‘तुम्हारा वचन सदा सलोना हो’
1. इसका क्या मतलब है कि ‘हमारा वचन सलोना’ होना चाहिए?
“तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित और सलोना हो, कि तुम्हें हर मनुष्य को उचित रीति से उत्तर देना आ जाए।” (कुलु. 4:6) इसका क्या मतलब है कि हमारा वचन या बातें सलोनी होनी चाहिए? इसका मतलब है कि हमें सही शब्दों का चुनाव करना चाहिए और ऐसे अंदाज़ में बात करना चाहिए कि सुननेवाले को हमारी बात अच्छी लगे। खासकर प्रचार में ऐसा करना बेहद ज़रूरी है।
2. यीशु एक सामरी स्त्री को गवाही देने में क्यों कामयाब रहा?
2 यीशु की मिसाल: एक मौके पर जब यीशु एक कुएँ के पास आराम कर रहा था, तो एक सामरी स्त्री पानी भरने आयी। यीशु ने उससे बात करने में पहल की। बातचीत के दौरान, कई बार उस स्त्री ने ऐसे मुद्दे उठाए, जिनसे सामरियों और यहूदियों के बीच की पुरानी दुश्मनी ज़ाहिर हुई। उसने यह विश्वास भी ज़ाहिर किया कि सामरी लोग याकूब के वंश से हैं, जबकि यहूदी मानते थे कि सामरी गैर-यहूदियों से आए हैं। यीशु ने उसकी बातों को काटने के बजाय, अच्छी बातों की तरफ उसका ध्यान खींचा। नतीजा, यीशु उसे गवाही देने में कामयाब रहा, जिससे उस स्त्री को और नगर के लोगों को फायदा हुआ।—यूह. 4:7-15,39.
3. हम प्रचार में यीशु की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं?
3 जब हम प्रचार करते हैं, तो हमें अपना मकसद याद रखना चाहिए। वह यह कि हम ‘अच्छी बातों का सुसमाचार सुनाने’ आए हैं। (रोमि. 10:15) हम घर-मालिक को बाइबल से एक अच्छा और हौसला बढ़ानेवाला विचार बताना चाहते हैं। हमारी बातों से उसे यह नहीं लगना चाहिए कि हम उसके विश्वासों की नुक्ताचीनी कर रहे हैं। अगर घर-मालिक कोई गलत राय ज़ाहिर करता है, तो हमें झट-से नहीं कहना चाहिए कि उसकी राय सरासर गलत है। क्या उसके किसी बात से हम सहमत हो सकते हैं या उसके लिए सच्चे दिल से उसकी तारीफ कर सकते हैं? शायद हम एक आयत दिखाकर कह सकते हैं, “क्या आपको लगता है कि ऐसा कभी हो सकता है?”
4. अगर घर-मालिक गाली-गलौज करता है, तो हमें क्या करना चाहिए?
4 लेकिन तब क्या, जब घर-मालिक गाली-गलौज करता है या हमसे बहसबाज़ी करना चाहता है? ऐसे वक्त पर भी हमें अपने व्यवहार और बातचीत में कोमल और नम्र होना चाहिए। (2 तीमु. 2:24,25) अगर घर-मालिक को राज्य संदेश में दिलचस्पी नहीं है, तो हमें व्यवहार-कुशलता का इस्तेमाल करना चाहिए और वहाँ से चले आना चाहिए।—मत्ती 7:6; 10:11-14.
5. कोमल जवाब देने से एक बहन को क्या अच्छा नतीजा मिला?
5 अच्छे नतीजे: जब एक बहन ने अपनी पड़ोसिन को गवाही देने की कोशिश की, तो वह स्त्री बहन पर झुँझला उठी और उसे खरी-खोटी सुनाने लगी। बहन ने बड़े प्यार से उससे कहा: “मैं माफी चाहती हूँ कि आपको मेरी बात बुरी लगी। मुझे माफ कीजिए।” दो हफ्ते बाद वह स्त्री, बहन के घर आयी। उसने अपने बुरे बर्ताव के लिए माफी माँगी और वह जानना चाहती थी कि बहन उस दिन उसे क्या कहने आयी थी। वाकई, कोमल जवाब देने से अकसर अच्छे नतीजे मिलते हैं!—नीति. 15:1; 25:15.
6. यह क्यों ज़रूरी है कि प्रचार में हमारी बात सलोनी हो?
6 जब आप सुसमाचार सुनाते हैं, तो कोशिश कीजिए कि आपकी बात सलोनी हो। क्योंकि अगर घर-मालिक आपकी न भी सुने, फिर भी आपकी सलोनी बात उसके दिल पर असर कर जाएगी। और क्या पता, अगली बार यहोवा के साक्षी उसके घर जाएँ, तो वह उनकी बात सुनने को राज़ी हो।