों से साफ पता चलता है कि दुनिया-भर में प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! के पढ़नेवाले इनके बारे में कैसा महसूस करते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि “सब मनुष्यों” तक सुसमाचार पहुँचाने में हमारी पत्रिकाएँ बड़ा अनमोल ज़रिया साबित हुई हैं।—1 तीमु. 2:4.
2 एक बिज़नेसमैन ने एक ऐसे विषय पर सजग होइए! पत्रिका ली जिसमें उसे दिलचस्पी थी। बाद में, उसने उसके साथ मिला प्रहरीदुर्ग का अंक भी पढ़ा। उसमें त्रिएक पर एक लेख दिया गया था। वह सारी उम्र त्रिएक पर विश्वास करता आया था। इस लेख ने उसे अपने विश्वास की बारीकी से जाँच करने को उभारा। इससे उसकी दिलचस्पी बढ़ी। फिर छः महीने बाद, उसने बपतिस्मा ले लिया। एक और आदमी को नियमित तौर पर पत्रिकाएँ मिलती तो थीं मगर वह उन्हें कभी पढ़ता नहीं था। दूसरी तरफ, उसकी पत्नी साक्षियों से बात करने से कतराती थी मगर वह उन पत्रिकाओं को पढ़ लिया करती थी। पत्रिकाओं में दिए बाइबल के इस वादे ने उसका दिल छू लिया कि धरती फिरदौस में बदल जाएगी जहाँ सिर्फ धर्मी लोग रहेंगे। कुछ समय बाद वह, उसका बेटा और उसकी बहन यहोवा के सेवक बन गए।
3. दोनों पत्रिकाओं को एक-साथ पेश करने का क्या फायदा है?
3 दोनों पत्रिकाएँ एक-साथ पेश कीजिए: ऊपर बतायी मिसालें दिखाती हैं कि हम नहीं जानते कि कौन हमारी पत्रिकाएँ पढ़ेगा या किस बात से उसकी दिलचस्पी जागेगी। (सभो. 11:6) इसलिए प्रचार में हालाँकि हम एक ही पत्रिका पर बात करेंगे मगर दोनों पत्रिकाओं को एक-साथ पेश करना फायदेमंद होगा। कभी-कभी हालात को देखते हुए दोनों पत्रिकाओं के कई अंक पेश करना अच्छा होगा।
4. हम पत्रिकाएँ बाँटने के काम के लिए कैसी योजना बना सकते हैं?
4 हफ्ते में एक दिन पत्रिका बाँटने के काम में हिस्सा लेने की योजना बनाना बहुत फायदेमंद है। अगर हम 2005 यहोवा के साक्षियों का कैलेंडर देखें, तो उसमें हर शनिवार को “पत्रिका दिन” ठहराया गया है। यह बात सच है कि हमारे इलाके के और हमारे निजी हालात एक-जैसे नहीं होते, इसलिए कुछ भाई-बहन शनिवार के बजाय दूसरे दिन पत्रिकाओं की पेशकश करते हैं। क्या आप हर हफ्ते इस काम में हिस्सा लेते हैं?
5. पत्रिकाएँ बाँटने के लिए हमें किन मौकों की ताक में रहना चाहिए, और क्या बात हमारी मदद कर सकती है?
5 एक निजी लक्ष्य रखिए: आप हर महीने कितनी पत्रिकाएँ बाँटेंगे, इस बारे में एक निजी लक्ष्य रखिए। इस तरह आप ज़्यादा पत्रिकाएँ देने की फिराक में रहेंगे। क्या आप मैगज़ीन रूट के ज़रिए पत्रिकाएँ बाँटते हैं? क्या आप प्रचार में मिलनेवाले लोगों को पत्रिकाएँ पेश करते हैं? क्या आप सड़क पर, बिज़नेस इलाकों में और सार्वजनिक जगहों पर गवाही देते वक्त पत्रिकाएँ पेश कर सकते हैं? सफर के दौरान, खरीदारी करते या किसी से मिलने जाते वक्त, क्या आप पत्रिकाएँ अपने साथ रखते हैं? प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! से सभी को फायदा पहुँचे, इसके लिए हर मौके का अच्छा इस्तेमाल कीजिए।
6. पत्रिकाओं के पुराने अंकों का हम अच्छा इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं?
6 हम एक और लक्ष्य यह भी रख सकते हैं कि हमारे पास जितने भी पुराने अंक हैं, उन्हें बाँटें। पत्रिकाएँ एक-दो महीने पुरानी हैं तो क्या हुआ, उनमें दी गयी जानकारी अब भी अनमोल है! दिलचस्पी दिखानेवालों को ये पत्रिकाएँ दीजिए। लाखों लोगों के मामले में, प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाएँ “ठीक समय पर कहा हुआ वचन” साबित हुई हैं। (नीति. 25:11) ऐसा हो कि हम इनका इस्तेमाल करके और भी लाखों लोगों को यहोवा के बारे में जानने और उसकी सेवा करने में मदद दें।