परमेश्वर की सेवा स्कूल पर चर्चा
26 अप्रैल, 2010 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेशवर की सेवा स्कूल में नीचे दिए सवालों पर चर्चा होगी। स्कूल अध्यक्ष, 20 मिनट के लिए 1 मार्च से 26 अप्रैल, 2010 तक के हफ्तों में पेश किए भागों पर हाज़िर लोगों के साथ चर्चा करेगा।
1. जब नाओमी ने कहा कि “यहोवा ही ने मेरे विरुद्ध साक्षी दी, और सर्वशक्तिमान् ने मुझे दुःख दिया है” तो उसके कहने का क्या मतलब था? (रूत 1:21) [प्रहरीदुर्ग 05 3/1 पेज 27 पैरा. 1]
2. किन गुणों की वजह से रूत ने “भली स्त्री” का नाम कमाया? (रूत 3:11) [प्रहरीदुर्ग 05 3/1 पेज 28 पैरा. 7]
3. जब एल्काना ने अपनी पत्नी से कहा कि “क्या तेरे लिये मैं दस बेटों से भी अच्छा नहीं हूं,” तो इससे उसकी पत्नी का कैसे ढाढ़स बँधा? (1 शमू. 1:8) [प्रहरीदुर्ग 05 3/15 पेज 22 पैरा. 2]
4. इसराएलियों ने यहोवा से एक राजा की माँग करके क्यों सही नहीं किया? (1 शमू. 8:5) [प्रहरीदुर्ग 05 9/15 पेज 20 पैरा. 17]
5. शमूएल ‘बूढ़ा हो गया था, और उसके बाल उजले हो गए थे,’ फिर भी कैसे उसने दूसरों की खातिर प्रार्थना करने के मामले में एक अच्छी मिसाल रखी? इससे क्या ज़ाहिर होता है? (1 शमू. 2:2, 23) [प्रहरीदुर्ग 07 6/1 पेज 29 पैरा. 14-15]
6. शाऊल ने खास तौर पर केनियों को लिहाज़ क्यों दिखाया? (1 शमू. 15:6) [प्रहरीदुर्ग 05 3/15 पेज 22 पैरा. 9]
7. पहला शमूएल 16:17-23 को ध्यान में रखते हुए सवाल उठता है कि शाऊल ने यह क्यों पूछा कि दाविद किसका पुत्र है? (1 शमू. 17:58) [प्रहरीदुर्ग 05 3/15 पेज 24 पैरा. 1]
8. गत में दाविद ने एक गंभीर समस्या को जिस तरह सुलझाया, उससे हम क्या सीख सकते हैं? (1 शमू. 21:12, 13) [प्रहरीदुर्ग 05 3/15 पेज 24 पैरा. 5]
9. हम क्यों कह सकते हैं कि दाविद और योनातन सच्चे दोस्त थे? (1 शमू. 23:17) [प्रहरीदुर्ग 08 2/15 पेज 8 पैरा. 7]
10. शाऊल जिस तरह एन्दोर की एक भूतसिद्धि करनेवाली से मिलने गया, उससे हम क्या सबक सीखते हैं? (1 शमू. 28:8-19) [प्रहरीदुर्ग 05 3/15 पेज 24 पैरा. 8]