अपने बाइबल विद्यार्थियों को विरोध का सामना करने के लिए तैयार कीजिए
1 जब एक इंसान बाइबल का अध्ययन करने लगता है और ‘भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहता है,’ तो वह शैतान का खास निशाना बन जाता है। (2 तीमु. 3:12) शैतान उस पर अलग-अलग लोगों के ज़रिए विरोध लाता है। जैसे, साथ काम करनेवालों, स्कूल के साथियों या पड़ोसियों के ज़रिए। बाइबल विद्यार्थी के लिए विरोध का सामना करना तब और भी मुश्किल हो जाता है, जब उसका भला चाहनेवाले सगे-संबंधी उसका विरोध करते हैं।—मत्ती 10:21; मर. 3:21.
2 विरोध के बारे में भविष्यवाणी: नए लोगों को समझाया जाना चाहिए कि विरोध का आना तय है। और यह भी कि उन पर ज़ुल्म ढाए जाना, इस बात की निशानी है कि वे मसीह के सच्चे चेले हैं। (यूह. 15:20) कई बार लोग इसलिए विरोध करते हैं, क्योंकि उन्हें यहोवा के साक्षियों के बारे में गलतफहमी होती है। मगर याद रखिए, यीशु के चेले होने और परमेश्वर की आज्ञा मानने की वजह से अगर किसी का निरादर होता है, तो यह उसके लिए बड़े आनंद की बात है। (प्रेरि. 5:27-29, 40, 41) नए लोगों को यकीन दिलाइए कि यहोवा उनसे प्यार करता है और वह उनकी मदद करेगा। (भज. 27:10; मर. 10:29, 30) अगर वे अपनी खराई बनाए रखते हैं, तो वे विश्व की हुकूमत के मसले में यहोवा का पक्ष ले रहे होते हैं।—नीति. 27:11.
3 सही ज्ञान की अहमियत: अपने बाइबल विद्यार्थियों को यह समझने में मदद दीजिए कि आज़माइशों के बावजूद, सही ज्ञान लेते रहना कितना ज़रूरी है। शैतान हरगिज़ नहीं चाहता कि बाइबल की सच्चाई, उनके दिल में जड़ पकड़े। इसलिए वह उन पर विरोध लाता है। (नीति. 4:23; लूका 8:13) उन्हें परमेश्वर के वचन का सही ज्ञान लेते रहना चाहिए, ताकि वे विश्वास में दृढ़ होते जाएँ।—भज. 1:2, 3; कुलु. 2:6, 7.
4 धीरज धरना ज़रूरी है: मुश्किल-से-मुश्किल हालात में धीरज धरना निहायत ज़रूरी है। इससे अच्छे नतीजे निकलते हैं। (लूका 21:16-19) जब नए लोग आज़माइशों से गुज़रते वक्त धीरज धरते हैं, तो इससे उन्हें भी फायदा होता है और दूसरों को भी। साथ ही, वे इस बात का अनुभव कर पाते हैं कि यहोवा कैसे उन लोगों को आशीषों से सराबोर कर देता है, जो धीरज धरते हुए वफादारी से उसकी सेवा करते हैं।—याकू. 1:12.
5 प्रेरित पौलुस ने थिस्सलुनीके के कई भाइयों को सच्चाई सीखने में मदद दी थी। इसलिए वहाँ की कलीसिया को तरक्की करते देख वह बहुत खुश हुआ। और उसने उन भाइयों के विषय में परमेश्वर को धन्यवाद भी दिया। (2 थिस्स. 1:3-5) ऐसी खुशी और संतोष हम भी पा सकते हैं, बशर्ते हम अपने बाइबल विद्यार्थियों को विरोध का सामना करने और धीरज धरने के लिए तैयार करें।