प्रचार करने में, मसीह की मिसाल पर चलिए
यीशु ने प्रचार करने में हमारे लिए एक बेहतरीन मिसाल कायम की। उसने बहुत-से मौकों पर और कई तरीकों से, परमेश्वर और लोगों के लिए अपना गहरा प्यार ज़ाहिर किया। उसने नेकदिल लोगों को सच्चाई सिखायी, साथ ही मुसीबत के मारों और कुचले हुओं की खातिर भलाई के काम भी किए।—मत्ती 9:35.
2 यीशु की मिसाल और शिक्षाएँ: यीशु, राजनीति और समाज सुधार के कामों में कभी नहीं उलझा जिससे कि वह अपना खास काम भूल जाए। (लूका 8:1) यही नहीं, उसने लोगों की मदद करने के कामों को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह नहीं दी और ना ही वह उनमें पूरी तरह डूब गया। इसके बजाय, उसने परमेश्वर के राज्य की खुशखबरी सुनाने पर अपना पूरा ध्यान लगाया, जो सही मायनों में इंसान की सारी समस्याओं को हमेशा के लिए दूर करेगा। यीशु का यह काम बहुत ही ज़रूरी था, मगर इसे पूरा करने का उसके पास बहुत कम वक्त था। इसलिए कफरनहूम में, जब लोगों ने उसे वहीं रोकना चाहा तो उसने अपने चेलों से कहा: “आओ; हम और कहीं . . . जाएं, कि मैं वहां भी प्रचार करूं, क्योंकि मैं इसी लिये निकला हूं।”—मर. 1:38.
3 अपने चेलों को प्रचार करने की तालीम देने के बाद, यीशु ने उन्हें यह खास हिदायत दी: ‘प्रचार करते हुए कहो कि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।’ (मत्ती 10:7) उसने अपने चेलों को सिखाया कि उन्हें राज्य के कामों को अपनी ज़िंदगी में सबसे पहली जगह देनी चाहिए। (मत्ती 6:33) स्वर्ग जाने से पहले, यीशु ने अपने चेलों से जो आखिरी बात कही, उससे साफ ज़ाहिर है कि उन्हें क्या काम करना था। उसने कहा: “इसलिये तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ।”—मत्ती 28:19.
4 राज्य की अहमियत: यीशु, लोगों के साथ खासकर परमेश्वर के राज्य पर चर्चा करता था। उसने अपने चेलों को उकसाया कि वे भी उसकी मिसाल पर चलें। इंसान अपनी समस्याओं को हल करने की चाहे लाख कोशिश कर लें, फिर भी वे कामयाब नहीं हो सकते। (यिर्म. 10:23) सिर्फ परमेश्वर का राज्य ही उसके नाम को पवित्र करेगा और इंसानों को हमेशा के लिए राहत दिलाएगा। (मत्ती 6:9, 10) इसलिए जब ऐसे लोगों को राज्य की ये सच्चाइयाँ सिखायी जाती हैं, जो “सब घृणित कामों के कारण . . . सांसें भरते और दु:ख के मारे चिल्लाते हैं,” तो उन्हें अभी एक खुशहाल और कामयाब ज़िंदगी जीने में मदद मिलती है। साथ ही, वे भविष्य की पक्की आशा को मज़बूती से थामे रहते हैं।—यहे. 9:4.
5 यीशु आज भी परमेश्वर के राज्य की खुशखबरी सुनाने के काम में ज़ोर-शोर से हिस्सा ले रहा है और उसने हमारी मदद करने का भी वादा किया है। (मत्ती 28:20) प्रचार के मामले में, हम किस हद तक यीशु की मिसाल पर चलते हैं? (1 पत. 2:21) आइए हम इन अंतिम दिनों में, जो एक बहुत ही अहम दौर है, प्रचार करने में यीशु की मिसाल पर पूरी तरह चलने की कोशिश करें!