परमेश्वर की सेवा स्कूल की चर्चा
अक्टूबर 29, 2007 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए गए सवालों पर चर्चा होगी। स्कूल अध्यक्ष, 30 मिनट के लिए सितंबर 3 से अक्टूबर 29, 2007 तक के हफ्तों में पेश किए भागों पर हाज़िर लोगों के साथ चर्चा करेगा। [ध्यान दीजिए: जिस सवाल के बाद कोई हवाला नहीं दिया गया है, उसके जवाब के लिए आपको खुद खोजबीन करनी है।—सेवा स्कूल किताब के पेज 36-7 देखिए।]
भाषण के गुण
1. दोहराना, सिखाने का एक अहम तरीका क्यों है? [be-HI पेज 206 पैरा. 1-2, बक्स]
2. हम किन तरीकों से भाषण के शीर्षक पर ज़ोर दे सकते हैं? [be-HI पेज 210, बक्स]
3. भाषण के मुख्य मुद्दे क्या होते हैं, और अपने भाषण के लिए इन मुद्दों को चुनने में क्या बात हमारी मदद करती है? [be-HI पेज 212 पैरा. 1-3]
4. एक भाषण में ढेर सारे मुख्य मुद्दे क्यों नहीं होने चाहिए? [be-HI पेज 213 पैरा. 3–पेज 214 पैरा. 1]
5. दिलचस्पी जगानेवाली शुरूआत की क्या अहमियत है, और सुननेवालों की दिलचस्पी कैसे जगायी जा सकती है? [be-HI पेज 215 पैरा. 1, 5–पेज 216 पैरा. 1-2, बक्स]
भाग नं. 1
6. भजन 119:89, 90 कैसे यह समझने में हमारी मदद करता है कि हम परमेश्वर के वचन पर भरोसा रख सकते हैं? [w05-HI 4/15 पेज 15 पैरा. 3]
7. यहेजकेल की किताब किस बात पर ज़ोर देती है और आज जो लोग यहोवा की उपासना करते हैं और उसकी माँगों के मुताबिक जीते हैं, उन्हें क्या फायदे होंगे? [bsi07-HI पेज 8 पैरा. 33]
8. “यहोवा का वचन” कैसे हमारे दिल की हिफाज़त कर सकता है? (भज. 18:30) [w05-HI 9/1 पेज 30 पैरा. 2]
9. दानिय्येल की पूरी किताब में राज्य की आशा पर कैसे ज़ोर दिया गया है? [bsi07-HI पेज 10 पैरा. 23]
10. होशे की किताब कैसे यहोवा की भविष्यवाणियों पर हमारा विश्वास मज़बूत करती है? [bsi07-HI पेज 12 पैरा. 14]
हफ्ते की बाइबल पढ़ाई
11. यहेजकेल के दर्शन में मंदिर के नापे जाने का क्या मतलब है और आज यह हमें किस बात का यकीन दिलाता है? (यहे. 40:2-5) [w99-HI 3/1 पेज 9 पैरा. 6; पेज 14 पैरा. 7]
12. यहेजकेल के दर्शन की आखिरी पूर्ति में “प्रधान” कौन है? (यहे. 48:21) [w99-HI 3/1 पेज 16 पैरा. 13-15; पेज 22-3 पैरा. 19-20]
13. दानिय्येल 2:21 का क्या मतलब है? [w98-HI 9/15 पेज 12 पैरा. 9]
14. किस वजह से दानिय्येल यहोवा की नज़रों में “अति प्रिय” ठहरा? (दानि. 9:23) [dp-HI पेज 185 पैरा. 12; w04-HI 8/1 पेज 12 पैरा. 17]
15. किस मायने में इस्राएल ‘देश में परमेश्वर का ज्ञान नहीं’ था, और इन शब्दों का हममें से हरेक पर कैसा असर होना चाहिए? (होशे 4:1, 2, 6) [w05-HI 11/15 पेज 21 पैरा. 21; jd पेज 57-8 पैरा. 5; पेज 61 पैरा. 10]