पत्रिकाएँ पेश करने की तैयारी कैसे करें
1. हमारी राज्य सेवकाई में जो पेशकश दी जाती है, उसे रटने के बजाय, अपने शब्दों में कोई पेशकश तैयार करना क्यों अच्छा है?
आप शायद सोचें: ‘हमारी राज्य सेवकाई के हर अंक में पत्रिकाएँ देने की पेशकश दी जाती हैं। मगर, हमें इन्हें पेश करने की तैयारी क्यों करनी चाहिए?’ हालाँकि हममें से कइयों को पेशकश के इन सुझावों से काफी मदद मिली है, फिर भी हमें अपनी तरफ से तैयारी करना ज़रूरी है। इसकी वजह यह है कि जो पेशकश किसी एक इलाके के लिए कारगर होती है, वही पेशकश शायद दूसरे इलाके के लिए कारगर न हो। इसलिए हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि हमारी राज्य सेवकाई में पत्रिकाएँ पेश करने के जो सुझाव दिए गए हैं, हमें सिर्फ उन्हीं का इस्तेमाल करना है। अगर हम इन सुझावों को फिर भी इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो अच्छा होगा कि उन्हें रटने के बजाय, हम अपने शब्दों में कहने की कोशिश करें।
2. आप किस लेख पर बात करेंगे, यह तय करने के लिए क्या करना ज़रूरी है?
2 किसी एक लेख को चुनिए: सबसे पहले पत्रिका पढ़कर एक ऐसा लेख चुनिए जो आपके इलाके के लिए कारगर हो और जो खासकर आपको अच्छा लगा हो। आप जिस यकीन और जोश के साथ घर-मालिक को उस लेख के बारे में बताएँगे, यह देखकर उसमें भी वह लेख पढ़ने का जोश भर आएगा। हालाँकि आप किसी ऐसे लेख पर बात करेंगे जिसमें आपके इलाके के ज़्यादातर लोगों को दिलचस्पी हो, मगर पत्रिका के दूसरे लेखों से भी अच्छी तरह वाकिफ होइए। इसका फायदा यह होगा कि अगर आपको कोई ऐसा घर-मालिक मिलता है जो किसी दूसरे विषय में ज़्यादा दिलचस्पी रखता है, तो आप फौरन अपनी पेशकश में फेरबदल कर सकते हैं।
3. अच्छे नतीजे पाने के लिए आप, अपनी बात किस तरह शुरू करते हैं?
3 एक सवाल पूछिए: लेख चुनने के बाद, सोच-समझकर तय कीजिए कि आप अपनी बात कैसे शुरू करेंगे। आपके शुरूआती शब्द खास मायने रखते हैं। सवाल पूछकर अपनी बात शुरू करना अच्छा होता है। आप जिस लेख पर बात करना चाहते हैं, उस पर घर-मालिक की दिलचस्पी जगाने के लिए आप कोई ऐसा सवाल पूछ सकते हैं जिससे वह उस विषय पर सोचने के लिए मजबूर हो जाए। मगर आम तौर पर ऐसा सवाल पूछना सबसे असरदार होता है जिससे हमें घर-मालिक का नज़रिया पता चल सके। लेकिन ऐसे सवाल मत पूछिए जिनका जवाब देने में घर-मालिक को हिचकिचाहट महसूस हो या वह अपनी सफाई पेश करने के लिए हमसे बहस करने लग जाए।
4. अगर घर-मालिक के हालात इजाज़त दें, तो बाइबल से एक आयत पढ़ने के क्या फायदे होते हैं?
4 एक आयत पढ़िए: आखिरी बात, अगर घर-मालिक के हालात इजाज़त दें, तो बाइबल से एक आयत पढ़िए। हो सके तो, आप जिस लेख पर बात करेंगे, उसी में से एक आयत पढ़िए। इस तरह घर-मालिक समझ पाएगा कि हमारा संदेश परमेश्वर के वचन से है। (1 थिस्स. 2:13) आयत पढ़ने का एक फायदा यह भी है कि इससे घर-मालिक को गवाही मिलती है, फिर भले ही वह पत्रिका लेने से इनकार कर दे। कुछ प्रचारक घर-मालिक की दिलचस्पी जगाने के लिए पहले एक आयत पढ़ते हैं, फिर उस पर एक सवाल पूछते हैं। घर-मालिक को कोई आयत दिखाने के लिए आप शायद यह कह सकते हैं: “बाइबल की इस आयत पर आपकी राय जानने में मुझे बेहद खुशी होगी।” फिर उसे पत्रिका से कोई ऐसा मुद्दा दिखाइए जो आयत से ताल्लुक रखता है और उसकी दिलचस्पी बढ़ाने के लिए चंद बातें बताइए। आखिर में, उसे पत्रिका पेश कीजिए।
5. पत्रिकाओं की पेशकश की तैयारी करते वक्त आपको किन हिदायतों का ध्यान रखना चाहिए?
5 पत्रिकाएँ पेश करने के लिए आप क्या कहेंगे, इसके लिए कोई नियम नहीं दिया गया है। आम तौर पर, अपनी पेशकश को सरल और चंद शब्दों में कहना अच्छा होता है। जो पेशकश आपको आसान लगे और जिससे आपको अच्छे नतीजे मिलें, उसे इस्तेमाल कीजिए। ध्यान रखिए कि हमारी पत्रिकाएँ बेशकीमती हैं और हमें पूरे जोश के साथ इन्हें पेश करना चाहिए। जब आप अच्छी तैयारी करेंगे, तो आप उन लोगों को प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाएँ देने में ज़्यादा कामयाब होंगे जो ‘अनंत जीवन के लिए सही मन रखते हैं।’—प्रेरि. 13:48, NW.