हम क्यों बार-बार वापस जाते हैं?
1. हमारे प्रचार काम को लेकर क्या सवाल उठता है?
बहुत-सी जगहों में, हम यहोवा के साक्षी अपने इलाके में कई बार प्रचार करते हैं। हम उन घरों में बार-बार वापस जाते हैं, जहाँ घर-मालिकों ने शायद हमसे कहा हो कि उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं। तो अब सवाल यह उठता है कि हम उन लोगों के पास क्यों बार-बार जाते हैं, जो हमारे संदेश में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाते?
2. प्रचार में लगे रहने की खास वजह क्या है?
2 यहोवा और लोगों के लिए प्यार: हम क्यों प्रचार में लगे रहते हैं, इसकी खास वजह यह है कि हम यहोवा से प्यार करते हैं। हमारा दिल हमें अपने महान परमेश्वर के बारे में दूसरों को बताते रहने के लिए उभारता है। (लूका 6:45) यहोवा के लिए प्यार हमें उकसाता है कि हम उसकी आज्ञाओं को मानें और ऐसा करने में दूसरों की भी मदद करें। (नीति. 27:11; 1 यूह. 5:3) प्रचार में लोग हमारा संदेश सुनें या ना सुनें, हम वफादारी से यह काम करते रहते हैं। पहली सदी के मसीहियों ने भी यही किया था। सताए जाने पर भी वे प्रचार करने से “न रुके।” (प्रेरि. 5:42) जब लोग हमारा संदेश सुनने से इनकार कर देते हैं, तो हम निराश नहीं होते, बल्कि प्रचार में लगे रहते हैं। इस तरह, हम यहोवा के लिए अपना गहरा प्यार और भक्ति दिखाते हैं।
3. लोगों के लिए प्यार हमें प्रचार करते रहने के लिए क्यों उकसाएगा?
3 हम प्रचार में इसलिए भी लगे रहते हैं क्योंकि हम अपने पड़ोसी से प्यार करते हैं। (लूका 10:27) यहोवा नहीं चाहता कि कोई भी नाश हो। (2 पत. 3:9) जिन इलाकों में कई बार प्रचार हो चुका है, वहाँ अब भी हमें ऐसे लोग मिलते हैं, जो यहोवा की सेवा करना चाहते हैं। मिसाल के लिए, ग्वाडेलूप देश में हर 56 लोगों में से एक यहोवा का साक्षी है। फिर भी, वहाँ पिछले साल 214 लोगों ने बपतिस्मा लिया। और स्मारक के लिए करीब 20,000 लोग हाज़िर हुए, यानी ग्वाडेलूप का हर 22वाँ आदमी उस स्मारक में आया।
4. किन तरीकों से प्रचार के इलाके में बदलाव होते हैं?
4 प्रचार के इलाके में बदलाव: हमारे प्रचार के इलाके में लगातार बदलाव होते हैं, यानी हमारी मुलाकात अलग-अलग लोगों से होती है। हो सकता है, जिस घर पर हम पहले गए थे, वहाँ एक व्यक्ति ने कोई खास दिलचस्पी न दिखायी हो। मगर उसी घर में दोबारा जाने से शायद किसी दूसरे सदस्य से हमारी मुलाकात हो, जिसने हमारा संदेश पहले कभी न सुना हो। और वह हमारी बात सुनने के लिए तैयार हो। ऐसा भी हो सकता है कि उस घर में नए किराएदार आए हों और वे हमारे संदेश में दिलचस्पी लें। या हो सकता है कि सुसमाचार का विरोध करनेवालों के बच्चे बड़े होकर अपने माँ-बाप से अलग रहने लगें। और शायद ये बच्चे राज्य का संदेश सुनने के लिए तैयार हों।
5. कुछ लोग किन वजहों से सुसमाचार सुनने के लिए तैयार हो सकते हैं?
5 लोगों में भी बदलाव आ सकता है। मसीही बनने से पहले प्रेरित पौलुस “निन्दा करनेवाला, और सतानेवाला, और अन्धेर करनेवाला था।” (1 तीमु. 1:13) उसी तरह, कई लोग सच्चाई में पहले कोई दिलचस्पी नहीं लेते थे। कुछ तो सुसमाचार सुनाने के काम का विरोध भी करते थे। मगर आज वे यहोवा की सेवा कर रहे हैं। जैसे-जैसे दुनिया के हालात बदलते हैं, मुमकिन है कि विरोध करनेवाले या सच्चाई में दिलचस्पी न दिखानेवाले कुछ लोग राज्य का संदेश सुनने के लिए तैयार हो जाएँ। और कुछ लोग शायद तब सच्चाई में दिलचस्पी लेने लगें, जब वे खुद किसी हादसे से गुज़रते हैं। जैसे, परिवार में किसी की मौत हो जाना, नौकरी छूटना, तंगहाली से गुज़रना या फिर, उन्हें या उनके किसी अज़ीज़ को कोई गंभीर बीमारी लगना।
6. हमें क्यों जोश और उमंग के साथ प्रचार करते रहना है?
6 यह दुनिया अपने अंत की ओर जा रही है, मगर प्रचार और सिखाने का हमारा काम तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। (यशा. 60:22) इसलिए हम जोश और उमंग के साथ प्रचार में लगे रहते हैं, और एक सही नज़रिया बनाए रखने की कोशिश करते हैं। हो सकता है, जिस अगले शख्स से हमारी बात हो, वह हमारे संदेश को सुने। इसलिए हमें बिना रुके प्रचार करते रहना है! ‘यदि हम ऐसा करते रहें, तो हम अपने, और अपने सुननेवालों के लिये भी उद्धार का कारण होंगे।’—1 तीमु. 4:16.