प्रचार करते वक्त, हिम्मत और सूझ-बूझ से काम लेना
सँभालकर रखिए
1 मौजूदा हालात में प्रचार करने के लिए तैयार: मसीही सेवा में हम अकेले नहीं हैं, बल्कि पूरे जहान का महाराजाधिराज यहोवा, साथ ही कलीसिया का मुखिया और परमेश्वर के राज्य का राजा, मसीह यीशु भी हमारे साथ हैं। इसके अलावा, बाइबल के ज़रिए हमें प्रचार करने के काबिल बनाया गया है। यही नहीं, जिस “दास” वर्ग का यीशु इस्तेमाल कर रहा है, उससे मिलनेवाली बढ़िया सलाहों के ज़रिए हम प्रचार करने के लिए अच्छी तरह तैयार हैं।—2 तीमु. 3:17; मत्ती 24:45-47; 28:20.
2 “इस संसार का दृश्य [लगातार] बदल रहा है।” इसलिए आज हमें अपनी मसीही सेवा में, खासकर घर-घर के प्रचार में पहले से कहीं ज़्यादा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। (1 कुरि. 7:31, NW) पहली सदी में भी बदलते हालात की वजह से, यीशु के चेलों को प्रचार करने के तरीकों में कुछ फेरबदल करने पड़े थे। (लूका 22:35,36) हालाँकि प्रचार में हमें सूझ-बूझ से काम लेने की ज़रूरत है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हमें विरोधियों से डरना चाहिए। इसके बजाय, हमें यहोवा पर पूरा भरोसा रखना चाहिए कि वह हमें ताकत देगा।—फिलि. 1:28.
3 विरोध के बावजूद हम अपनी सेवा कैसे जारी रख सकते हैं, इस बारे में सन् 2003 के दौरान कई चिट्ठियों और सेवा सभा के भागों के ज़रिए काफी मददगार जानकारी दी गयी थी। लेकिन अब हमें उन निर्देशों में कुछ फेरबदल करने, साथ ही कुछ ताज़ा जानकारी देने की ज़रूरत आन पड़ी है। देखने में आया है कि वक्त के गुज़रते, बहुत-सी कलीसियाओं ने उन निर्देशों पर चलना छोड़ दिया है। लेकिन आज हमें पहले से कहीं ज़्यादा उन निर्देशों को मानने की सख्त ज़रूरत है, क्योंकि दिनोंदिन प्रचार में विरोध बढ़ता जा रहा है। इस देश के सभी हिस्सों में, भाई-बहनों को प्रचार में तरह-तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यही नहीं, कुछ को ज़्यादा तो कुछ को कम विरोधों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए हम सभी को इलाके की ज़रूरत को ध्यान में रखकर संस्था से मिले निर्देशों पर अमल करने की ज़रूरत है। साथ ही, याद रखिए कि हम न सिर्फ मुश्किल हालात आने पर उनसे निपटना चाहते हैं, बल्कि हम उनसे बचना भी चाहते हैं। इसी बात को मद्देनज़र रखते हुए, हम सभी को इस लेख में दिए ढेरों सुझावों को लागू करना चाहिए, फिर चाहे हम फिलहाल प्रचार में मुश्किलों का सामना न भी कर रहे हों।
4 इस लेख में बाइबल से सलाहें, साथ ही दूसरे कारगर सुझाव भी दिए गए हैं। और शाखा दफ्तर बहुत जल्द कानून से जुड़ी कुछ ज़रूरी जानकारी भी देगा, जिससे सभी को यह जानने में मदद मिलेगी कि उनके कानूनी अधिकार क्या हैं और प्रचार करते वक्त अगर उन्हें गिरफ्तार किया जाता है, तो उन्हें क्या करना चाहिए। यह जानकारी आपके लिए मददगार साबित होगी। यही नहीं, इससे प्राचीनों के निकाय भी यह जान पाएँगे कि ज़रूरत की घड़ी में वे आपकी कैसे मदद कर सकते हैं।
5 हममें से हरेक को यह एहसास है कि हमें विरोधों का सामना करने और अपनी खराई बनाए रखने के लिए तैयार रहना चाहिए। (2 तीमु. 3:12) हम पूरा भरोसा रख सकते हैं कि शाखा दफ्तर ज़रूर हमारी मदद करेगा। हो सकता है, आपको ऐसे हालात का सामना करना पड़े, जिनसे हमारे बहुत-से भाई पहले ही गुज़र चुके हैं। जैसे, विरोधियों की भीड़ का सामना करना और पुलिस स्टेशन या “कचहरियों” (NHT) तक ले जाया जाना। ऐसे में मत्ती 10:17-20 में दी गयी सलाह को अपने मन में रखिए। आपकी कलीसिया के प्राचीनों को पहले से दिए निर्देशों पर अमल करना चाहिए, और फौरन शाखा दफ्तर को टेलीफोन करके उससे संपर्क भी करना चाहिए। हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि यहोवा अपने संगठन के ज़रिए हमारी ज़रूर मदद करेगा।—यशा. 54:17; फिलि. 1:7,27-29.
6 प्रचार में हमारा विरोध क्यों किया जाता है: प्रकाशितवाक्य 12:12,17 के मुताबिक, इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि शैतान इब्लीस हम पर अपना गुस्सा उतार रहा है। इन “अन्तिम दिनों” में, वह अलग-अलग समय पर और अलग-अलग जगहों में विरोध की आग भड़का रहा है। (2 तीमु. 3:3) वह लोगों को रोकना चाहता है, ताकि वे जीवन बचाने के इस प्रचार काम से फायदा न उठा सकें। वह हमारे दिल में खौफ बिठाना या हमारी हिम्मत भी तोड़ना चाहता है, ताकि हम प्रचार करना बंद कर दें। मगर जैसे बीते दिनों में वह ऐसा करने में नाकाम रहा था, वैसे ही इस देश के प्रचारकों को रोकने की उसकी कोशिश अब भी नाकाम रहेगी। हम प्रोक्लेमर्स् किताब या अलग-अलग इयरबुक पढ़कर देख सकते हैं कि हमारे भाइयों ने कैसे एक-के-बाद-एक कई देशों में बार-बार विरोधों का सामना किया; फिर भी वे यहोवा से मिली ताकत की बदौलत धीरज धरे और उसके साक्षी के तौर पर बिना रुके सुसमाचार सुनाते रहे।—प्रेरि. 5:42.
7 हमारा विरोध किए जाने की एक और वजह यह हो सकती है कि प्रचार के इलाके में रहनेवाले लोग अपने धर्म के लिए गहरा जज़्बा रखते हैं। (प्रेरि. 19:23-29) अकसर हमारे विरोधी हम पर ‘गैर-कानूनी तरीके से धर्म-परिवर्तन कराने’ का इलज़ाम लगाते हैं। या फिर वे हम पर यह इलज़ाम लगा सकते हैं कि हम उनकी धार्मिक शिक्षाओं को गलत ठहराकर या उनके देवी-देवताओं का अपमान करके अलग-अलग धर्म के लोगों में फूट पैदा कर रहे हैं। ये सारे इलज़ाम सरासर झूठ हैं। क्योंकि हम अपने पड़ोसियों को सिर्फ सुसमाचार सुनाते हैं और यह फैसला उन पर छोड़ते हैं कि वे इस संदेश को कबूल करेंगे या नहीं। साथ ही, हम हमेशा किसी को भी बिना ठेस पहुँचाए अदब से बात करने की कोशिश करते हैं।—प्रेरि. 17:22-28; रोमि. 14:12; कुलु. 4:6.
8 अपनी सेवा पूरी करने के सिद्धांत: हिम्मत रखिए। यहोवा के साक्षी न तो इंसानों को खुश करनेवाले हैं और ना ही इंसान से डरनेवाले। (नीति. 29:25; इफि. 6:6; w93-HI 7/1 पेज 20) इसलिए लोग चाहे हमारा कितना भी विरोध क्यों न करें, हम प्रेरितों की तरह, परमेश्वर से मिली प्रचार करने की अपनी ज़िम्मेदारी को पूरा करने में उन्हें रुकावट नहीं बनने देते।—प्रेरि. 5:29.
9 होशियार रहिए। हालाँकि यीशु और परमेश्वर के दूसरे वफादार सेवकों ने सताए जाने पर, हालात के मुताबिक अलग-अलग कदम उठाए, मगर उन्होंने कभी-भी बेवजह अपनी जान जोखिम में नहीं डाली। जब उनके सामने खतरनाक हालात पैदा हुए, तो उन्होंने हिम्मत दिखाने के साथ-साथ होशियारी से भी काम लिया। (मत्ती 10:16,23) उनका मकसद था, प्रचार काम को आगे बढ़ाना और यहोवा के लिए अपनी खराई बनाए रखना। वे अलग-अलग हालात में जिस तरह पेश आए, वह उन मसीहियों के लिए मिसाल है, जो आज परीक्षाओं और ज़ुल्मों का सामना करते हैं।—w03-HI 10/1 पेज 14 पैरा. 4 देखिए।
10 बदला मत लीजिए। यीशु और उसके प्रेरितों ने मुश्किल हालात में जो रवैया दिखाया, उससे हम एक और ज़रूरी सबक सीख सकते हैं। वह है कि हमें अपने विरोधियों से कभी-भी बदला नहीं लेना चाहिए। बाइबल में कहीं पर भी इस बात का इशारा तक नहीं मिलता कि यीशु और उसके चेलों ने गुट बनाकर अपने सतानेवालों के खिलाफ कोई आंदोलन चलाया हो, या उनसे लड़ने के लिए हिंसा का रास्ता इख्तियार किया हो। हमें रोमियों 12:17-21 में दर्ज़ प्रेरित पौलुस की सलाह को सख्ती से माननी चाहिए।—नीति. 20:22.
11 जहाँ तक हो सके, मुसीबत से बचिए। बाइबल साफ-साफ बताती है कि कुछ हालात में भाग खड़े होना, न सिर्फ समझदारी बल्कि बहादुरी की भी निशानी है। इस बात को यीशु ने पुख्ता किया था। उसने अपने चेलों को प्रचार में भेजने से पहले कहा था: “जब वे तुम्हें एक नगर में सताएं, तो दूसरे को भाग जाना।” (मत्ती 10:23) जी हाँ, यीशु के चेलों को ज़ुल्म ढानेवालों के हाथों से बच निकलने की कोशिश करनी थी। उन्हें किसी तरह का धर्म-युद्ध लड़कर लोगों का ज़बरदस्ती धर्म-परिवर्तन नहीं कराना था। उनका संदेश, शांति का संदेश था। (मत्ती 10:11-14; प्रेरि. 10:34-37) इसलिए उनको गुस्से से भड़कने के बजाय, ऐसे लोगों से दूर रहना था, जो उन्हें गुस्सा दिलाते। इस तरह, वे एक अच्छा विवेक और यहोवा के साथ अपना अनमोल रिश्ता कायम रख सके।—2 कुरि. 4:1,2. w02-HI 4/15 पेज 32 देखिए।
12 सोच-समझकर लोगों को ढूँढ़िए। यीशु ने अपने चेलों को पहले से जता दिया था कि इलाके के सभी लोग उनके संदेश में दिलचस्पी नहीं लेंगे। उसने कहा: “जिस किसी नगर या गांव में जाओ, तो पता लगाओ कि वहां कौन योग्य है?” ज़रा सोचिए, अगर सभी लोग राज्य के संदेश को कबूल करते, तो यीशु यह कभी न कहता कि “पता लगाओ।” लेकिन जिन लोगों ने संदेश में कोई दिलचस्पी नहीं ली, उनकी तरफ चेलों को कैसा रवैया दिखाना था? यीशु ने कहा: “जो कोई तुम्हें ग्रहण न करे, और तुम्हारी बातें न सुने, उस घर या उस नगर से निकलते हुए अपने पांवों की धूल झाड़ डालो।” यानी, चेलों को वहाँ से शांति से चले जाना था और मामले को यहोवा के हाथों में छोड़ देना था कि वही उन लोगों का न्याय करेगा।—मत्ती 10:11,14. w88 7/15 पेज 11 पैरा. 9 देखिए।
13 सूझ-बूझ से काम लीजिए। प्रचार करते वक्त जहाँ तक हो सके, ऐसे हालात से दूर रहिए जिनमें मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। बाइबल कहती है: “चतुर मनुष्य समझ बूझकर चलता है।” (नीति. 14:15) वह यह भी सलाह देती है: “झगड़ा बढ़ने से पहिले उसको छोड़ देना उचित है।” (नीति. 17:14) समझ-बूझकर चलने का यह भी मतलब है कि हम ऐसे इलाकों से दूर रहें, जहाँ खतरे की गुंजाइश है। प्रचार के जिस इलाके में अकेले जाना अक्लमंदी नहीं, वहाँ जाने के लिए अच्छा होगा अगर आप किसी और प्रचारक को अपने साथ ले जाएँ। किसी अपार्टमेंट में प्रचार करते वक्त एक ही मंज़िल पर कई प्रचारकों का काम करना फायदेमंद है। और अगर भाई मौजूद हैं, तो उन्हें इसमें अगुवाई लेनी चाहिए। जब कोई व्यक्ति आपको घर के अंदर बुलाता है, तो समझ से काम लीजिए।
14 प्राचीनों का निकाय अब किन निर्देशों को लागू करेगा: सेवा समिति की अगुवाई में, प्राचीनों को कलीसिया के प्रचार के पूरे इलाके की जाँच करके देखना चाहिए कि किन जगहों में कट्टरपंथी लोग रहते हैं। कई मामलों में देखा गया है कि ऐसे लोग एक-दूसरे के बहुत नज़दीक रहते हैं। इन जगहों का निशान नक्शे में लगा देना चाहिए। यहाँ तक कि जिन घरों में ये कट्टरपंथी लोग रहते हैं, उन घरों का भी निशान नक्शे में लगा देना चाहिए। ऐसे घरों और जगहों में भाई-बहनों को प्रचार के लिए नहीं जाना चाहिए। इसके बजाय, उन्हें उन जगहों में जाना चाहिए, जहाँ अच्छे नतीजे मिलने की गुंजाइश ज़्यादा होती है। और कलीसिया के प्रचार के इलाके में ऐसी जगहों की कोई कमी नहीं।
15 कलीसिया और छोटे-छोटे समूह के लिए रखी जानेवाली प्रचार की सभाओं के इंतज़ामों की जाँच कीजिए। ध्यान रखिए कि जिन जगहों में बहुत-से कट्टरपंथी लोग रहते हैं, उन जगहों में रहनेवाले भाइयों के घरों में ऐसी सभाएँ न रखी जाएँ। इस बात का भी ध्यान रखना अच्छा होगा कि प्रचार के इलाके में भाई-बहनों की एक बड़ी भीड़ जमा न हो। साथ ही, प्रचार में सभी को सूझ-बूझ से काम लेना चाहिए, उन्हें आपस में ऊँची आवाज़ में बात नहीं करनी चाहिए, प्रचार के बाद एक ही जगह पर नहीं इकट्ठा होना चाहिए, या दूसरे तरीके से लोगों का ध्यान अपनी तरफ नहीं खींचना चाहिए।
16 इन्हीं बातों के बारे में नवंबर 1998 की हमारी राज्य सेवकाई के पेज 5 पर बताया गया है: ‘अगर हम अच्छा इंतज़ाम करें, तो हम बड़ा समूह बनाकर प्रचार के इलाके में नहीं जाएँगे, जो सबकी नज़रों में आ सकता है। कुछ घर-मालिक शायद यह देखकर डर जाएँ कि ढेर सारे लोग अपनी-अपनी गाड़ियों के साथ उनके घर के सामने जमा हो रहे हैं। हम उन्हें ऐसा महसूस नहीं कराना चाहते, मानो हम उनके इलाके पर “हमला” करने आए हों। प्रचार की सभा में ही प्रचार करने की हिदायतें देना सबसे अच्छा होगा। एक परिवार या प्रचारकों के छोटे समूह से वहाँ के लोग इतना नहीं घबराएँगे और काम करते वक्त भी समूह को सँभालना आसान होगा।’
17 प्राचीन इस बात का भी खयाल रखेंगे कि अगर अलग-अलग भाषा बोलनेवाले समूह या कलीसियाएँ एक ही इलाके में काम कर रही हैं, तो सारा इंतज़ाम ‘सभ्यता और क्रमानुसार किया जाए।’ (1 कुरि. 14:40) ऐसा करना इसलिए ज़रूरी है, ताकि लोगों का ध्यान खाहमखाह प्रचारकों की तरफ न जाए।
18 हममें से हरेक को कौन-सी बातें अपने मन में रखनी चाहिए: अब तक कलीसिया जिस तरीके से प्रचार का काम करती आयी है, उसमें बेशक थोड़ी-बहुत फेरबदल किए जाने की ज़रूरत पड़ेगी। इसलिए कलीसिया में जो भी इंतज़ाम किए जाएँगे, सभी को उनके मुताबिक काम करना चाहिए।
19 प्रचार में किसी भी घर-मालिक को किताब, पत्रिका, ट्रैक्ट या कोई दूसरा साहित्य देने से पहले यह पता लगाना समझदारी होगी कि क्या वह हमारा संदेश सुनने और हमसे बात करने के लिए तैयार है। लोगों से मिलने का हमारा मकसद है, उन्हें बाइबल से सुसमाचार का संदेश देना। इसलिए एक बार जब हम यह पता लगा लेते हैं कि घर-मालिक शांत स्वभाव का है, तब हम उसे पढ़ने के लिए कुछ दे सकते हैं।
20 प्रचार करते वक्त हमें आस-पास के माहौल पर नज़र रखनी चाहिए। अगर हमें इस बात का थोड़ा भी इशारा मिलता है कि घर-मालिक गुस्सा हो रहा है, तो सूझ-बूझ से काम लेते हुए हमें अपनी बातचीत वहीं खत्म करके वहाँ से चलते बनना चाहिए। ज़रूरत पड़ने पर हमें वह इलाका भी छोड़ देना चाहिए। जब दो लोग प्रचार में काम करते हैं, तो उनमें से एक के लिए एहतियात से आस-पास के माहौल पर नज़र रखना मुमकिन होता है। इसलिए जो प्रचारक बात नहीं कर रहा होता है, उसे अपने साथी और घर-मालिक के बीच हो रही बातचीत में इतना नहीं खो जाना चाहिए कि उसे होश ही ना रहे कि आस-पास क्या हो रहा है। अकसर समस्या की शुरूआत कुछ इस तरह होती है: एक व्यक्ति गौर से देखता है कि हम क्या कर रहे हैं और फिर वह जाकर दूसरों को बुला लाता है।
21 हमें ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, जिनसे लोगों में गलतफहमी पैदा हो सकती है। जैसे, हमें यह नहीं कहना चाहिए कि हम लोगों को कुछ ‘देने’ आए हैं, क्योंकि इससे वे गलत मतलब निकाल सकते हैं कि हम उनका धर्म बदलने के लिए उन्हें आर्थिक चीज़ों का लालच दे रहे हैं। इसके बजाय, हम यह कह सकते हैं कि हम लोगों से मिलकर उनके साथ बाइबल से कुछ खुशखबरी “बाँट” रहे हैं। अगर कोई हमसे उसकी उपासना के तरीके के बारे में राय माँगता है, या यह पूछता है कि मूर्तिपूजा के बारे में हम क्या सोचते हैं, तो ऐसे में हम यह जवाब दे सकते हैं कि धर्म के मामले में उसने जो चुनाव किया है, वह सही है या गलत, इसका फैसला करने का हमें कोई अधिकार नहीं। यह उनका ज़ाती मामला है। हम तो सिर्फ लोगों के साथ बाइबल से अच्छी जानकारी बाँटना चाहते हैं और यह फैसला उन पर छोड़ते हैं कि वे हमारा संदेश सुनना चाहेंगे या नहीं।
22 हम नहीं चाहते कि हमारे पहनावे और प्रचार के बैग से हम दूसरों से अलग नज़र आएँ, जिससे लोगों का ध्यान हमारी तरफ और हमारे काम पर जाए। हमें साफ-सुथरे और शालीन कपड़े पहनना चाहिए। मगर हमें ऐसे कपड़े पहनने की कोई ज़रूरत नहीं, जो हमें लगता है कि प्रचार में जाने के लिए पहनना चाहिए। दूसरे देशों में भाई-बहन प्रचार के लिए जो कपड़े पहनते हैं, हमें उनकी नकल नहीं करनी चाहिए। एक बड़ा-सा बैग ले जाने के बजाय, बेहतर होगा कि हम अपनी बाइबल और कुछ साहित्य अपनी जेब में रखें या एक छोटे-से फोल्डर में ले जाएँ।
23 अच्छा होगा कि हम घर-मालिक से ज़ोर-ज़ोर से बात न करें, जिससे कुछ ही दूरी पर खड़े लोगों का ध्यान हमारी तरफ खिंच सकता है। बीती घटनाओं से साबित हुआ है कि ऊँची आवाज़ में बात करने से भीड़ जमा हो जाती है और उसमें से किसी एक के गुस्सा भड़कने की गुंजाइश बढ़ जाती है।
24 जब कोई आपको घर के अंदर बुलाता है, तब खबरदार रहिए। क्योंकि कुछ विरोधियों ने यही तरीका अपनाकर प्रचारकों को अपने घर में रोके रखा और उस दौरान टेलीफोन कर दूसरे विरोधियों को इकट्ठा कर लिया। अगर घर-मालिक फोन लगाता है या आपसे बात करते वक्त अपने परिवार के किसी सदस्य को फोन लगाने के लिए कहता है, तो समझ जाइए कि आपको वहाँ से फौरन निकल जाना चाहिए।
25 हमारा मकसद याद रखिए: हमारा मकसद है, “योग्य” लोगों को ढूँढ़ना यानी उन लोगों को जो हमारे संदेश को सुनना चाहते हैं। मगर हम उन लोगों का ध्यान अपनी तरफ नहीं खींचना चाहते, जो सुसमाचार के प्रचार काम में रोड़ा अटकाने या फिर उसे पूरी तरह बंद करने पर तुले हुए हैं।
26 यहोवा पर भरोसा रखिए कि वह आपकी मदद ज़रूर करेगा: प्रचार करने के अपने तरीके में बदलाव करने के साथ-साथ, यहोवा पर भरोसा रखिए कि वह आपका साथ कभी नहीं छोड़ेगा। (यशा. 54:17; फिलि. 4:13) मौजूदा हालात के मुताबिक खुद को ढालना न सिर्फ अक्लमंदी है, बल्कि बाइबल भी ऐसा करने का बढ़ावा देती है, ठीक जैसे यीशु ने अपने चेलों को प्रचार में भेजते वक्त ज़ाहिर किया था। (मत्ती 10:5-23) चाहे आप घर-घर के प्रचार में हिस्सा ले रहे हों या दूसरे मौके पर गवाही दे रहे हों, समझ से काम लीजिए और आस-पास के माहौल पर नज़र रखिए। यहोवा पर यकीन रखिए कि वह अपने स्वर्गदूतों के ज़रिए आपको उन लोगों तक ज़रूर पहुँचाएगा, जो जीवन पाने के परमेश्वर के प्यार-भरे न्यौते को दिल से कबूल करना चाहते हैं।—प्रका. 14:6.
27 आनेवाले महीनों में हमारी राज्य सेवकाई में और भी लेख छापे जाएँगे, जिनमें यह बताया जाएगा कि आप हिम्मत और सूझ-बूझ के साथ अपनी सेवा कैसे जारी रख सकते हैं। आइए हम सभी यह ठान लें कि हम इस लेख में दिए सुझावों पर अमल करेंगे और संगठन जो भी इंतज़ाम करेगा, हम उसके मुताबिक काम करेंगे।
[पेज 3 पर बक्स]
इस इंसर्ट का कैसे इस्तेमाल करें
इसमें दी जानकारी को ध्यान से पढ़िए और उसके बारे में गहराई से सोचिए। इसमें दिए सुझावों पर अमल करने के लिए तैयार रहिए। हमें कब से इस लेख में दिए सुझावों और निर्देशों पर अमल करना चाहिए? अभी से!