सिखाते वक्त दलील देकर कायल कीजिए
1. प्रचार में परमेश्वर के वचन का असरदार तरीके से इस्तेमाल करने में क्या बात अकसर शामिल होती है?
प्रेषित पौलुस की तरह असरदार प्रचारक इस बात की कदर करते हैं कि “सच्चाई के वचन को सही तरह से इस्तेमाल” करने में पवित्र शास्त्र से वचन दिखाने के अलावा और भी बहुत कुछ शामिल है। (2 तीमु. 2:15) सिखाते वक्त जब हम परमेश्वर के वचन का इस्तेमाल करते हैं, तो हम कैसे लोगों को ‘दलीलें देकर कायल’ कर सकते हैं?—प्रेषि. 28:23.
2. लोगों में परमेश्वर के वचन के लिए आदर बढ़ाने के लिए हम क्या कर सकते हैं?
2 परमेश्वर के वचन को बोलने दीजिए: सबसे पहले, सुननेवाले का ध्यान बाइबल की तरफ इस तरह खींचिए जिससे उसके दिल में बाइबल में दर्ज़ परमेश्वर की बुद्धि-भरी बातों के लिए आदर जागे। परमेश्वर के वचन पर हमारा विश्वास देखकर सुननेवाले को यह बढ़ावा मिल सकता है कि जब कोई आयत पढ़ी जाती है तो वह उस पर ध्यान दे। (इब्रा. 4:12) हम बस इतना कह सकते हैं: “इस मामले पर परमेश्वर का विचार जानने से मुझे फायदा हुआ है। ध्यान दीजिए की उसका वचन क्या कहता है।” जब भी मुमकिन हो, सीधे-सीधे बाइबल से पढ़िए ताकि परमेश्वर का वचन अपनी बात कह सके।
3. आयत पढ़ने के बाद हम क्या कर सकते हैं जिससे सुननेवाले को उसका मतलब समझने में आसानी हो?
3 दूसरा, जो आयत आपने पढ़ा है, उसे अच्छे-से समझाइए। जब किसी आयत को पहली बार पढ़ा जाता है, तो कई लोगों को उसे समझने में बेहद परेशानी होती है। अकसर यह समझाने की ज़रूरत पड़ती है कि हम जिस विषय पर चर्चा कर रहें हैं, उससे यह आयत कैसे ताल्लुक रखती है। (लूका 24:26, 27) आयत में दिए उन शब्दों की तरफ सुननेवाले का ध्यान खींचिए, जो उस विषय से जुड़े हैं जिस पर आप चर्चा कर रहे हैं। कोई एक सवाल पूछने से आप पता लगा पाएँगे कि सुननेवाले को आयत में दी बात ठीक से समझ में आ गयी है या नहीं।—नीति. 20:5; प्रेषि. 8:30.
4. सिखाते वक्त दलील देकर कायल करने के लिए हमें कौन-सा आखिरी कदम उठाना चाहिए?
4 आयतों पर तर्क कीजिए: तीसरा, सुननेवाले के दिलो-दिमाग तक पहुँचने की कोशिश कीजिए। घर-मालिक को यह समझने में मदद दीजिए कि वह आयत किस तरह उसकी निजी ज़िंदगी में लागू हो सकती है। आयतों पर तर्क देकर चर्चा करने से शायद एक व्यक्ति को अपनी सोच बदलने की प्रेरणा मिले। (प्रेषि. 17:2-4; 19:8) उदाहरण के लिए भजन 83:18 पढ़ने के बाद हम यह तर्क दे सकते हैं कि किसी के साथ करीबी रिश्ता बनाने के लिए उसका नाम जानना बहुत ज़रूरी है। फिर आप पूछ सकते हैं, “क्या आपको लगता है कि परमेश्वर का नाम जानने से आपकी प्रार्थनाएँ और भी दिल से निकलेंगी।” इस तरह आयत को घर-मालिक की निजी ज़िंदगी से जोड़ने से उसे पता चलेगा कि उसमें दी सलाह कितनी कारगर है। परमेश्वर के वचन से दलील देकर कायल करने से नेकदिल लोग एकमात्र सच्चे और जीवित परमेश्वर यहोवा की उपासना करने के लिए खिंचे चले आएँगे।—यिर्म. 10:10.