परमेश्वर की सेवा स्कूल की चर्चा
27 अक्टूबर, 2008 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए गए सवालों पर चर्चा होगी। स्कूल अध्यक्ष, 30 मिनट के लिए 1 सितंबर से 27 अक्टूबर, 2008 तक के हफ्तों में पेश किए भागों पर हाज़िर लोगों के साथ चर्चा करेगा।
भाषण के गुण
1. लोग जो मानते हैं, हम कैसे उसकी वजह जान सकते हैं? [ be-HI पेज 259 पैरा. 1, 2]
2. नफरत और भेद-भाव की भावनाओं को दिल से निकालने में, हम एक इंसान की मदद कैसे कर सकते हैं? [ be-HI पेज 260 पैरा. 2]
3. हम अपने विद्यार्थी को कैसे सिखा सकते हैं कि आध्यात्मिक तरक्की करते रहने के लिए उसे अपने दिल को जाँचते रहने की ज़रूरत है? [ be-HI पेज 261 पैरा. 3]
4. सुननेवालों के दिल तक पहुँचने के लिए हमें किस बात का ध्यान रखना चाहिए? [ be-HI पेज 262 पैरा. 5]
5. कलीसिया की सभाओं में समय का ध्यान रखना क्यों ज़रूरी है? [ be-HI पेज 263 पैरा. 1, 3, बक्स]
भाग नं. 1
6. कुरिन्थियों को पहली पत्री लिखने के लिए किस बात ने पौलुस को बढ़ावा दिया? [ bsi08-1-HI पेज 21 पैरा. 3]
7. पौलुस ने कुरिन्थुस की कलीसिया को दूसरी पत्री किन वजहों से लिखी? [ bsi08-1-HI पेज 23-4 पैरा. 1-2]
8. प्रचार के लिए एक मसीही का नज़रिया कैसा होना चाहिए? [ bsi08-1-HI पेज 24 पैरा. 18]
9. आज हम कैसे फिलिप्पी के भाइयों की तरह बन सकते हैं, जिससे हमें परमेश्वर का अनुग्रह मिले और हम भाइयों का आनंद ठहरें? [ bsi08-1-HI पेज 30 पैरा. 12]
10. पौलुस और उसके साथियों ने थिस्सलुनीकियों की कलीसिया पर कैसा अच्छा असर डाला? [ bsi08-2-HI पेज 4 पैरा. 13]
हफ्ते की बाइबल पढ़ाई
11. ‘[दुष्ट] मनुष्य शरीर के विनाश के लिए शैतान को सौंपा जाए कि आत्मा उद्धार पाए,’ इन शब्दों का क्या मतलब है? (1 कुरि. 5:5, NHT) [ w08 7/15-HI “यहोवा का वचन जीवित है—कुरिन्थियों को लिखी पत्रियों की झलकियाँ”]
12. यीशु की मौत की यादगार कितनी बार मनायी जानी थी और ऐसा ‘कब तक’ किया जाना था? (1 कुरि. 11:26) [ w08 7/15-HI “यहोवा का वचन जीवित है—कुरिन्थियों को लिखी पत्रियों की झलकियाँ”]
13. दूसरा कुरिन्थियों 12:2-4 में कौन-से दर्शन के बारे में बताया गया है और यह दर्शन किसे मिला? [ w04 10/15-HI पेज 8 पैरा. 4; पेज 10 पैरा. 9]
14. पौलुस ने क्यों मूसा के नियम को “मसीह के पास लाने के लिए . . . संरक्षक” कहा? (गल. 3:24, नयी हिन्दी बाइबिल) [ w03 3/15-HI पेज 21]
15. जब पौलुस ने प्रार्थना की कि “तुम्हारी आत्मा और प्राण और देह . . . सुरक्षित रहें,” तो उसके कहने का क्या मतलब था? (1 थिस्स. 5:23) [ w08 9/15-HI “यहोवा का वचन जीवित है—थिस्सलुनीकियों और तीमुथियुस को लिखी पत्रियों की झलकियाँ”]