प्रचार में अच्छे नतीजे पाने के लिए ज़रूरी है, प्यार
“मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा।” (मत्ती 11:28) मन को भानेवाले यीशु के ये शब्द साफ ज़ाहिर करते हैं कि उसके दिल में लोगों के लिए कितना गहरा प्यार था। मसीही सेवक होने के नाते, हम भी यीशु की तरह उन लोगों को प्यार दिखाना चाहते हैं, जो इस मतलबी दुनिया में रहते-रहते तंग आ चुके हैं। मगर हम सुसमाचार सुनाते वक्त लोगों के लिए प्यार कैसे दिखा सकते हैं?
2 अपनी बातचीत से: यीशु के दिल में लोगों के लिए प्यार था, इसलिए उसने हर मौके का फायदा उठाकर लोगों को खुशखबरी सुनायी। (यूह. 4:7-14) उसी तरह, अगर हमारे दिल में लोगों के लिए प्यार होगा, तो हम मौके बनाकर गवाही देने से कभी नहीं झिझकेंगे। छः साल की एक लड़की जब अस्पताल में डॉक्टर से मिलने का इंतज़ार कर रही थी, तब उसने अपने पास बैठी एक स्त्री को अच्छी गवाही दी। आखिर, किस बात ने उस लड़की को ऐसा करने के लिए उकसाया? वह बताती है: “उस स्त्री को देखकर मुझे ऐसा लगा कि उसे यहोवा के बारे में जानने की ज़रूरत है।”
3 लोगों में दिलचस्पी दिखाने के लिए हमें दिल से मुस्कराना चाहिए और दोस्ताना अंदाज़ में उनसे बात करनी चाहिए। इसके अलावा, अगर हम लोगों की बातों को ध्यान लगाकर सुनें, उन्हें यह बताएँ कि हम उनकी चिंता समझते हैं और उन पर ज़ाहिर करें कि हमें उनमें सच्ची दिलचस्पी है, तो हम उनके लिए अपना प्यार दिखा रहे होंगे। (नीति. 15:23) यीशु की तरह, हमें भी राज्य का संदेश सुनाने पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही, लोगों के लिए यहोवा के प्यार और करुणा पर ज़ोर देना चाहिए, क्योंकि इन बातों से उनकी हौसला-अफज़ाई होती है।—मत्ती 24:14; लूका 4:18.
4 अपने कामों से: यीशु, लोगों की ज़रूरतें भाँप लेता था और फौरन व्यावहारिक तरीकों से उन्हें पूरा करता था। (मत्ती 15:32) प्रचार करते समय, हमें भी शायद अपने कामों के ज़रिए निरंतर प्रेम-कृपा दिखाने के कई मौके मिलें। मिसाल के लिए, एक बहन ने देखा कि एक स्त्री को ज़रूरी फोन आया है, मगर उसे फोन करनेवाले की बातें समझने में मुश्किल हो रही है। इस पर हमारी बहन ने फोन करनेवाले की बातों का अनुवाद करके उस स्त्री की मदद की। इस प्यार-भरे काम की वजह से बहन को उस स्त्री के साथ बाइबल से चर्चा करने का मौका मिला। नतीजा, वह स्त्री बाइबल अध्ययन के लिए राज़ी हो गयी। अब एक भाई की मिसाल लीजिए, जो एक घर पर वापसी भेंट के लिए गया था। भाई ने देखा कि घर-मालिक के दरवाज़े में एक बड़ा-सा सोफा फँसा हुआ है और वह उसे निकालते-निकालते परेशान हो गया है। ऐसे में, भाई ने सोफा निकालने में उस आदमी का हाथ बँटाया। इसके बाद, उस एहसानमंद घर-मालिक ने भाई को उसी सोफे पर बैठने के लिए कहा और भाई ने उसके साथ बाइबल अध्ययन शुरू कर दिया।
5 जब हम प्रचार काम में हिस्सा लेते हैं, तो हम यह दिखाते हैं कि हमें परमेश्वर और अपने पड़ोसियों से प्यार है। (मत्ती 22:36-40) और जब हम यह प्यार अपनी बातचीत और अपने कामों से दिखाते हैं, तो नेकदिल लोग समझ जाते हैं कि हमारे पास ही सच्चाई है।