सेवा सभा की तालिका
सितंबर 12 से शुरू होनेवाला सप्ताह
गीत 18 (162)
10 मि: कलीसिया की घोषणाएँ। हमारी राज्य सेवकाई से चुनिंदा घोषणाएँ। पेज 8 पर दिए सुझावों का (अगर ये आपके प्रचार के इलाके के लिए कारगर हैं तो) इस्तेमाल करके प्रदर्शन दिखाइए कि सितंबर 15 की प्रहरीदुर्ग और जुलाई-सितंबर की सजग होइए! कैसे पेश करें। अगर इन सुझावों के बदले कुछ और पेशकश आपके इलाके के लिए कारगर हों, तो उनका इस्तेमाल किया जा सकता है। एक प्रदर्शन किसी प्राचीन से और दूसरा किसी जवान से करवाइए। हर प्रदर्शन के बाद, उस पेशकश की कुछ अच्छी बातों की तरफ सुननेवालों का ध्यान खींचिए।
20 मि: “अपने वक्त का अक्लमंदी से इस्तेमाल कीजिए।”a हाज़िर लोगों से पूछिए कि उन्होंने रोज़ाना बाइबल पढ़ने के लिए क्या शेड्यूल बनाया है। परिवारों और अकेले रहनेवालों को बढ़ावा दीजिए कि वे मई 2005 की हमारी राज्य सेवकाई के इंसर्ट का इस्तेमाल करके आध्यात्मिक कामों के लिए एक शेड्यूल तैयार करें।
15 मि: “तरक्की करनेवाले बाइबल अध्ययन चलाना।”b इंसर्ट के भाग 1 और 2 पर हाज़िर लोगों के साथ चर्चा। इस चर्चा के लिए अगस्त 2004 की हमारी राज्य सेवकाई के पेज 1 पर दी जानकारी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। हर बार अध्ययन चलाने से पहले अच्छी तैयारी करना क्यों ज़रूरी है? ऐसी तैयारी करने में क्या-क्या शामिल है? हाज़िर लोगों से पूछिए कि उन्होंने हमारी राज्य सेवकाई में दिए सुझावों को कैसे लागू किया है। आखिर में, इंसर्ट के पहले पेज पर ऊपर दिए बक्स पर बात कीजिए।
गीत 26 (212) और प्रार्थना।
सितंबर 19 से शुरू होनेवाला सप्ताह
गीत 8 (53)
10 मि: कलीसिया की घोषणाएँ। हमारी राज्य सेवकाई के इस अंक के पहले पेज पर शाखा दफ्तर का जो खत दिया है, उसकी खास बातें बताइए।
20 मि: पिछले साल हमारी सेवा कैसी रही? सेवा अध्यक्ष इस बारे में बात करता है कि पिछले सेवा साल के दौरान कलीसिया का प्रचार काम कैसा रहा। वह खासकर सेवा में मिली कामयाबियों के बारे में बताता है। जिन बातों के लिए तारीफ करना मुनासिब है, उनकी तारीफ कीजिए। ऐसे एक-दो मामलों का ज़िक्र कीजिए जिनमें कलीसिया को आनेवाले साल के दौरान सुधार करने की ज़रूरत है। बताइए कि पायनियरों ने कैसी सेवा की, और उनकी कड़ी मेहनत की तारीफ कीजिए। जो लोग प्रचार में ठंडे पड़ गए थे, उनकी मदद करने पर जो अच्छे नतीजे मिले हैं, उनके बारे में बताइए।
15 मि: “एक-दूसरे को मज़बूत करते रहिए।”c हाज़िर लोगों से पूछिए कि जब दूसरों ने उनके लिए प्यार और परवाह दिखायी तो उन्हें कैसे फायदा हुआ।
गीत 11 (85) और प्रार्थना।
सितंबर 26 से शुरू होनेवाला सप्ताह
गीत 23 (200)
10 मि: कलीसिया की घोषणाएँ। हिसाब-किताब की रिपोर्ट पढ़िए, साथ ही कलीसिया ने जो दान दिए हैं उसके लिए संस्था से मिली कदरदानी की चिट्ठी पढ़िए। प्रचारकों को याद दिलाइए कि वे सितंबर की प्रचार रिपोर्ट डाल दें।
15 मि: कलीसिया की ज़रूरतें।
20 मि: पत्रिकाओं की मदद से खुशखबरी सुनाना। अक्टूबर के दौरान, हम लोगों को प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पेश करेंगे। भाषण की शुरूआत में फरवरी 2005 की हमारी राज्य सेवकाई के पेज 8, पैराग्राफ 3-6 में दिए इन सुझावों पर चर्चा कीजिए: (1) दोनों पत्रिकाएँ एक-साथ पेश कीजिए। (2) हफ्ते में एक दिन पत्रिका बाँटने के काम में हिस्सा लेने की योजना बनाइए। (3) हर महीने आप कितनी पत्रिकाएँ बाँटेंगे, इस बारे में खुद के लिए एक लक्ष्य रखिए। (4) पत्रिकाएँ पेश करने का जब भी सही मौका मिले, उसका फायदा उठाइए। (5) पुरानी पत्रिकाओं का अच्छा इस्तेमाल कीजिए। समझाइए कि कलीसिया के प्रचार के इलाके में इन सुझावों को कैसे लागू किया जा सकता है। इसके बाद इसी महीने की हमारी राज्य सेवकाई के पेज 8 पर दिए सुझावों (अगर ये आपके प्रचार के इलाके के लिए कारगर हैं तो) का इस्तेमाल करके प्रदर्शन दिखाइए कि अक्टूबर 1 की प्रहरीदुर्ग और अक्टूबर-दिसंबर की सजग होइए! कैसे पेश करें। इन सुझावों के बदले कुछ और पेशकश आपके इलाके के लिए कारगर हों, तो उनका इस्तेमाल किया जा सकता है। पत्रिकाओं के शुरूआती लेखों के अलावा जो दूसरे लेख दिए जाते हैं, उनकी तरफ भी ध्यान खींचिए जिनमें आपके इलाके के लोगों को दिलचस्पी हो सकती है। इसके बाद, एक प्रदर्शन दिखाइए जिसमें घर-मालिक को ऐसा ही एक लेख दिखाकर पत्रिका पेश की जाती है। हर प्रदर्शन के बाद, उस पेशकश की कुछ अच्छी बातों की तरफ सुननेवालों का ध्यान खींचिए।
गीत 16 (143) और प्रार्थना।
अक्टूबर 3 से शुरू होनेवाला सप्ताह
गीत 1 (13)
5 मि: कलीसिया की घोषणाएँ।
20 मि: “‘मन से आज्ञा मानने’ में दूसरों की मदद कीजिए।”d अगर समय हो, तो हाज़िर लोगों से उन आयतों के बारे में कुछ बताने को कहिए जिनका सिर्फ हवाला दिया गया है।
20 मि: यहोवा का दिल खुश करना। (नीति. 27:11) ऐसे एक-दो भाई-बहनों का इंटरव्यू लीजिए जो लंबे समय से यहोवा की सेवा वफादारी से कर रहे हैं। हरेक से कहिए कि वह ऐसी एक-दो बातों के बारे में बताए जिनसे उन्हें हमेशा यहोवा की आज्ञा मानने में मदद मिली है। वे कुछ ऐसी बातों का ज़िक्र कर सकते हैं, जैसे जी-जान लगाकर बाइबल का निजी अध्ययन करना, बिना नागा सभाओं में हाज़िर होना, दूसरे वफादार लोगों के साथ संगति करना, प्रचार में तन-मन से हिस्सा लेना, सच्चे दिल से प्रार्थना करना और गलत किस्म के मनोरंजन से दूर रहना। आज्ञा मानने के मामले में, उन्होंने किन-किन आज़माइशों का सामना किया और ऐसे करने में वे कैसे कामयाब रहे हैं? परमेश्वर की आज्ञा मानने की वजह से उन्हें क्या-क्या आशीषें मिलीं?
गीत 21 (191) और प्रार्थना।
[फुटनोट]
a एक मिनट से भी कम समय में लेख का परिचय दीजिए और फिर सवाल-जवाब के साथ चर्चा कीजिए।
b एक मिनट से भी कम समय में लेख का परिचय दीजिए और फिर सवाल-जवाब के साथ चर्चा कीजिए।
c एक मिनट से भी कम समय में लेख का परिचय दीजिए और फिर सवाल-जवाब के साथ चर्चा कीजिए।
d एक मिनट से भी कम समय में लेख का परिचय दीजिए और फिर सवाल-जवाब के साथ चर्चा कीजिए।