कलीसिया के पुस्तक अध्ययन के लिए बाइबल कहानियों की मेरी मनपसंद किताब
परमेश्वर के वचन में लिखा संदेश इतनी ताकत रखता है कि उसकी वजह से दुनिया-भर में लाखों लोगों की ज़िंदगी बदल गयी है। (इब्रा. 4:12) जब हम बाइबल में दी गयी घटनाओं को पढ़ते हैं और मन में उनकी तसवीर खींचते हैं तो हम अपनी सोच को परमेश्वर के वचन के मुताबिक ढालना शुरू कर देते हैं। बेशक बाइबल में लिखी घटनाएँ सिर्फ पन्नों पर छपा एक इतिहास नहीं। यह परमेश्वर का जीवित वचन है, जिसकी बातें आज पूरी हो रही हैं और जिसे पूरा होने से कोई रोक नहीं सकता। इसलिए कलीसिया के पुस्तक अध्ययन में जब हम परमेश्वर के वचन को बाइबल कहानियों की मेरी मनपसंद किताब के ज़रिए गहराई से सीखेंगे तो हमें इससे बहुत फायदा होगा।
2 बाइबल कहानियों की मेरी मनपसंद किताब हमें बाइबल की बुनियादी जानकारी देती है। इस किताब के अध्ययन से यह जानकारी बहुत ही दिलचस्प हो जाएगी और उसे हम आसानी से समझ सकेंगे। इसमें बाइबल की घटनाओं को सिलसिलेवार ढंग से पेश किया गया है। इसमें छपी रंग-बिरंगी तसवीरों से भी हम बहुत कुछ सीख सकेंगे, जिससे हमें बाइबल की घटनाओं पर मनन करने में मदद मिलेगी। (भज. 77:12) यह किताब हमें परमेश्वर का भय माननेवाले कुलपिताओं, इब्राहीम, इसहाक और याकूब की राह पर “चलने” में मदद करेगी। हम परमेश्वर में आस्था रखनेवाली स्त्रियों, जैसे सारा, रिबका और वफादार मोआबी स्त्री रूत के बारे में भी “देखेंगे।” जी हाँ, यहाँ तक कि हम यीशु मसीह को भी “सुनेंगे,” मसलन पहाड़ी उपदेश देते हुए। अगर हम पुस्तक अध्ययन की बढ़िया तैयारी करेंगे तो पवित्र शास्त्र की ये सारी नायाब हिदायतें हमारे लिए फायदेमंद होंगी। यह बात सौ-फीसदी सच है कि यह अध्ययन परमेश्वर का वचन पढ़ने के हमारे इरादे को और भी मज़बूत करेगा, और ऐसा करने से हमें बाइबल की गहरी समझ मिलेगी और हमारी खुशी बढ़ेगी!
3 बाइबल कहानियों किताब में हर पाठ के लिए दो तरह के सवाल दिए गए हैं। पहले तरह के सवाल ऐसे हैं जिनकी मदद से पूरी कहानी का और उसकी खास घटनाओं का ब्यौरा मिल जाता है। पूरी कहानी पढ़ने के बाद, अध्ययन चलानेवाला भाई इन सवालों को पूछेगा। हमारे जवाब, कहानी के आधार पर सीधे-सटीक और छोटे होने चाहिए। ध्यान दीजिए कि जिस घटनाक्रम में कहानी लिखी गयी है, सवाल हमेशा उसी क्रम में नहीं दिए गए हैं।
4 इसके बाद अध्ययन चलानेवाला भाई दूसरी तरह के सवाल पूछेगा और वह इस बात पर ज़ोर देगा कि हमें उस कहानी से क्या सबक मिला। ऐसे हर सवाल से पहले, बाइबल की आयतें दी गयी हैं। कुछ हवालों में ज़्यादा आयतें दी गयी हैं। अच्छा होगा कि हम सभी पुस्तक अध्ययन की तैयारी के दौरान ही इन आयतों को पढ़ लें। आप गौर करेंगे कि ऐसे सवालों के बाद भी कुछ आयतें दी गयी हैं। ये आयतें हमें जवाब ढूँढ़ने में मदद देंगी। अध्ययन चलानेवाले भाई को ऐसे सवाल पूछने चाहिए जिससे भाई-बहन अपने शब्दों में बता सकें कि दी गयी आयतें किस तरह कहानी से जुड़ी हैं। भाई को चाहिए कि पुस्तक अध्ययन में हाज़िर भाई-बहनों का ध्यान बाइबल में दी गयी जानकारी पर खींचे और उनकी इस तरह मदद करे कि वे सीखी हुई बातों को अपने जीवन में लागू कर सकें।
5 पुस्तक अध्ययन में, किताब के हर भाग की शुरूआत में आगे की कहानियों का परिचय दिया गया है, इसे एक पाठ की तरह पढ़ा जाना चाहिए। इसे पढ़ने के बाद, भाई कुछ मुनासिब सवाल पूछेगा जो उसने खुद तैयार किए होंगे। शुरूआती परिचय के इन सवालों पर चर्चा करने से हमें आगे की कहानियों के बारे में कुछ जानकारी मिल जाएगी। हमारी यही दुआ है कि इस किताब के अध्ययन से हमारे दिलो-दिमाग में परमेश्वर के गुण रच-बस जाएँ और हम स्वर्ग में रहनेवाले अपने महान पिता यहोवा परमेश्वर के करीब आते चले जाएँ।—याकू. 4:8क.