परमेश्वर की सेवा स्कूल की चर्चा
29 दिसंबर, 2008 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए गए सवालों पर चर्चा होगी। स्कूल अध्यक्ष, 20 मिनट के लिए 3 नवंबर से 29 दिसंबर, 2008 तक के हफ्तों में पेश किए भागों पर हाज़िर लोगों के साथ चर्चा करेगा।
भाषण के गुण
1. “प्रेम से” उपदेश देना और उकसाना क्यों असरदार होता है? (फिले. 9) [ be-HI पेज 266 पैरा. 1-3]
2. हम दूसरों में हिम्मत कैसे पैदा कर सकते हैं? [ be-HI पेज 268 पैरा. 4–पेज 269 पैरा. 2]
भाग नं. 1
3. तीतुस को लिखी पौलुस की पत्री क्यों आज हमारे लिए ‘भली और लाभ’ की है? (तीतु. 3:8) [ bsi08-2-HI पेज 11 पैरा. 8]
4. पतरस की पहली पत्री बिलकुल सही समय पर क्यों लिखी गयी थी? [ bsi08-2-HI पेज 19 पैरा. 1]
5. प्रकाशितवाक्य में लाक्षणिक भाषा में दर्ज़ बातों का हम पर क्या असर होना चाहिए? [ bsi08-2-HI पेज 28 पैरा. 1]
हफ्ते की बाइबल पढ़ाई
6. पौलुस ने तीतुस 2:3 में ‘दोष लगानेवाले न होने’ और ‘पियक्कड़ न होने’ का साथ-साथ ज़िक्र क्यों किया? [ w94 6/1-HI पेज 27 पैरा. 12]
7. शैतान के पास “मार डालने का ज़रिया है।” क्या इसका मतलब है कि वह जिस किसी को चाहे, उसे वक्त से पहले मार सकता है? (इब्रा. 2:14, NW) [ w08 10/15-HI “यहोवा का वचन जीवित है—तीतुस, फिलेमोन और इब्रानियों को लिखी पत्रियों की झलकियाँ”]
8. नयी वाचा को ‘बान्धनेवाला’ कौन है? (इब्रा. 9:16) [ w08 10/15-HI “यहोवा का वचन जीवित है—तीतुस, फिलेमोन और इब्रानियों को लिखी पत्रियों की झलकियाँ”]
9. मेल या शांति से रहने का क्या मतलब है और इस बारे में हमें खुद से क्या सवाल पूछने चाहिए? (याकू. 3:17) [ w08 3/15-HI पेज 24 पैरा. 18]
10. इसका क्या मतलब है कि “परमेश्वर हमारे मन से बड़ा है”? (1 यूह. 3:20) [ w05 8/1-HI पेज 30 पैरा. 19]