“हम अपने क्षेत्र में बहुत बार प्रचार कर चुके हैं!”
क्या आपने कभी ऐसा महसूस किया है कि आपके क्षेत्र में प्रचार का काम इतनी बार हो चुका है कि अब उसमें भेड़-समान लोग मिलना संभव नहीं? शायद आप ऐसा सोचते होंगे: ‘मुझे मालूम है कि लोग क्या जवाब देंगे। बार-बार उन लोगों के पास जाने से क्या फायदा, जब वे हमारी बात सुनना ही नहीं चाहते?’ यह बात सच है कि ऐसे कई इलाके हैं जिनमें बार-बार प्रचार किया जा रहा है। लेकिन इस बात से हमें खुश होना चाहिए, दुःखी नहीं। क्यों? नीचे दिए गए चार कारणों पर ध्यान दीजिए।
2 हमारी प्रार्थनाओं का जवाब मिला है: यीशु ने कहा: “पक्के खेत बहुत हैं; परन्तु मजदूर थोड़े हैं: इसलिये खेत के स्वामी से बिनती करो, कि वह अपने खेत काटने को मजदूर भेज दे।” (लूका 10:2) सालों से हम यहोवा से बिनती करते आए हैं कि वह हमारी मदद के लिए ज़्यादा लोगों को भेजे। बहुत-सी जगहों पर, ज़रूरत के मुताबिक प्रचारकों की गिनती बढ़ी है और इसलिए अब हम अपने पूरे क्षेत्र में बार-बार प्रचार कर रहे हैं। क्या इस बात से हमें खुश नहीं होना चाहिए कि यहोवा ने हमारी प्रार्थनाओं का जवाब दिया है?
3 प्रचार काम में लगे रहने से अच्छा फल मिलता है: जिन इलाकों में अकसर प्रचार किया जाता है, वहाँ भी लोग राज्य के संदेश को सुन रहे हैं और सच्चाई सीख रहे हैं। इसलिए, बार-बार हमें उनके पास यह उम्मीद लेकर जाना चाहिए कि हमें सच्चे दिल के लोग मिलेंगे। (यशा. 6:8-11) जैसे यीशु के पहली सदी के चेलों ने किया था, वैसे ही आप भी अपने नियुक्त क्षेत्र के लोगों के पास ‘जाते रहिए’ और परमेश्वर के राज्य में उनकी दिलचस्पी को जगाने की कोशिश करते रहिए।—मत्ती 10:6, 7, NW.
4 पुर्तगाल में बहुत-सी कलीसियाएँ अपने क्षेत्र में हर हफ्ते प्रचार करती हैं, मगर उन्हें अब भी भेड़-समान लोग मिल रहे हैं। खासकर इस बारे में एक बहन का रवैया बहुत बढ़िया है। वह कहती है: “हर सुबह प्रचार में निकलने से पहले मैं यहोवा से प्रार्थना करती हूँ कि वह मुझे ऐसे इंसान को ढूँढ़ने में मदद करे जो बाइबल सीखना चाहता हो।” एक दिन उसने एक हेयर-ड्रेसर की दुकान में काम करनेवाली स्त्रियों के साथ अध्ययन करने का इंतज़ाम किया। लेकिन, बाद में सिर्फ एक स्त्री अध्ययन करने के लिए आयी। उसने कहा: “दूसरे सीखना नहीं चाहते, लेकिन मैं सीखना चाहती हूँ।” एक महीने के अंदर यह स्त्री खुद दो व्यक्तियों को बाइबल सिखाने लगी। इसके कुछ ही समय बाद उसने बपतिस्मा लिया और बाद में वह पायनियर बनकर सेवा करने लगी!
5 काम हो रहा है: सुसमाचार का प्रचार ठीक वैसे ही हो रहा है, जैसे यीशु ने भविष्यवाणी की थी। (मत्ती 24:14) ऐसी जगहों पर भी जहाँ लोग ‘हमारी सुनने से इनकार करते हैं,’ वहाँ भी प्रचार के काम के ज़रिए उन्हें चेतावनी दी जा रही है। हम जानते हैं कि कुछ लोग सच्चाई को स्वीकार नहीं करेंगे यहाँ तक कि वे इसका विरोध भी करेंगे। फिर भी, समय रहते इन लोगों को यहोवा के आनेवाले न्यायदंड के बारे में चेतावनी दी जानी है।—यहे. 2:4, 5; 3:7, 8, 19.
6 हमारा काम अभी खत्म नहीं हुआ: प्रचार का काम कब खत्म करना है इसका फैसला हमें नहीं करना। यहोवा जानता है कि इसे ठीक किस वक्त पर खत्म करना है। वह हमसे बेहतर जानता है कि हमारे क्षेत्र में सुसमाचार को स्वीकार करनेवाले लोग बाकी हैं या नहीं। आज कुछ लोग कहेंगे कि वे नहीं सुनना चाहते, मगर उनकी ज़िंदगी में बहुत भारी बदलाव आ सकता है, शायद उनकी नौकरी चली जाए, वे गंभीर बीमारी के शिकार हो जाएँ, या उनके किसी अज़ीज़ की मौत हो जाए—इन हालात में वे शायद अगली बार सुसमाचार सुनने के लिए तैयार हो जाएँ। कुछ लोगों ने कभी हमारा संदेश सुना ही नहीं क्योंकि या तो हमारे बारे में उन्होंने पहले ही एक गलत राय कायम कर ली है या फिर वे शायद इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें हमसे बात करने की फुरसत ही नहीं मिलती। बार-बार जाकर दोस्ताना मुलाकातें करने से शायद वे हमारे संदेश पर ध्यान दें।
7 हाल के सालों में जिन लोगों ने बड़े होकर अपना परिवार बसाया है और अब ज़िंदगी के बारे में गंभीरता से सोच रहे हैं, वे ऐसे सवाल पूछने लगे हैं जिनका जवाब सिर्फ परमेश्वर के वचन में मिल सकता है। एक बाल-बच्चेदार युवती ने दो साक्षियों को अपने घर के अंदर बुलाया और कहा: “जब मैं छोटी थी, तो मुझे कभी यह बात समझ नहीं आती थी कि मम्मी साक्षियों से बात करने से इंकार क्यों कर देती है, जबकि वे सिर्फ बाइबल के बारे में उनसे बात करना चाहते थे। मैंने यह ठान लिया कि जब मैं बड़ी हो जाऊँगी, शादी करके अपना घर बसाऊँगी तब मैं यहोवा के साक्षियों को अपने घर में आने और बाइबल समझाने के लिए कहूँगी।” उसने यही किया, और उसके घर आए साक्षियों को यह देखकर बेहद खुशी हुई।
8 क्या आप प्रचार करने के अपने तरीके में सुधार ला सकते हैं? ज़रूरी नहीं कि प्रचार में हम जिन लोगों से मिलते हैं उन्हीं की वजह से हमें क्षेत्र में बार-बार काम करना मुश्किल लगता हो। कई बार हम खुद इसके ज़िम्मेदार होते हैं। क्या हम प्रचार की शुरूआत ही निराशा-भरे विचारों से करते हैं? इसका असर हमारे रवैए और शायद हमारी आवाज़ और हमारे चेहरे के भाव पर पड़ सकता है। आपका रवैया अच्छा होना चाहिए और आपके चेहरे से खुशी झलकनी चाहिए। नए तरीके से बात करने की कोशिश कीजिए। अपनी पेशकश में बदलाव लाते रहिए और इसे बेहतर बनाने की कोशिश कीजिए। शायद आप शुरूआत में जो सवाल पूछते हैं उसे बदल सकते हैं या अपनी बातचीत में किसी और शास्त्रवचन का इस्तेमाल कर सकते हैं। दूसरे भाई-बहनों से पूछिए कि इस क्षेत्र में काम करते वक्त उन्हें कौन-से तरीके अपनाने से कामयाबी मिली है। अलग-अलग प्रकाशकों और पायनियरों के साथ प्रचार में जाइए और ध्यान दीजिए कि उनका प्रचार किस वजह से असरदार होता है।
9 राज्य के प्रचार का काम यहोवा की मरज़ी के मुताबिक हो रहा है और इस पर उसकी आशीष है, और जब हम इस काम में हिस्सा लेते हैं तो हम खुद यहोवा के लिए और अपने पड़ोसी के लिए प्रेम दिखाते हैं। (मत्ती 22:37-39) इसलिए आइए हम अपना काम पूरा करें, और बार-बार अपने क्षेत्र में प्रचार करने से थक न जाएँ।