परमेश्वर की सेवा स्कूल पर चर्चा
30 अगस्त, 2010 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए सवालों पर चर्चा होगी। स्कूल निगरान 20 मिनट के लिए 5 जुलाई से 30 अगस्त, 2010 तक के हफ्तों में पेश किए गए भागों पर हाज़िर लोगों के साथ चर्चा करेगा।
1. सुलैमान ने मंदिर के उद्घाटन के वक्त जो प्रार्थना की, उस पर मनन करने से हमें यह समझने में कैसे मदद मिलेगी कि यहोवा कितना बेमिसाल है? (1 राजा 8:22-53) [प्रहरीदुर्ग 05 7/1 पेज 30 पैरा. 3]
2. दाविद ने कई गलतियाँ कीं, फिर भी यह क्यों कहा जा सकता है कि वह यहोवा के सामने ‘मन की खराई से चलता रहा’? (1 राजा 9:4) [प्रहरीदुर्ग 97 5/1 पेज 5 पैरा. 1-2]
3. शीबा की रानी ने सुलैमान के बारे में यह क्यों कहा कि “धन्य हैं तेरे ये सेवक! जो नित्य तेरे सम्मुख उपस्थित रहकर तेरी बुद्धि की बातें सुनते हैं”? (1 राजा 10:4-8) [प्रहरीदुर्ग 99 11/1 पेज 20 पैरा. 5-7]
4. यहोवा ने यह आज्ञा दी कि अबिय्याह को इज़्ज़त के साथ दफन किया जाए, इससे हम क्या समझ सकते हैं? (1 राजा 14:13) [यहोवा के करीब पेज 244 पैरा. 11]
5. ओबद्याह ने जो किया उससे कैसे पता चलता है कि परमेश्वर का भय ज़बरदस्त ताकत रखता है? (1 राजा 18:4) [प्रहरीदुर्ग 06 10/1 पेज 21 पैरा. 18-19]
6. एलिय्याह के यह कहने का क्या मतलब था कि लोग ‘दो विचारों में लटक रहे हैं’? (1 राजा 18:21) [प्रहरीदुर्ग 08 1/1 पेज 19 पैरा. 3-4]
7. यहोवा ने जिस तरह एलिय्याह को अपनी शक्ति दिखायी, उससे यह कैसे पता चलता है कि अपने सेवकों के मामले में यहोवा किस मकसद से अपनी ताकत का इस्तेमाल करता है? (1 राजा 19:1-12) [यहोवा के करीब पेज 42-43 पैरा. 15-16]
8. नाबोत ने अहाब को अपनी दाख की बारी बेचने से इनकार क्यों किया और इस घटना से हम क्या सबक सीख सकते हैं? (1 राजा 21:3) [प्रहरीदुर्ग 97 8/1 पेज 13 पैरा. 18-20]
9. शूनेमी स्त्री ने किस तरह एलीशा की खातिर “बड़ी चिन्ता की”? (2 राजा 4:13) [प्रहरीदुर्ग 97 10/1 पेज 30 पैरा. 6-8]
10. एलीशा ने नामान का तोहफा क्यों कबूल नहीं किया? (2 राजा 5:15, 16) [प्रहरीदुर्ग 05 8/1 पेज 9, पैरा. 2]