परमेश्वर की सेवा स्कूल पर चर्चा
25 अक्टूबर, 2010 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए सवालों पर चर्चा होगी। स्कूल निगरान 20 मिनट के लिए 6 सितंबर से 25 अक्टूबर, 2010 तक के हफ्तों में पेश किए गए भागों पर हाज़िर लोगों के साथ चर्चा करेगा।
1. राजा अजर्याह (उज्जिय्याह) की ज़िंदगी पर गौर करने से हम क्या सबक सीखते हैं? (2 राजा 15:1-6) [प्रहरीदुर्ग 92 6/1 पेज 30-31]
2. क्या 2 राजा 13:20, 21 में दिया चमत्कार दिखाता है कि मरे हुओं के अवशेषों की पूजा करना सही है? [प्रहरीदुर्ग 05 8/1 पेज 11 पैरा. 3]
3. क्या हिज़किय्याह ने मिस्र के साथ संधि की थी? (2 राजा 18:19-21, 25) [प्रहरीदुर्ग 05 8/1 पेज 11 पैरा. 5]
4. बाइबल यह क्यों कहती है कि यहोवा ने अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए “तैयारी की”? (2 राजा 19:25) [प्रहरीदुर्ग 99 8/15 पेज 14 पैरा. 3]
5. यहोवा ने क्यों यहूदा को “क्षमा करना न चाहा”? (2 राजा 24:3, 4) [प्रहरीदुर्ग 05 8/1 पेज 12 पैरा. 1]
6. 1 शमूएल 16:10, 11 में दाविद को यिशै का आठवाँ बेटा क्यों कहा गया है, जबकि एज्रा ने दाविद को यिशै का सातवाँ बेटा कहा? (1 इति. 2:15) [प्रहरीदुर्ग 02 9/15 पेज 31]
7. हम प्राचीन गिलादियों के उदाहरण पर कैसे चल सकते हैं? (1 इति. 5:10, 18-22) [प्रहरीदुर्ग 05 10/1 पेज 9 पैरा. 7]
8. लेवी द्वारपालों से हम क्या सबक सीख सकते हैं? (1 इति. 9:26, 27) [प्रहरीदुर्ग 05 10/1 पेज 9 पैरा. 8]
9. पहला इतिहास 11:11 में लिखा है कि 300 लोगों को मार डाला गया था, जबकि 2 शमूएल 23:8 में इसी घटना में 800 लोगों के मारे जाने के बारे में बताया गया है, यह फर्क क्यों है? [प्रहरीदुर्ग 05 10/1 पेज 10 पैरा. 3]
10. पहला इतिहास 13:11 में दाविद ने जिस तरह का रवैया दिखाया उसमें क्या बात गलत थी? [प्रहरीदुर्ग 05 10/1 पेज 11]